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2G घोटाला:संचार मंत्री से वित्त मंत्री तक लगे आरोप, 7 साल बाद सभी बेकसूर साबित

यूपीए-2 के दौरान हुए 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सरकार को लाखों करोड़ का नुकसान होने का दावा किया गया था

By Praveen DwivediEdited By: Published: Thu, 21 Dec 2017 05:41 PM (IST)Updated: Fri, 22 Dec 2017 11:01 AM (IST)
2G घोटाला:संचार मंत्री से वित्त मंत्री तक लगे आरोप, 7 साल बाद सभी बेकसूर साबित
2G घोटाला:संचार मंत्री से वित्त मंत्री तक लगे आरोप, 7 साल बाद सभी बेकसूर साबित

नई दिल्ली (बिजनेस)। करीब सात साल पहले यूपीए के दूसरे कार्यकाल के दौरान एक ऐसा घोटाला (2जी स्पेक्ट्रम) देश के सामने आया जिसने न सिर्फ सरकार की चूलें हिला दीं बल्कि इसने कई दिग्गज हस्तियों को भी गुनहगार बना दिया। इस घोटाले के बाद स्पेक्ट्रम से जुड़े करीब 122 लाइसेंस रद्द किए गए। साल 2008 में किए गए स्पेक्ट्रम आवंटन पर कैग की रिपोर्ट में जो सवाल खड़े किए गए वो सब निराधार साबित हुए और इतने साल बीत जाने के बाद जब दिसंबर 2017 में अदालत ने फैसला सुनाया तो सारे आरोपी जो गुनहगार बताए जा रहे थे वो सब बेकसूरत साबित हो गए। गौरतलब है कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के पहले मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और द्रमुक सांसद कनिमोड़ी समेत सभी आरोपी तीनों मामलों में बरी हो गए हैं।

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अदालत का फैसला: वकील विजय अग्रवाल ने बताया कि जज ने कहा कि सीबीआई आरोप साबित करने में नाकाम रही है, इसलिए सभी आरोपियों को बरी किया जाता है। सीबीआइ ने अभी पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले पर कोई टिप्पएणी नहीं की है। उन्होंाने सिर्फ इतना कहा है कि हम फैसले की कॉपी का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद कोई निर्णय लिया जाएगा। इधर सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि प्रवर्तन निदेशालय ने पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष सीबीआइ अदालत के फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट जाने का निर्णय लिया है। हालांकि ईडी की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। 2जी घोटाले में बरी किए गए सभी आरोपियों से 5 लाख का बेल बॉन्ड भराया गया है, ताकि उच्च अदालत में मामला गया तो उनकी उपस्थिति सुनिश्चित की जा सके। वैसे बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आवंटन को मनमाना बताते हुए फरवरी 2012 में सभी लाइसेंस रद कर दिए थे।

क्या है 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला?

2010 में आई एक सीएजी रिपोर्ट में 2008 में बांटे गए स्पेक्ट्रम पर सवाल उठाए गए थे। इसमें बताया गया था कि स्पेक्ट्रम की नीलामी के बजाए 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर इसे बांटा गया था। इससे सरकार को एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। इसमें इस बात का जिक्र था कि नीलामी के आधार पर लाइसेंस बांटे जाते तो यह रकम सरकार के खजाने में जाती। दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में विशेष अदालत बनाने पर विचार करने को कहा था। 2011 में पहली बार स्पेक्ट्रम घोटाला सामने आने के बाद अदालत ने इसमें 17 आरोपियों को शुरुआती दोषी मानकर 6 महीने की सजा सुनाई थी। इस घोटाले से जुड़े केस में एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रविकांत रुइया, अंशुमान रुइया, लूप टेलीकॉम के प्रमोटर किरण खेतान उनके पति आई पी खेतान और एस्सार ग्रुप के निदेशक विकास सरफ भी आरोपी हैं।

ये थे मुख्य आरोपी: 2जी स्पेक्ट्रम मामले में ए राजा के अलावा कई राजनीतिक और उद्योग जगत से जुड़ी हस्तियों पर भी आरोप लगे। ए राजा के अलावा तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि की बेटी कनिमोझी को जेल भी जाना पड़ा। इस मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर भी आरोप लगे थे।

ए राजा: ए राजा पूर्व दूर संचार मंत्री थे और उनके कार्यकाल में हुए इस घोटाले में उनके और कनिमोझी समेत 17 अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया था।

कनिमोझी: कनिमोझी उस वक्त राज्यसभा सांसद थीं। उनपर ए राजा के साथ मिलकर काम करने का आरोप था। कहा गया कि इन्होंने अपने टीवी चैनल के लिए डीबी रियल्टी के मालिक शाहिद बलवा से 200 करोड़ की रिश्वत ली थी।

