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NPS और PPF हैं निवेश के लिए दो बेहतर विकल्प, जानिए आपको किसमें मिलेगा कितना फायदा

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) और नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) निवेश के दो बेहतरीन विकल्प हैं

By Praveen DwivediEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 05:36 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 08:42 AM (IST)
NPS और PPF हैं निवेश के लिए दो बेहतर विकल्प, जानिए आपको किसमें मिलेगा कितना फायदा
NPS और PPF हैं निवेश के लिए दो बेहतर विकल्प, जानिए आपको किसमें मिलेगा कितना फायदा

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। निवेश के लिहाज से आमतौर पर लोग शेयर बाजार, गोल्ड और म्युचुअल फंड को ही बेहतर मानते हैं। या फिर जो लोग अपने निवेश में जोखिम उठाना पसंद नहीं करते हैं तो फिक्स्ड डिपॉजिट या आरडी (रेकरिंग डिपॉजिट) को पसंद करते हैं। लेकिन इन दोनों विकल्पों के अलावा भी दो और शानदार विकल्प भी हैं। पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) और नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस)। हम अपनी इस खबर में आपको इन्हीं दोनों निवेश योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।

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पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) और नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) निवेश के दो बेहतरीन विकल्प हैं। आमतौर पर लोग ईपीएफ और पीपीएफ को लेकर कन्फ्यूज होते हैं, लेकिन आपको बता दें कि ईपीएफ कर्मचारियों यानी वेतनभोगी (नौकरीपेशा) लोगों के लिए होता है जबकि पीपीएफ के अंतर्गत कोई भी खाता खुलवा सकता है। इसे (पीपीएफ) भी एक बेहतर रिटारयमेंट सेविंग प्लान माना जाता है।

एनपीएस और पीपीएफ में होता है क्या अंतर:

कौन कर सकता है निवेश?

एक पीपीएफ खाता कोई भी भारतीय नागरिक खोल सकता है। कोई भी अपने नाबालिग बच्चों के नाम पर भी पीपीएफ खाता खोलकर टैक्स लाभ ले सकता है। हालांकि एनपीएस खाता 18 वर्ष की आयु से ऊपर और 65 वर्ष की आयु से कम के भारतीय नागरिक ही खोल सकते हैं। हालांकि अनिवासी भारतीय (एनआरआई) भी एनपीएस खाता खोल सकते हैं लेकिन उनकी ओर से पीपीएफ खाता खोलने की मनाही है।

मैच्योरिटी: एक पीपीएफ खाता 15 वर्ष की अवधि के बाद परिपक्व (मैच्योर) हो जाता है। हालांकि 15 वर्ष के बाद इसकी अवधि बिना किसी योगदान के पांच वर्ष के लिए बढ़ाई जा सकती है। हालांकि एनपीएस के मामले में परिपक्वता (मैच्योरिटी) की अवधि निश्चित नहीं होती है। इस खाते के अंतर्गत आप 65 वर्ष की आयु तक योगदान दे सकते हैं। हालांकि इस खाते में किए जाने वाले योगदान को 70 वर्ष की आयु तक बढ़ाया जा सकता है।

निवेश सीमा: कोई भी व्यक्ति पीपीएफ खाते में 500 रुपए (न्यूनतम) का सालाना निवेश कर सकता है। जबकि इसकी अधिकतम राशि 1,50,000 रुपए तक जा सकती है। पीपीएफ खातों में प्रति वर्ष अधिकतम 12 योगदान की अनुमति है।

हालांकि एनपीएस के मामले में न्यूनतम योगदान 6,000 रुपए का है। इसमें योगदान की कोई सीमा तय नहीं है लेकिन यह आपकी सैलरी के 10 फीसद से ज्यादा नहीं होना चाहिए। सेल्फ एम्प्लॉयड होने की सूरत में यह आपकी टोटल ग्रॉस इनकम के 10 फीसद से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

पीपीएफ के अंतर्गत 1.5 लाख रुपए तक की राशि आयकर की धारा 80सीसीडी (1) के अंतर्गत छूट के दायरे में आती है और 50,000 रुपए की अतिरिक्त कटौती 80सीसीडी (2) के अंतर्गत मिलती है। इस हिसाब से कुल कटौती 2 लाख की होती है।

मैच्योरिटी पूर्व निकासी/आंशिक निकासी: पीपीएफ के मामले में आंशिक निकासी की अनुमति है, हालांकि यह सुविधा कुछ बाध्यताओं के बाद 7वें साल के बाद मिलती है। कोई भी अपने पीपीएफ खाते के एवज में कुछ सीमाओं के साथ खाता खोलने के तीसरे और छठे वित्तीय वर्षों के दौरान ऋण (लोन) का लाभ ले सकता है।

वहीं एनपीएस के मामले में सब्सक्राइबर्स 10 साल की अवधि के बाद ही समयपूर्व और आंशिक निकासी के पात्र होते हैं। हालांकि यह पर भी कुछ परिस्थितियां लागू होती हैं। जैसे कि बच्चों की पढ़ाई, उनकी शादी, घर का निर्माण एवं नए घर की खरीद और खुद एवं बच्चों और आश्रितों के इलाज के लिए।

रिटर्न: पीपीएफ सब्सक्राइबर्स के लिए ब्याज की घोषणा सरकार की ओर से हर तिमाही पर की जाती है। वर्तमान में यह दर 8 फीसद की है। वहीं एनपीएस खाते में रिटर्न सीधे तौर पर बाजार से संबंधित होता है। एनपीएस जैसे बाजार से संबंधित निवेश में रिटर्न की संभावना पीपीएफ/ पीएफ जैसे गारंटीशुदा रिटर्न टूल की तुलना में अधिक होता है।

टैक्स बेनिफिट: पीपीएफ ईईई के दायरे में आता है, यानी यह “एग्जेंप्ट, एग्जेंप्ट, एग्जेंप्ट” की श्रेणी में आता है। इसमें आपकी ओर से की गई निवेश की राशि (1.5 लाख रुपए तक), रिटर्न जो आपको मिलता है और मैच्योरिटी अमाउंट इन सभी में टैक्स छूट मिलती है।

हालांकि एनपीएस ईईटी के अंतर्गत यानी “एग्जेंप्ट, एग्जेंप्ट, टैक्स” टैक्स स्ट्रक्चर की श्रेणी में आता है। इसका मतलब एनपीएस में योगदान और कॉर्पस में वृद्धि पर छूट मिलती है लेकिन एकमुश्त राशि की निकासी पर आंशिक रुप से कर लगता है। एनपीएस में परिपक्वता राशि में से 40 फीसद से अधिक धनराशि पर कर लगता है।


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