Move to Jagran APP

Happy New Year 2019: नए साल में निवेश में कहां बरतें सावधानी और जानें कहां बनेगा मोटा पैसा

वर्ष 2019 के दौरान निवेशक अगर थोड़ी सूझबूझ दिखाएं तो वो अपने नुकसान को बेहद कम और फायदे की गुंजाइश को बढ़ा सकते हैं

By Praveen DwivediEdited By: Published: Tue, 25 Dec 2018 12:21 PM (IST)Updated: Sun, 30 Dec 2018 01:03 PM (IST)
Happy New Year 2019: नए साल में निवेश में कहां बरतें सावधानी और जानें कहां बनेगा मोटा पैसा
Happy New Year 2019: नए साल में निवेश में कहां बरतें सावधानी और जानें कहां बनेगा मोटा पैसा

नई दिल्ली (प्रवीण द्विवेदी)। वर्ष 2018 निवेश के लिहाज से खट्टे-मीठे अनुभवों वाला रहा है। सरकार की ओर से किए गए तमाम कर सुधारों, मांग एवं आपूर्ति के लिहाज से निवेश विकल्पों पर मिलने वाले रिटर्न में आए उतार-चढ़ावों और वैश्विक एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की हचललों के चलते निवेशकों को परंपरागत निवेश विकल्पों के इतर अन्य विकल्पों में हाथ आजमाने पर मजबूर होना पड़ा है। वहीं नया साल 2019 उन निवेशकों के लिहाज से काफी मुफीद माना जा रहा है जो जोखिम के साथ मोटा मुनाफा कमाने को तैयार रहते हैं। जानिए बतौर निवेशक किन विकल्पों में निवेश करने से पहले आपको सावधान रहना चाहिए और कहां आप अपने निवेश पर बेहतरीन रिटर्न पाने की उम्मीद कर सकते हैं। हमने इस विषय पर पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट अजय केडिया से विस्तार से बात की है।

loksabha election banner

वर्ष 2019 के दौरान निवेशक इन विकल्पों पर हाथ आजमाने से पहले बरतें सावधानी, न करें ज्यादा रिटर्न की उम्मीद

प्रॉपर्टी में निवेश: अजय केडिया ने बताया, "अगर बीते 4 वर्षों की बात करें तो इस इंडस्ट्री में सुधार एवं विस्तार बेहद कम दिखा है। इसमें एक ठहराव की स्थिति देखने को मिली है। अगर इकोनॉमी बेहतर होती है तो प्रॉपर्टी सेक्टर के बेहतरी की उम्मीद न के बराबर होती है। वहीं रेरा के कार्यान्वयन, इसमें हुए संशोधनों एवं इसके लूपहोल्स के कारण भी यह स्थिति देखने को मिली है। इसके अलावा जीएसटी की दरों ने भी इस सेक्टर को बेहतर करने से रोक रखा है।"

केडिया ने बताया कि प्रॉपर्टी पर जीएसटी की दर 12 फीसद, इसकी ऑपरेशनल कॉस्ट 6 फीसद और एक से दो फीसद का एजेंट कमीशन जोड़ दें तो प्रॉपर्टी पर करीब 20 फीसद तक का टैक्स लागू हो रहा है। ऐसे में अगर यह सेक्टर 35 फीसद तक का रिटर्न न दो इसमे निवेश करना घाटे का ही सौदा माना जाएगा।

उन्होंने बताया कि अगर सप्लाई के आधार पर देंखे तो साल 2018 में प्रॉपर्टी की आपूर्ति काफी रही है और इसके वर्ष 2019 में भी अधिक रहने का अनुमान है। काफी सारे प्रोजक्ट के वर्ष 2019 में पूरा होने का अनुमान है और प्रधानमंत्री आवास योजना के कारण भी बाजार में आपूर्ति में और तेजी देखने को मिल सकती है। सप्लाई बढ़ने पर प्रॉपर्टी पर निवेश में भी इजाफा नहीं होता है। प्रॉपर्टी की वर्तमान आपूर्ति को देखते हुए और इस सेक्टर में बढ़ते उपभोग के मद्देनजर इस सेक्टर में निवेश पर अच्छा रिटर्न लगभग असंभव सा मालूम देता है।

