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कुली के बेटे ने किया कमाल: नौकरी खोई तो टूटा नहीं, खड़ा कर दिया करोड़ों का कारोबार

तमिलनाडु के एक छोटे से बंदरगाह वाले शहर रोयापुरम के रहने वाले जानकीरमण के पिता यहीं कुली का काम किया करते थे

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sat, 30 Mar 2019 03:20 PM (IST)Updated: Sun, 31 Mar 2019 06:18 PM (IST)
कुली के बेटे ने किया कमाल: नौकरी खोई तो टूटा नहीं, खड़ा कर दिया करोड़ों का कारोबार
कुली के बेटे ने किया कमाल: नौकरी खोई तो टूटा नहीं, खड़ा कर दिया करोड़ों का कारोबार

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। जरा कल्पना मात्र करके देखिए आपकी नौकरी चली जाए और आपके पास कमाई का कोई और रास्ता न बचा हो, साथ ही आपकी पारिवारिक स्थिति भी ठीक न हो तो आप क्या करेंगे? जाहिर तौर पर अधिकांश लोग इस स्थिति में टूट जाएंगे और जिंदगी से हार मान लेंगे। लेकिन तमिलनाडु के एक कुली के बेटे ने ऐसी स्थिति में समाज के सामने उदाहरण पेश किया है। उसने यह साबित किया है कि मुश्किल वक्त में भी हिम्मत से काम लेकर एक नजीर पेश की जा सकती है।

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तमिलनाडु के बेटे ने पेश की मिसाल: यह कहानी है तमिलनाडु के रहने वाले एक कुली के बेटे मुरुगवेल जानकीरमण की। जानकीरमण की वर्ष 2000 में नौकरी चली जाती है। इस मुश्किल वक्त में वो हार नहीं मानते हैं। वो फैसला करते हैं कि अब वो नौकरी नहीं करेंगे, बल्कि लोगों की जिंदगी में खुशियां लाने का काम करेंगे। वो मेट्रीमनीडॉटकॉम नामक एक कंपनी की स्थापना करते हैं। मुरुगवेल जानकीरमण की कंपनी का कारोबार देखते-देखते 1943 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि मुरुगवेल जानकीरमण की कंपनी के जरिए हर साल लगभग 2 लाख लोग शादी के बंधन में बंध रहे हैं।

परिवार में स्नातक करने वाले पहले व्यक्ति हैं जानकीरमण: देश के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु के एक छोटे से बंदरगाह वाले शहर रोयापुरम के रहने वाले जानकीरमण के पिता यहीं कुली का काम किया करते थे। जानकीरमण का पढ़ाई-लिखाई से सरोकार कम ही था। उनके पिता मात्र पांचवीं तक और माता सिर्फ पहली कक्षा तक ही पढ़ी हैं। गरीब गांव में पढ़े लिखे जानकीरमण की प्राथमिकता में बेशक शिक्षा नहीं थी, लेकिन वो अपने परिवार में पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने स्नातक तक की पढ़ाई की है।

सांख्यिकी और कंप्यूटर में दिलचस्पी ने पहुंचाया अमेरिका: गणित में ठीक होने के कारण जानकीरमण शुरुआत में चाहते थे कि वो लैब टैक्नीशियन ही बन जाएं ताकि उनका गुजारा चलता रहे। इसके बाद उनकी दिलचस्पी सांख्यिकी और कंप्यूटर में बढ़ी जिसने वर्ष 1996 में उन्हें अमेरिका पहुंचा दिया।

अमेरिका में गई नौकरी, लेकिन तकनीकी ज्ञान ने दी हिम्मत: वर्ष 2000 में आए अमेरिकी संकट के कारण जानकीरमण की अमेरिका में नौकरी चली गई। हालांकि तकनीक से उनके प्रेम ने उन्हें टूटने नहीं दिला, बल्कि इस स्थिति में उन्हें आगे की राह दिखा दी। इससे पहले वो तमिल समुदाय के लिए वर्ष 1997 में एक साइट लॉन्च कर चुके थे। इस साइट में रीजनल कैलेंडर, त्योहारों की तारीखें, प्रॉपर्टी की लिस्टिंग के साथ मेट्रीमोनिअल भी था, जो कि सबसे ज्यादा सराहा गया। बस यहीं से उनको आइडिया मिल गया।

उन्होंने लोगों की शादी में मदद करने के लिए रेडिफ और सिफी जैसी कंपनियों से हाथ मिलाया और अपनी सेवाओं के लिए लोगों से पैसे लेने शुरू किए। जानकीरमण ने बताया कि उन्होंने ऐसे दौर में भी अपनी सेवाओं को पेड रखा जब अधिकांश कंपनियां इस तरह की सेवाएं मुफ्त में देती थीं और विज्ञापन से पैसे कमाती थीं। शुरुआती दिनों में वो सिर्फ 10 डॉलर प्रति महीना ही अपने वेंचर पर लगा पाते थे। इसके बाद उन्होंने याहू और कैनान पार्टनर्स जैसी कंपनियों से दो बार में 99 करोड़ रुपए जुटाए। वर्तमान में कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 60 फीसद की है।


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