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इपीएफओ सब्सक्राइबर्स के मृत्यु पर नॉमिनी को मिलता है सात लाख रूपये तक का बीमा कवर, जानें इस स्कीम की पूरी डिटेल

EPFO अपने सदस्यों की आकस्मिक मृत्यु होने पर उनके परिवार को बीमा कवर का फायदा देती है। ईपीएफओ की ईडीएलआइ यानी कि इंप्लाइज डिपाजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम के तहत सबस्‍क्राइबर की अकाल मृत्यु हो जाने पर उसके नॉमिनी को सात लाख रुपये तक की इंश्योरेंस की दी जाती है।

By Abhishek PoddarEdited By: Published: Fri, 24 Dec 2021 07:10 PM (IST)Updated: Fri, 24 Dec 2021 07:10 PM (IST)
इपीएफओ सब्सक्राइबर्स के मृत्यु पर नॉमिनी को मिलता है सात लाख रूपये तक का बीमा कवर, जानें इस स्कीम की पूरी डिटेल
EPFO अपने सदस्यों की आकस्मिक मृत्यु होने पर उनके परिवार जनों को सात लाख रुपये का बीमा कवर देती है

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) अपने सदस्यों की आकस्मिक मृत्यु होने पर उनके परिवार जनों को सात लाख रुपये तक के बीमा कवर का फायदा देती है। ईपीएफओ की ईडीएलआइ यानी कि इंप्लाइज डिपाजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम के तहत सबस्‍क्राइबर की अकाल मृत्यु हो जाने पर उसके नॉमिनी को सात लाख रुपये तक की इंश्योरेंस की दी जाती है। अगर कोई व्यक्ति ईपीएफओ सबस्‍क्राइबर है और उसने लगातार 12 महीने जॉब की है, तो अकाल मृत्यु होने पर उसके परिवार वालों को इस बीमा की रकम का लाभ दिया जाता है। ईपीएफओ की इस स्कीम में सबस्‍क्राइबर के परिवार को सात लाख रुपये तक का बीमा कवर दिया जाता है।

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यह बीमा कवर उन लोगों को भी मिलता है, जिन्होंने एक साल के अंदर एक से ज्यादा संस्थानों में नौकरी की है। यह क्लेम कर्मचारी के परिवार जनों की तरफ से कर्मचारी की अकाल मृत्यु होने पर किया जा सकता है। ईडीएलआइ स्कीम में क्लेम करने वाला सदस्य कर्मचारी का नॉमिनी होना चाहिए। आपको बताते चलें कि, कोरोना के कारण मृत्यु होने पर भी इस बीमा कवर का फायदा हासिल होता है।

क्या है क्लेम का तरीका

ईपीएफओ सदस्य की अकाल मृत्यु होने पर उसका नॉमिनी या उत्तराधिकारी इस बीमा कवर के लिए क्लेम कर सकता है। अगर, क्लेम करने वाले की उम्र 18 साल से कम है, तो उसकी ओर से उसका अभिभावक क्लेम कर सकता है। क्लेम करने के लिए इंश्योरेंस कंपनी को कर्मचारी की मृत्यु का प्रमाण पत्र, सक्सेशन सर्टिफिकेट, माइनर नॉमिनी की ओर से आवेदन करने वाले अभिभावक के प्रमाण पत्र और बैंक का विवरण उपलब्ध कराना जरूरी होता है।

कोई प्रीमियम नहीं देना होता है

इस इंश्योरेंस स्कीम का फायदा लेने के लिए, कर्मचारी को अलग से प्रीमियम के तौर पर कोई भी रकम नहीं देनी होती है, इसके लिए योगदान नियोक्ता की तरफ से ही किया जाता है।


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