नए साल में गोल्ड में भी निवेश से बचेंगे निवेशक: केडिया ने बताया कि भारत में गोल्ड को लिक्विडिटी एसेट्स माना जाता है। भारत में लोग गोल्ड को पर्चेज से ज्यादा कंज्यूम (उपभोग) करते हैं। वर्ष 2013 की बात करें तो भारत सोने (गोल्ड) का सबसे ज्यादा आयात करने वाला देश था, उस वक्त तक करीब 1000 टन सोना आयात होता था। वहीं अगर आखिरी पांच वर्षों का परिदृश्य देखें तो इस आयात में 25 फीसद तक की कटौती देखने को मिली है। इस कटौती के साथ ही भारत का आयात 700 से 750 टन तक आ पहुंचा है।

इसलिए वर्ष 2019 में निवेश के लिहाज से गोल्ड बेहतर नहीं रह गया है क्योंकि इक्विटी मार्केट काफी बेहतर कर रहा है। गोल्ड के प्रति लोगों के इस नकारात्मक रूझान की दो प्रमुख वजहें हैं। पहला सरकार ने सोने के आयात पर 10 फीसद की इंपोर्ट ड्यूटी (आयात शुल्क) लगा रखी है। वहीं दूसरी तरफ सरकार ने 2 लाख से ज्यादा के सोने के लेन-देन पर पैन कार्ड अनिवार्य कर दिया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दक्षिण भारत की शादियों में न्यूनतम 500 से 600 ग्राम सोने की खपत हो ही जाती है ऐसे में सोचकर देखिए कि पैन कार्ड की अनिवार्यता इन निवेशकों को कितना हतोत्साहित करती होगी।

वर्ष 2015 में सोना 5,800 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर था और वर्ष 2018 आते आते यह 30,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर आ चुका है। वहीं वर्ष 2018 में यह 31,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आस-पास कारोबार कर रहा है। लिहाजा निवेशक वर्ष 2019 में इसमें ज्यादा तेजी की उम्मीद न करें। इसमें 7 से 8 फीसद का ही स्टैंडर्ड गेन मिल सकता है।

वर्ष 2019 के दौरान निवेशक इन विकल्पों पर आजमाएं हाथ, जानें कहां बन सकता है मोटा मुनाफा: केडिया ने बताया कि मोटा मुनाफा कमाने वालों के लिए आमतौर पर सुझाए जाने वाले विकल्प दो प्रकार के होते हैं।

  • एग्रेसिव: जोखिम लेने को तैयार रहने वाले निवेशकों के लिए
  • पैसिव: कम जोखिम में मोटे मुनाफे की उम्मीद करने वाले निवेशकों के लिए

एग्रेसिव निवेशकों के लिए ये हैं दो विकल्प।

करेंसी मार्केट: अजय केडिया ने बताया कि बीते 2 से तीन वर्षो के भीतर करेंसी मार्केट निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प के तौर पर उभरा है। इस मार्केट ने निवेशकों को मुनाफे की तमाम संभावनाएं उपलब्ध कराईं हैं। बीते 2 महीनों में रुपया 6 फीसद तक का करेक्शन दिखा चुका है। जब देश की इकोनॉमी बेहतर होती है तो रुपये में भी सुधार होता है। हाल के ही कुछ वर्षों में रुपये में लगातार सुधार दिखा है। वर्ष 2013 में रुपया डॉलर के मुकाबले 70 के स्तर पर कारोबार कर रहा था, वहीं इसने वर्ष 2014 में 58.32 का स्तर भी छुआ। इस हिसाब से इसमें करीब 13 फीसद का रिटर्न मिला। आमतौर पर इलेक्शन पीरियड के दौरान करेंसी में मजबूती देखने को मिलती है। वहीं वर्ष 2019 में इकोनॉमी के बूस्ट होने के चलते करेंसी के और तेज होने की संभावनाएं बढ़ गईं हैं। माना जा रहा है कि वर्ष 2019 में रुपया डॉलर के मुकाबले 63 का स्तर भी छू सकता है जो कि वर्तमान में 70 के आस-पास ट्रेड कर रहा है। इस हिसाब से इसमें 10 से 12 फीसद के रिटर्न की गुंजाइश नजर आ रही है।

