भारतीय स्टार्टअप पर नहीं लगेगा एंजेल टैक्स, CBDT ने जारी की 21 देशों की लिस्ट
वित्त मंत्रालय की लिस्ट में अनुसार अमेरिका ब्रिटेन और फ्रांस सहित 21 अन्य देशों में असूचीबद्ध भारतीय स्टार्टअप में नॉन रेजिडेंट निवेश पर एंजेल टैक्स नहीं लगेगा। एंजेल टैक्स को साल 2012 में सरकार द्वारा शुरू किया गया था।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क: वित्त मंत्रालय ने आज 21 देशों की सूची जारी की है जहां असूचीबद्ध भारतीय स्टार्टअप में नॉन रेजिडेंट निवेश पर एंजेल टैक्स नहीं लगेगा।
इस लिस्ट में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस का नाम भी शामिल है। वहीं इस लिस्ट में सिंगापुर, नीदरलैंड और मॉरीशस जैसे देशों का नाम शामिल नहीं किया गया है। CBDT का यह नियम विगत 1 अप्रैल से लागू है।
ये निवेशक एंजेल टैक्स प्रावधान से बाहर
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने कल निवेशकों की उन श्रेणियों को अधिसूचित किया जो एंजेल टैक्स प्रावधान के तहत नहीं आएंगे। वैसे निवेशक जो एफपीआई, बंदोबस्ती फंड, पेंशन फंड और व्यापक-आधारित निवेश वाहन, जो यूएस, यूके, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और स्पेन सहित 21 निर्दिष्ट देशों के निवासी हैं उन्हें एंजेल टैक्स प्रावधान से तहत नहीं आते हैं।
इसके अलावा जैसे अन्य राष्ट्र ऑस्ट्रिया, कनाडा, चेक गणराज्य, बेल्जियम, डेनमार्क, फिनलैंड, इजरायल, इटली, आइसलैंड, जापान, कोरिया, रूस, नॉर्वे, न्यूजीलैंड और स्वीडन के निवेशकों को भी बाहर रखा गया है।
सरकार का ये है उद्देश्य
नांगिया एंडरसन इंडिया के अध्यक्ष राकेश नांगिया ने कहा कि देशों की इस सूची का स्पष्ट रूप से उल्लेख करके, सरकार का उद्देश्य उन देशों से भारत में अधिक विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करना है, जिनके पास मजबूत नियामक ढांचा है।
CBDT ला सकती है गाइडलाइन
आयकर लगाने के उद्देश्य से गैर-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स में अनिवासी निवेश के मूल्यांकन के लिए सीबीडीटी के मूल्यांकन दिशानिर्देशों को ला सकती है। मौजूदा मानदंडों के तहत, केवल घरेलू निवेशकों या करीबी कंपनियों में रेजिडेंट के निवेश पर ही उचित बाजार मूल्य से अधिक कर लगाया जाता था।
वित्त अधिनियम, 2023 में कहा गया है कि एफएमवी के ऊपर और ऊपर के ऐसे निवेश पर कर लगाया जाएगा चाहे निवेशक निवासी हो या अनिवासी। वित्त विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों के बाद, दो अलग-अलग कानूनों के तहत उचित बाजार मूल्य की गणना की पद्धति पर चिंता जताई गई है।
क्या होता है एंजेल टैक्स?
मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए एंजेल टैक्स रीजीम की शुरुआत 2012 में की गई थी। स्टाटर्अप को आगे बढ़ाने के लिए एंजेल इनवेस्टर्स उसमें निवेश करते हैं। एंजेल टैक्स रीजीम के तहत अगर स्टार्टअप एंजेल निवेशकों से पैसे जुटाता है और यह पैसे शेयर की फेयर वैल्यू से ज्यादा होती है तो इस स्थिति में टैक्स लगाया जा सकता है।