सिद्धार्थ बेहुरा: ए राजा के कार्यकाल में सिद्धार्थ बेहुरा दूरसंचार सचिव हुआ करते थे। सीबीआई का आरोप था कि बेहुरा ने ए राजा के साथ मिलकर इस घोटाले में काम किया। बेहुरा को 2 फरवरी 2011 को गिरफ्तार कर लिया गया था।

आर के चंदोलिया: ये ए राजा के निजी सचिव थे। इन पर कई ऐसी कंपनियों को स्पेक्ट्रम दिलाने के आरोप थे जोकि लाइसेंस मिलने के दायरे में नहीं आती थीं। मगर ए राजा की मेहरबानी से वे उन्हें स्पेक्ट्रम दिलाने में कामयाब हुए। चंदोलिया को भी राजा के साथ ही गिरफ्तार कर लिया गया है।

शाहिद बलवा: शाहिद बलवा स्वॉन टेलिकॉम के महाप्रबंधक थे। सीबीआई का आरोप है कि बलवा को जायज से कम कीमतों पर स्पेक्ट्रम आवंटित किया गया।

संजय चंद्रा: संजय चंद्रा यूनिटेक के पूर्व महाप्रबंधक थे और उनकी कंपनी को भी कम कीमत पर स्पेक्ट्रम आवंटित हुए थे।

2G घोटाले की पूरी टाइमलाइन:

21 अक्टूबर 2009: 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन में कथित अनियमितताओं से संबंधित मामले को सीबीआई ने दर्ज किया।
मई 2010: एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट (सीपीआईएल) ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया ताकि इस मामले में सीबीआई जांच की जा सके।

8 अक्टूबर 2010: सुप्रीम कोर्ट ने इस कथित घोटाले के संदर्भ में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट पर सरकार की प्रतिक्रिया मांगी।

10 नवंबर 2010: कैग ने 1.76 लाख करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया।

14 नवंबर 2010: ए राजा ने बतौर संचार मंत्री इस्तीफा दे दिया।

8 दिसंबर 2010: सुप्रीम कोर्ट ने 2 जी घोटाले की जांच के लिए एक विशेष अदालत के गठन का आदेश दिया।

2 फरवरी 2011: अप्रैल 2011 को राजा को गिरफ्तार कर लिया गया। सीबीआई ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल की।

29 अप्रैल 2011: सीबाआई ने इस मामले में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की।

15 सितंबर 2011: भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी इस मामले को लेकर सीबीआई की स्पेशल अदालत में गए और कहा कि इस मामले में पी चिदंबरम को सह आरोपी बनाया जाए।

22 अक्टूबर 2011: विशेष सीबीआई अदालत ने राजा समेत 17 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए। अदालत ने राजा और अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।

11 नवंबर 2011: इस मामले की सुनवाई फिर से शुरू हुई।

23 नवंबर 2011: सुप्रीम कोर्ट ने पांच कारपोरेट के जमानत दे दी।

12 दिसंबर 2011: सीबीआई ने तीसरी चार्जशीट दाखिल की। इसमें एस्सार के प्रमोटर्स अंशुमान रुइया, रवि रुइया, एस्सार ग्रुप के निदेशक (रणनीतिक और योजना) विकास सर्राफ, लूप टेलीकॉम प्रमोटर किरण खेतान और उनके पति आई.पी. खेतान को इसमें आरोपी के रूप में शामिल किया।

2 फरवरी 2012: सुप्रीम कोर्ट ने करीब 122 लाइसेंस रद्द करने का आदेश दिया, जो कि साल 2008 में जारी किए गए थे।

4 फरवरी 2012: ट्रायल कोर्ट ने स्वामी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने तात्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम को सह आरोपी बनाने की अपील की थी।

28 नवंबर 2012: डीएमके सांसद कनिमोझी को जमानत मिल गई।

15 मई 2012: राजा को जमानत मिल गई।

25 अप्रैल 2014: ईडी ने राजा, कनिमोझी और अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।

31 अक्टूबर 2014: राजा, कनिमोझी और अन्य लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप तय।

17 नवंबर 2014: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुनवाई शुरू हुई।

5 दिसंबर 2017: कोर्ट ने इस मामले में फैसले के लिए 21 दिसंबर 2017 की तारीख मुकर्रर की।

21 दिसंबर 2017: ए राजा और कनिमोझई समेत अन्य आरोपी इस मामले में बरी हुए।
 


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