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Budget 2019: बजट में भी होता है आय का लेखाजोखा, इन शब्‍दों के मतलब जानते हैं आप?

आइए जानते हैं कि देश के बजट में क्या-क्या होता है। बजट के दो घटक होते हैं। पहला सार्वजनिक आय और दूसरा सार्वजनिक व्यय

By Manish MishraEdited By: Published: Wed, 26 Jun 2019 01:43 PM (IST)Updated: Mon, 08 Jul 2019 03:47 PM (IST)
Budget 2019: बजट में भी होता है आय का लेखाजोखा, इन शब्‍दों के मतलब जानते हैं आप?
Budget 2019: बजट में भी होता है आय का लेखाजोखा, इन शब्‍दों के मतलब जानते हैं आप?

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 5 जुलाई को देश का बजट पेश कर दिया है। वास्तव में बजट एक ऐसी चीज है जिससे किसी न किसी रूप में हम सभी प्रभावित होते हैं। घरों में भी लोग सालाना या मासिक बजट तैयार करते हैं। आमतौर पर बजट शब्द से जो सबसे पहले समझ में आता है वह है आय और व्यय की गणना। देश के बजट में भी कुछ ऐसा ही होता है, फर्क सिर्फ इतना होता है कि इसमें अमाउंट बड़े होते हैं। आइए, जानते हैं कि देश के बजट में क्या-क्या होता है। बजट के दो घटक होते हैं। पहला सार्वजनिक आय और दूसरा सार्वजनिक व्यय।

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सार्वजनिक आय

सार्वजनिक आय के भी दो प्रकार होते हैं। पहला राजस्व आय (Revenue Receipts) और दूसरा प्रकार होता है पूंजीगत आय (Capital Receipts)। देश के पास आय का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत होता है टैक्स रेवेन्यू। यह टैक्स रेवेन्यू यानी कर राजस्व, राजस्व आय का एक हिस्सा है। राजस्व आय का दूसरा हिस्सा होता है गैर-कर आय। अब टैक्स रेवेन्यू की बात करें तो यह भी दो प्रकार का होता है। पहला डायरेक्ट टैक्स और दूसरा इनडायरेक्ट टैक्स।

प्रत्यक्ष कर व अप्रत्यक्ष कर

डायरेक्ट टैक्स यानी प्रत्यक्ष कर में वे कर आते हैं जो सरकार को सीधे प्राप्त होते हैं जैसे- इनकम टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स, वेल्थ टैक्स आदि। वहीं इनडायरेक्ट टैक्स यानी अप्रत्यक्ष करों में जीएसटी, सेल्स टैक्स, सर्विस टैक्स, कस्टम ड्यूटी, एक्साइज ड्यूटी आटी टैक्स शामिल हैं।

गैर-कर राजस्व

वहीं राजस्व आय के दूसरे हिस्से गैर कर राजस्व में करों के अलावा अन्य मदों से प्राप्त होने वाली आय होती है जिसमें ऋण से प्राप्त ब्याज, फीस, विदेशों से प्राप्त आय और विभिन्न स्रोतों से अर्जित लाभ शामिल हैं। राजस्व आय की खास बात यह है कि इसका सरकार को भविष्य में भुगतान नहीं करना होता।

पूंजीगत आय

राजस्व आय के अलावा जो सार्वजनिक आय का का दूसरा हिस्सा होता है वह है पूंजीगत आय। इस आय में सरकार की परिसंपत्तियों में कमी आती है और उसका उत्तरदायित्व बढ़ जाता है। इस तरह की आय का भविष्य में सरकार को भुगतान भी करना पड़ता है। पूंजीगत आय में शुद्ध विदेशी ऋण, रिजर्व बैंक से लिया जाने वाला टैक्स और शुद्ध घरेलू ऋण शामिल है।


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