जानिए रिटायरमेंट फंड के लिए कितना बेहतर है PPF में निवेश, इन विकल्पों पर भी कर सकते हैं विचार
PPF Accountजो लोग नौकरीपेशा नहीं है अर्थात जो वेतनभोगी कर्मचारी नहीं है वे पीपीएफ के माध्यम से अपना रिटायरमेंट फंड तैयार कर सकते हैं।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। व्यक्ति की काम करने की एक उम्र होती है। 50 से 60 साल तक की आयु होने के बाद लोगों की कार्यक्षमता घट जाती है। इसके बाद व्यक्ति के पास मासिक आय का कोई मजबूत स्रोत नहीं रह पाता है। ऐसे में रिटायरमेंट के बाद की जरूरतों को पूरा करना किसी के लिए भी चुनौती भरा हो सकता है। इस स्थिति से बचने के लिए ही रिटायरमेंट फंड तैयार करने की सलाह दी जाती है। व्यक्ति जितनी कम आयु में रिटायरमेंट फंड के लिए निवेश करना शुरू करता है, उतना ही बढ़ा फंड उसे रिटायरमेंट के बाद मिल पाता है। रिटायरमेंट फंड तैयार करने के लिए पब्ल्कि प्रोविडेंट फंड (PPF) एक लोकप्रिय योजना है। आइए जानते हैं कि यह कितनी लाभप्रद है।
किन लोगों के लिए है पीपीएफ योजना
पब्लिक प्रोविडेंट फंड उन लोगों के लिए है, जिन्हें ईपीएफ का फायदा नहीं मिल पाता है। ईफीएफ (EPF) वेतनभोगी लोगों के लिए रिटायरमेंट फंड तैयार करने का माध्यम है। जो लोग नौकरीपेशा नहीं है अर्थात जो वेतनभोगी कर्मचारी नहीं है, वे पीपीएफ के माध्यम से अपना रिटायरमेंट फंड तैयार कर सकते हैं। इस योजना में निवेशक 1.5 लाख रुपये आयकर भी बचा सकता है।
पीपीएफ में होता है मोटा मुनाफा
पीपीएफ योजना में ग्राहकों को 7.1 फीसद का गारंटीड रिटर्न प्राप्त होता है। इस योजना में मैच्योरिटी की अवधि 15 साल होती है। निवेशक चाहें तो 15 साल से अधिक समय तक भी निवेश जारी रख सकते हैं। अगर कोई निवेशक 25 साल की आयु में पीपीएफ में निवेश शुरू करता है और वह 60 साल की आयु तक हर महीने 3,000 रुपये पीपीएफ अकाउंट में जमा कराता है, तो वह 7.1 फीसद की ब्याज के हिसाब से मैच्योरिटी के समय 54.47 लाख रुपये का फंड प्राप्त कर सकता है।
जानिए पीपीएफ के अलावा और क्या हैं विकल्प
पीपीएफ डेट में निवेश का एक माध्यम है। यह एक जोखिम रहित निवेश योजना है। वहीं, इक्विटी में निवेश कर लंबी अवधि में अधिक रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है। हालांकि, इसमें जोखिम रहता है। लंबी समय में बेहतर रिटर्न पाने के लिए इक्विटी म्युचुअल फंड्स में निवेश किया जा सकता है। इसके अलावा नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) भी एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। यहां निवेशक जोखिम उठाने की क्षमता के मुताबिक फंडों का चयन कर सकता है। एक्सपर्ट के अनुसार, निवेशक को अपने निवेश को डाइवर्सिफाइ करते हुए चलना चाहिए।