क्या IPO के जरिए निवेशकों को गुमराह कर रहे हैं बड़े इन्वेस्टर्स? OFS और Early Exit से भारत के CEA भी नाराज
भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंत नागेश्वरन ने कहा कि आइपीओ किसी वेंचर में शुरुआती निवेशकों के लिए निकासी का जरिया बनते जा रहे हैं, और इस तरह की प्रवृत्ति शेयर बाजार की भावना को कमजोर हो रही है। ज्यादातर पब्लिक इश्यू में शेयर मौजूदा निवेशकों द्वारा बिक्री के लिए पेश किए गए थे। नए शेयर जारी करने की मात्रा बहुत कम थी।

मुंबई। देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंत नागेश्वर ने इस बात पर अफसोस जताया कि आइपीओ किसी वेंचर में शुरुआती निवेशकों के लिए निकासी का जरिया बनते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रवृत्ति शेयर बाजार की भावना को कमजोर हो रही है। उद्योग संगठन CII द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में अनंत नागेश्वरन ने कहा कि देश के पूंजी बाजारों को न केवल पैमाने के तौर पर बल्कि उद्देश्य के तौर पर भी विकसित होना चाहिए।
सीईए ने बाजार पूंजीकरण या डेरिवेटिव ट्रेडिंग जैसे आंकड़ों का जश्न मनाने से बचने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ये आंकड़े वित्तीय मजबूती के मापदंड नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक मजबूत और जीवंत पूंजी बाजार विकसित करने में सफल रहा है। उन्होंने कहा, भारत के शेयर बाजारों में प्रभावशाली वृद्धि हुई है, लेकिन आइपीओ लॉन्ग टर्म कैपिटल जुटाने के सिस्टम के बजाय शुरुआती निवेशकों के लिए निकासी का जरिया बनते जा रहे हैं, और यह सार्वजनिक बाजारों की भावना को कमजोर करता है।
'ज्यादातर आईपीओ में OFS, फ्रेश इक्विटी कम'
उन्होंने कहा कि अप्रैल-सितंबर की अवधि में 55 भारतीय कंपनियों ने अपने आइपीओ जारी किए हैं, जिनसे लगभग 65,000 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं। ज्यादातर शेयर मौजूदा निवेशकों द्वारा बिक्री के लिए पेश किए गए थे। नए शेयर जारी करने की मात्रा बहुत कम थी, जिससे किसी कंपनी को फायदा होता है। नागेश्वरन ने कहा कि देश दीर्घकालिक वित्तपोषण के लिए केवल बैंक लोन पर निर्भर नहीं रह सकता है। उन्होंने दीर्घकालिक उद्देश्यों के वित्तपोषण के लिए बांड बाजार को एक रणनीतिक आवश्यकता बताया।
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क्या होता है OFS
आईपीओ के संदर्भ में, OFS का मतलब "ऑफर फॉर सेल" है, जिसमें कंपनी के मौजूदा शेयरधारक अपने शेयर जनता को बेचते हैं। पारंपरिक आईपीओ के विपरीत, जिसमें कंपनी के लिए पूंजी जुटाने हेतु नए शेयर जारी किए जाते हैं, ओएफएस प्रमोटरों या प्रमुख शेयरधारकों को अपनी हिस्सेदारी कम करने की अनुमति देता है, और धनराशि कंपनी के बजाय सीधे उनके पास जाती है। अक्सर, कंपनियां आईपीओ के जरिए पूंजी जुटाने और हिस्सेदारी कम करने के लिए ओएफएस और फ्रेश इक्विटी एक साथ लेकर आती है।

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