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ITR 2018: 31 अगस्त से पहले रिटर्न फाइल करना क्यों है फायदेमंद, पांच कारणों से समझें

बतौर टैक्सपेयर अगर आपने अभी तक अपना रिटर्न फाइल नहीं किया है, तो फिर 31 अगस्त के पहले आप इस काम को पूरा कर लें..

By Surbhi JainEdited By: Published: Wed, 22 Aug 2018 06:29 PM (IST)Updated: Fri, 24 Aug 2018 09:09 AM (IST)
ITR 2018: 31 अगस्त से पहले रिटर्न फाइल करना क्यों है फायदेमंद, पांच कारणों से समझें
ITR 2018: 31 अगस्त से पहले रिटर्न फाइल करना क्यों है फायदेमंद, पांच कारणों से समझें

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। अगर आप टैक्सपेयर हैं और आपने अभी तक अपना रिटर्न फाइल नहीं किया है, तो हर हाल में इस काम को 31 अगस्त के पहले निपटा लें। ऐसा इसलिए क्योंकि 31 अगस्त के बाद रिटर्न फाइल करने की सूरत में आपको जुर्माना भी देना पड़ सकता है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी) ने करदाताओं की सुविधा के लिए पहले ही 31 जुलाई की डेडलाइन को बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया है। हम इस खबर के माध्यम से आपको बता रहे हैं कि आखिर क्यों आपको 31 अगस्त से पहले ही अपना रिटर्न भर लेना चाहिए। 

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जुर्माने से बच जाएंगे आप: अगर आप 31 अगस्त के बाद रिटर्न फाइल करते हैं और आपकी आय पांच लाख सालाना से कम है तो आपको 1000 जुर्माना देना होगा। वहीं अगर आपकी आय पांच लाख से ज्यादा है और आप 31 दिसंबर के पहले रिटर्न फाइल करते हैं तो आपसे पांच हजार रुपये का जुर्माना देना होगा। 31 दिसंबर से 31 मार्च 2019 के बीच आईटीआर दाखिल करने पर आपको  10,000 रुपये का जुर्माना देना होगा।

देय आयकर पर ब्याज: आईटीआर देर से दाखिल करने पर जुर्माने की राशि कई मामलों में अलग-अलग होती है। आमतौर पर यह आयकर अधिकारी पर निर्भर करता है। लेकिन ज्यादातर मामलों में, करदाता को उनके देय आयकर पर प्रति माह देरी होने पर 1 फीसद का ब्याज भी चुकाना पड़ता है।

रिफंड प्रोसेसिंग: आयकर रिटर्न फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व बेसिस पर काम करता है। जैसे ही आप आईटीआर फाइलिंग प्रक्रिया पूरी करते हैं, आयकर विभाग वित्तीय वर्ष के लिए आपकी कर देयता की पुष्टि कर देता है और अगर कोई रिफंड देना है, तो इसे प्रोसेस में लाया जाता है। हालांकि, अगर आप तय समय सीमा के बाद अपना आईटीआर दाखिल करते हैं, तो रिफंड की प्रक्रिया में भी देरी हो सकती है।

रिफंड पर इंटरेस्ट: अगर आप समय सीमा से पहले आईटीआर दाखिल करते हैं, तो आपको टैक्स रिफंड के योग्य माना जाता है। आयकर अधिनियम की धारा 244 ए के अनुसार, करदाता प्रत्येक वर्ष के लिए असेसमेंट वर्ष के पहले दिन से प्रत्येक माह के लिए दिए जाने वाले रिफंड पर 0.5 फीसद ब्याज का हकदार होता है।

आईटीआर संशोधन के लिए समय: अगर आप जल्दबाजी में अपना आईटीआर दाखिल करते हैं और इसमें कोई गलती होती है तो इसे संशोधित करना पड़ता है। संशोधित आयकर नियमों के मुताबिक, करदाता 31 मार्च, 2019 से पहले रिटर्न में संशोधन कर सकता है। 


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