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80 C ही नहीं अन्य धाराएं भी आपके निवेश पर बचा सकती हैं टैक्स, जानिए इनके बारे में

आपको बता दें कि टैक्स कटौती का फायदा आयकर अधिनियम 1961 के अंतर्गत मिलता है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Mon, 26 Feb 2018 05:37 PM (IST)Updated: Sat, 24 Mar 2018 01:28 PM (IST)
80 C ही नहीं अन्य धाराएं भी आपके निवेश पर बचा सकती हैं टैक्स, जानिए इनके बारे में
80 C ही नहीं अन्य धाराएं भी आपके निवेश पर बचा सकती हैं टैक्स, जानिए इनके बारे में

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वित्त वर्ष 2017-18 खत्म होने जा रहा है। ऐसे समय में करदाता उन निवेश विकल्पों की तलाश में रहते हैं और आयकर की उन धाराओं की जानकारी हासिल करते रहते हैं जो टैक्स सेविंग में उनके लिए मददगार हों। अगर आप भी ऐसे ही हैं तो यह खबर आपके काम की है। हम अपनी इस खबर में आपको आयकर की उन धाराओं के बारे में जानकारी देंगे जो की सीधे तौर पर टैक्स सेविंग से जुड़ी हुई हैं और इनके बारे में कम लोगों को ही जानकारी होती है।

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आपको बता दें कि टैक्स कटौती का फायदा आयकर अधिनियम 1961 के अंतर्गत ही होता है। सरकार की ओर से तय विकल्पों में निवेश करके कोई भी अपनी सकल कुल आय में से कटौती का दावा कर सकता है। इनमें से अधिकांश कटौतियां 80C के अंतर्गत आती हैं। हालांकि इसके अलावा भी आयकर की अन्य धाराएं हैं जो कटौती का लाभ देती हैं।

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80सी के फायदे: पीपीएफ, एनएससी, ईएलएसएस, बैंक और पोस्ट ऑफिस में पांच साल की एफडी के साथ-साथ स्कूल और ट्यूशन फीस के जरिए आप हर साल करीब 1,50,000 की कर छूट का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। यह छूट आयकर की धारा 80सी के तहत मिलती है।

80डी के फायदे: आप आयकर की धारा 80डी का भी लाभ ले सकते हैं जिसमें आप खुद के और अपने परिवार के चिकित्सा बीमा को टैक्स कटौती के लिए क्लेम कर सकते हैं। इसके जरिए आप सालाना 25,000 से 30,000 (सीनियर सिटिजन) की बचत कर सकते हैं। अगर करदाता अपना चिकित्सा बीमा, अपनी पत्नी और बच्चों का चिकित्सा बीमा कराता है तो उसे 80डी के तहत कर छूट का अधिकार मिलता है।

80डीडी के तहत फायदा: अगर कोई विकलांग व्यक्ति आप पर आश्रित है तो विकलांग आश्रित के चिकित्सा उपचार पर भी 80डीडी का फायदा उठाया जा सकता है। इन आश्रितों में माता-पिता, जीवनसाथी, बच्चे, भाई और बहन जो भी आप पर आश्रित हों। इस सेक्शन के अंतर्गत कुल कटौती की सीमा 75,000 रुपए सालाना है।

80डीडीबी के तहत फायदा: अगर कोई व्यक्ति किसी विशेष बीमारी के उपचार में खर्च करता है तो उसे 80डीडीबी के तहत कर लाभ मिलता है। माता-पिता, बच्चे, और भाई-बहन। एचयूएफ के मामले में इस कटौती का लाभ किसी भी सदस्य की ओर से किए गए व्यय के लिए किया जा सकता है। कटौती वास्तव में खर्च की गई राशि या 40,000 रुपये के बराबर हो सकती है।

80सीसीडी के फायदे: साल 2015-16 के बजट में नेशनल पेंशन सिस्टम में निवेश की सीमा एक लाख रुपए से बढ़ा कर डेढ़ लाख रुपए कर दी गई थी। एनपीएस में धारा 80सीसीडी के तहत 1,50000 रुपए का निवेश कर डेढ़ लाख की कटौती का लाभ मिलता है।

80जी के तहत फायदा: आयकर की धारा 80जी के तहत भी आप कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आप अगर किसी स्वयंसेवी संस्था से 80जी सर्टिफिकेट लेते हुए उसे डोनेशन देते हैं तो आप कर लाभ का फायदा ले सकते हैं।

80जीजी के तहत फायदा: आमतौर पर एचआरए आपकी सैलरी का एक हिस्सा होता है। अगर ऐसा नहीं होता है तो आप आयकर की धारा 80जीजी के तहत इसके लिए दावा (क्लेम) कर सकते हैं। इसके तहत अधिकतम 60,000 की टैक्स छूट प्राप्त की जा सकती है।

80ई के तहत फायदा: आप एजुकेशन लोन के जरिए भी टैक्स बचा सकते हैं। आयकर की धारा 80ई कर्ज के ब्याज में करदाता की काफी मदद करती है भले ही यह लोन उसने खुद,खुद के बच्चे या पत्नी के लिए ही क्यों न लिया हो। किसी वित्तीय वर्ष में ब्याज के रूप में भुगतान की गई राशि बिना किसी सीमा के कटौती योग्य होती है।

80ईई के तहत फायदा: इसका फायदा होम लोन के ब्याज भुगतान पर किया जाता है। इस कटौती का फायदा किसी एक करदाता की ओर से आवासीय परिसंपत्ति पर लिए गए लोन के ब्याज भुगतान की राशि पर लिया जाता है। आयकर की इस धारा के अंतर्गत की जाने वाली कुल कटौती की सीमा 50,000 रुपए सालाना है।


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