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ITR 2018: सिर्फ 2 दिन बाकी, जान लें रिटर्न फाइलिंग से जुड़ी काम की बातें

कर चोरी रोकने के लिहाज से, करदाता के लिए यह जरूरी है कि वह अपने विदेशी खातों की जानकारी भी आयकर विभाग को दे

By Praveen DwivediEdited By: Published: Wed, 29 Aug 2018 08:28 AM (IST)Updated: Thu, 30 Aug 2018 07:41 AM (IST)
ITR 2018: सिर्फ 2 दिन बाकी, जान लें रिटर्न फाइलिंग से जुड़ी काम की बातें
ITR 2018: सिर्फ 2 दिन बाकी, जान लें रिटर्न फाइलिंग से जुड़ी काम की बातें

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वित्त वर्ष 2017-18 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने को सिर्फ दो दिन शेष रह गए हैं। अगर आपने भी अभी तक आपने अपना आईटीआर दाखिल नहीं किया है तो जल्दी कीजिए, नहीं तो आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। गौरतलब है कि बीते वित्त वर्ष के लिए आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख 31 अगस्त 2018 निर्धारित है। इसमें एक महीने का विस्तार पहले ही दिया जा चुका है।

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कैसे चेक कर सकते हैं TDS कटौती?

सैलरी से हुई किसी भी टैक्स कटौती को, आप फॉर्म 16 की मदद से जो कि नियोक्ता की ओर से जारी किया जाता है, जान सकते हैं। हालांकि अन्य आय पर हुई टैक्स कटौती को अगर आप जानना चाहते हैं तो इसके लिए आपको फॉर्म 26AS देखना होगा। इसे आप ऑनलाइन माध्यम से देख सकते हैं।

अपने आईटीआर को कर सकते हैं ई-वेरिफाई: ये एक ऐसी चीज है जिसे आप चाहकर भी इग्नोर नहीं कर सकते हैं। हर साल इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के बाद आपको आईटीआर वेरिफाई करने की जरूरत होती है, क्योंकि आईटीआर को वेरिफाई न करना आईटीआर फाइल न करने के जैसा है। आईटीआर के ई-वेरिफिकेशन के दो तरीके हैं मैनुअली और इलेक्ट्रॉनिक (ई-वेरिफिकेशन)। इसके अलावा, नेटबैंकिंग, आधार ओटीपी इत्यादि के माध्यम से भी इलेक्ट्रॉनिक रूप से वेरिफाई किया जा सकता है।

अगर कमाई 50 लाख से ज्यादा है तो सभी एसेट्स का खुलासा करें: ऐसे करदाता जिनकी कमाई 50 लाख रुपए से ज्यादा की होती है। उसे उन वित्तीय संपत्तियों (चल और अचल संपत्तियों सहित) के विवरण का खुलासा करना आवश्यक होता है, जिसे उन्हें उस तिथि तक अर्जित किया हुआ होता है। ऐसा करना इस तरह के करदाताओं का कर्तव्य होता है।

विदेशी परिसंपत्तियों और आय का खुलासा जरूर करें: कर चोरी रोकने के लिहाज से, करदाता के लिए यह जरूरी है कि वह अपने विदेशी खातों की जानकारी भी आयकर विभाग को दे, साथ ही यह भी बताए कि उस वित्त वर्ष के दौरान उसने उस पर कितना ब्याज हासिल किया है। आपकी विदेशी संपत्तियों के संबंध में कोई भी गलत जानकारी आपको मुश्किल में ला सकती है।

अगर जरूरत हो तो एडवांस टैक्स भरें: एडवांस टैक्स का मतलब होता है कि आपने जैसे ही कमाई की है वैसे ही आपने उस पर टैक्स का भुगतान कर दिया है। ऐसे करदाता जितनी कर देयता टीडीएस कटौती के बाद 10,000 या फिर उससे ज्यादा की होती है उन्हें एडवांस टैक्स का भुगतान करना होता है।

सभी तरह की कमाई का जिक्र करें: आमतौर पर आधे से ज्यादा करदाता टैक्स सेविंग एफडी और अन्य एफडी से हुई कमाई का खुलासा करना भूल जाते हैं। कुछ करदाताओं को लगता है कि ये टैक्स फ्री है, यह एक मिथ है। उन्हें नहीं पता होता है कि हालांकि ये आयकर की धारा 80सी के तहत टैक्स बचाने में मददगार होते हैं। हालांकि इनसे होने वाली ब्याज योग्य आय पर टैक्स देना होता है। इसलिए बतौर करदाता अपनी इस तरह की आय का खुलासा आईटीआर में जरूर करें।

अपने आईटीआर में कर सकते हैं सुधार: इसे रिवाइज्ड आईटीआर भी कहा जाता है। रिवाइज्ड आईटीआर उस सूरत में भरा जाता है जब आपके आईटीआर में कुछ गलतियां रह गई हों। यानी अगर आपने आईटीआर के दौरान कुछ गलतियां कर दी हैं तो आप उन्हें इसके जरिए सुधार सकते हैं। रिवाइज्ड रिटर्न आयकर की धारा 139 (5) के तहत भरा जाता है।

जानिए कितनी देरी पर देना होगा कितना जुर्माना?

  • अगर आप भूल वश या जानबूझकर 31 अगस्त 2018 तक अपना आईटीआर दाखिल नहीं करते हैं तो आपको पेनाल्टी का भुगतान करना होगा जो कि अवधि के दौरान अलग अलग हो सकता है। यह पेनाल्टी आप पर आयकर की धारा 234F के अंतर्गत लगाई जाएगी।
  • अगर आपकी आय पांच लाख तक या उससे कम है और आप 31 अगस्त तक आईटीआर दाखिल नहीं करते हैं तो आपको 1000 रुपये की पेनाल्टी देनी होगी।
  • वहीं 5 लाख से ज्यादा आय होने की सूरत में 31 अगस्त से एक दिन की देरी पर भी आपको 5,000 रुपये की पेनाल्टी देनी होगी। हालांकि आपको इस सूरत में 31 दिसंबर तक अपना रिटर्न फाइल ही करना होगा।
  • अगर आप अपना आईटीआर 1 जनवरी से 31 मार्च 2019 तक भरते हैं तो आपको 10,000 रुपये बतौर पेनाल्टी देने होंगे।

पेनाल्टी के साथ आपको देना होगा इंटरेस्ट: वहीं आपको यह बात भी मालूम होनी चाहिए कि यह पेनाल्टी किसी भी सूरत में आपको वापस नहीं की जाएगी। पेनाल्टी पर लगने वाला इंटरेस्ट (ब्याज) आयकर की धारा 234 A के अंतर्गत वसूला जाता है जो कि एक फीसद होता है।

उदाहरण से समझिए: मान लीजिए आपको 11,000 रुपये बतौर कर का भुगतान करना हो तो आपको इसका एक फीसद यानी 110 रुपये पेनाल्टी के साथ इंटरेस्ट भी देना होगा। यानी 31 अगस्त के बाद आपको पेनाल्टी और उस पर ब्याज के भुगतान के साथ अपना आईटीआर दाखिल करना होगा। अगर आपने 31 अगस्त 2018 तक अपना आईटीआर फाइल नहीं किया तो आपको दो बड़े नुकसान होंगे। पहला यह कि आपको पेनाल्टी का भुगतान करना होता और साथ ही आपकी यह पेनाल्टी किसी भी सूरत में आपको आईटीआर दाखिल करने पर वापस नहीं होगी।


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