इक्विटी मार्केट: शेयर मार्केट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स के चलते बेशक इक्विटी मार्केट में गिरावट देखने को मिली है। लेकिन जैसा कि इंडियन इकोनॉमी उपभोग आधारित इकोनॉमी है और कंज्म्पशन आधारित स्टॉक्स में गिरावट कम ही देखने को मिलती है। देश में बढ़ती आबादी के चलते उपभोग भी बढ़ रहा है, लिहाजा वर्ष 2019 में इससे जुड़े स्टॉक्स से बेहतर मुनाफा मिलने की उम्मीद तेज है। 

पैसिव: पैसिव में भी आप दो विकल्पों को आजमा सकते हैं। ये दोनों बी बेहतर मुनाफा दे सकते हैं।

म्युचुअल फंड्स: अगर निवेश के पैसिव विकल्पों की बात करें तो म्युचुअल फंड में डायरेक्ट निवेश बेहतर विकल्प माना जाता है। जैसा कि म्युचुअल फंड मार्केट में पारदर्शिता बढ़ी है और डिजिटल मोड के कारण लोगों तक इसकी पहुंच आसान हुई है लिहाजा वर्ष 2019 में इसके बेहतर रिटर्न देने की उम्मीद ज्यादा है। हाल के ही कुछ वर्षों की बात करें तो इसका सीएजीआर 13 से 14 फीसद रहा है। केडिया ने कहा, "वर्ष 2019 में तीन प्रमुख फंड्स के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है जो कि बैंकिंग फाइनेंस से जुड़े हुए हैं, जिनमें ICICI प्रुडेंशियल बैंकिंग एंड फाइनेंशियल सर्विस ग्रोथ, आदित्य बिरला सनलाइफ बैंकिंग फाइनेंस सर्विस ग्रोथ और Mirae म्युचुअल फंड का ग्रेट कंज्यूमर फंड्स शामिल हैं।"

IPO मार्केट: वर्ष 2019 में आईपीओ मार्केट के भी बेहतर करने की उम्मीद है। वर्ष 2018 में काफी सारी कंपनियों के आईपीओ का आना प्रस्तावित था, लेकिन वो किन्हीं कारणों से लंबित रह गए। अब उनके वर्ष 2019 में आने की उम्मीद है। जो आईपीओ 2019 में आ सकते हैं उनमें ये प्रमुख हैं।

  • लोढ़ा डेवलपर्स
  • पतंजलि
  • आईआरसीटीसी
  • एनएसई
  • कल्याण ज्वैलर्स
  • यूटीआई म्युचुअल फंड्स

जानकारी के लिए आपको बता दें कि आमतौर पर वो ही कंपनियां अपना आईपीओ लाने का फैसला करती हैं जिनमें तेजी जारी होती है और आगे भी तेजी रहने की संभावना तेज रहती है।

यह भी पढ़ें: Year Ender 2018: आधार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, वैधानिकता पर लगी मुहर-गैर जरूरी इस्तेमाल पर रोक

Year Ender 2018: जानें शेयर मार्केट में LTCG टैक्स के किस बदलाव ने बढ़ाई निवेशकों की चिंता


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.