फाइनेंशियल कोच विनायक सप्रे से जानिए नए निवेशकों के लिए आवश्यक बातें...
आज भारत की अर्थव्यवस्था विश्व में पांचवें स्थान पर है और कुछ ही वर्षों में हम टाप तीन देशों में शामिल होंगे। अब यह नए निवेशक क्या करें। यह एक बड़े आनंद की बात है कि युवा निवेशक उत्साह दिखाकर बाजार में निवेश कर रहे हैं।
विनायक सप्रे। शेयर बाजार और क्रिप्टो में पिछले 24 महीनों में नए निवेशकों की जैसे आंधी आ गई। आज देश में 9 करोड़ से अधिक डिमेट खाते हैं और इनमें से अधिकतर नए निवेशकों के हैं। आज इनमें से कई निवेशक परेशान हैं क्योंकि न सिर्फ पिछले एक साल में कोई रीटर्न नहीं आया है बल्कि कइयों द्मड्ड तो मुनाफा भी घाटे में बदल चुका है। क्या ऐसा पहली बार हुआ है? नहीं, उतार चढ़ाव बाजार का स्वभाव है , लेकिन आम निवेशक यदि पहले में वर्ष पैसे बना लेता है तो अति आत्मविश्वास पूर्वाग्रह से ग्रसित हो जाता है।
5 जनवरी 2022 को इसी समाचार पत्र में प्रकाशित अपने आलेख ' में मैंने ऐसे निवेशकों को आगाह किया था कि 'इक्विटी मार्केट की एक साल की चाल से इस भ्रम में न रहें कि यह हमेशा ऊपर की तरफ ही जाता है, यदि भारत के इक्विटी मार्केट का 42 साल का इतिहास देखें तो आप पाएंगे कि 3-4 वर्षों तक भी लोगों के रिटर्न नेगेटिव रहे हैं और यह मैं सिर्फ बी एस इ सूचकांक की बात कर रहा हूँ . कई शेयर तो कई सालों तक नेगेटिव रहे हैं या फिर उनमे ट्रेडिंग बंद होने का भी खतरा रहता है।"
आज महत्वपूर्ण बात यह है कि अब यह नए निवेशक क्या करें। सबसे पहले तो निराशा त्याग दें। भारत विश्व में अपना परचम लहराने की ओर अग्रसर है। आज भारत की अर्थव्यवस्था विश्व में पांचवें स्थान पर है और कुछ ही वर्षों में हम टॉप तीन देशों में शामिल होंगे। इसका अर्थ यह है कि शेयर बाजार को भी आगे बढऩा ही है, लेकिन यह चाल तमाम उतार चढ़ावों से गुजरेगी।
यह एक बड़े आनंद की बात है कि युवा निवेशक उत्साह दिखा कर बाजार में निवेश कर रहे हैं और लेकिन यह भी उतना ही आवश्यक है कि वह एक लॉन्ग टर्म निवेशक बनें जिससे कि देश की प्रगति में उनको भी हिस्सेदारी मिल सके। इसके लिए कुछ बातें ध्यान रखना बहुत आवश्यक है, जैसे अपने निवेश का ध्यान से निरीक्षण करें, अर्थात पोर्ट्फोलीओ में पर्याप्त तरलता है या नहीं। यदि नहीं तो 6-8 महीने के घर खर्च के बराबर की धनराशि अपने बैंक खाते में रखें जो किसी कठिन परिस्थिती में काम आ सकते हैं। अगले 3-5 वर्षों में आने वाले खर्चों का जायजा लें और उनको कम रिस्क वाले निवेश साधनों में निवेश करें और इक्विटी म्यूचूअल फंड हो या शेयर उनको लंबी अवधि की जरूरतों को पूरा करने के लिए रखें। सोशल मीडिया पर कुकुरमुत्ते की तरह उग आए 'इन्फ़्लुएनसर्स', तथाकथित विशेषज्ञों में अंध श्रद्धा मत दिखाइए। इनमे से कई ऐसे होते हैं जो सिर्फ सब्ज बाग बेचते हैं।
आज भी अधिकतर निवेशकों का घाटा कागज पर ही है, यदि अच्छी कंपनियों के शेयर लिए हुए हैं तो उनका भाव बढऩा ही चाहिये, ऐसे में यदि धन की आवश्यकता न हो तो घबराना नहीं चाहिए और कागज पर के घाटे को वास्तविक घाटे में तब्दील नहीं करना चाहिए। इसको इस इस तरह से समझें, आज जिन कंपनियों के शेयर के भाव 30-35त्न गिर गए हैं क्या उन कंपनियों के मालिकों ने , कंपनियों ने काम करना बंद कर दिया है ? नहीं ना, यदि कंपनियां मुनाफा बनायेंगी तो शेयर धारकों को उसका फायदा मिलेगा बस धैर्य दिखाने की आवश्यकता है।
रीटेल निवेशकों के लिए शेयर बाजार में भागीदारी का अच्छा साधन म्यूचूअल फंड है। जहां आपके पैसे प्रोफेशनल फंड मैनेजर निवेश करते हैं। इन फंड मैनेजरों के पास रिसर्च विशेषज्ञ होते हैं जिनका काम शेयर खरीदने से पहले कंपनियों की पूरी जानकारी हासिल करना होता है जो एक रीटेल निवेशक के लिए बड़ा ही मुश्किल काम है क्योंकि इतने संसाधन नहीं होते और न ही इतना समय होता है। म्यूचूअल फंड के जरिए निवेश करने से गलतियों की संभावना बहुत कम हो जाती हैं। हर महीने छोटी धनराशि से शुरू करके धीरे धीरे यथा शक्ति निवेश की राशि बधाई जा सकती है।
सबसे महत्वपूर्ण बात, युवा पीढ़ी का शेयर बाजार में निवेश करना स्वागत योग्य कदम है। विकसित देशों के मुकाबले भारत में रीटेल निवेशकों की भागीदारी नगण्य है। देश की अर्थव्यवस्था तो पटरी पर दौड़ रही है, शेयर बाजार ने भी भरपूर लाभ दिया है परंतु भारतीय शेयर बाजार का अधिकतर फायदा विदेशी निवेशक ले जाते हैं और हमारी हिस्सेदारी कम होने के कारण और धैर्य के अभाव के कारण लाभ से वंचित रह जाते हैं।
(प्रख्यात फाइनेंशियल कोच और दोहानॉमिक्स के लेखक)