Move to Jagran APP

फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान बनाम फिक्स्ड डिपॉजिट, जानिए आपके लिए कौन ज्यादा बेहतर

जानिए फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान और फिक्स्ड डिपॉजिट में से आपके लिए क्या बेहतर

By Praveen DwivediEdited By: Published: Tue, 03 Apr 2018 05:00 PM (IST)Updated: Sun, 22 Apr 2018 10:49 AM (IST)
फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान बनाम फिक्स्ड डिपॉजिट, जानिए आपके लिए कौन ज्यादा बेहतर
फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान बनाम फिक्स्ड डिपॉजिट, जानिए आपके लिए कौन ज्यादा बेहतर

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। नए वित्त वर्ष 2018-2019 की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में आपके लिए बेहतर रहेगा कि आप अपने बीते साल की बचत और निवेश योजनाओं की समीक्षा करें और उन गलतियों से बचें जो कि आपने वित्त वर्ष 2018 में की थीं। यानी नए वित्त वर्ष में आपको तमाम जानकारी और रिसर्च करने के बाद ही निवेश का फैसला लेना चाहिए।

loksabha election banner

हम अपनी इस खबर में आपको फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान और फिक्स्ड डिपॉजिट के बीच तुलना करके बताएंगे कि आपके लिए कौन सा ज्यादा बेहतर रहेगा। पहले समझिए आखिर दोनों में क्या है अंतर।

फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान: निवेशकों के बीच फिक्स्ड डिपॉजिट एक पॉपुलर निवेश विकल्प है। क्योंकि इसमें एक निश्चित रिटर्न की पेशकश की जाती है। वहीं म्युचुअल फंड उद्योग से जुड़ी भी एक योजना है जिसे फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान कहते हैं।

क्या है फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान?

फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (एफएमपी) या फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान एक क्लोड एंडेड डेबिट फंड होते हैं। इनका एक निश्चित मैच्योरिटी पीरियड होता है, तीन या सात साल का। फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान लॉन्च के समय तय अवधि के दौरान केवल सदस्यों के लिए खुले होते हैं और इसी वजह से इन्हें क्लोड एंडेड डेबिट फंड कहा जाता है। ये शेयर बाजार में सूचीबद्ध होते हैं और इनका पैसा मनी मार्केट से जुड़े निवेश विकल्पों जैसे कि सरकारी प्रतिभूतियां, कॉर्पोरेट बॉण्ड, कमर्शियल पेपर, सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट और ट्रेजरी बिल। ऐसे में इस पर मिलने वाला रिटर्न पहले से तय नहीं होता है। वहीं दूसरी तरफ एफडी में निवेशकों को एक निश्चित मैच्योरिटी पीरियड तक बैंक या फिर वित्तीय संस्थाओं के साथ अपने पैसे को निवेश करने की अनुमति मिलती है। ऐसे में इसमें एफडी खाता खोले जाने के समय ही रिटर्न तय हो जाता है।

टैक्स बचत: फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान बनाम फिक्स्ड डिपॉजिट: एफएमपी इंडेक्सेशन बेनिफिट प्रदान करते हैं, जिसका मतलब है कि टैक्स देने के बाद एफएमपी के जरिए ज्यादा रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं। एफएमपी पर मिलने वाले लाभ/ रिटर्न को कैपिटल गेन कहा जाता है। वहीं एफडी में ब्याज आय को निवेशक की आय में जोड़ दिया जाता है और तय टैक्स स्लैब के आधार पर इस पर टैक्स लागू होता है। इसे टैक्स की सीमांत दर के रूप में भी जाना जाता है।

लिक्विडिटी फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान बनाम फिक्स्ड डिपॉजिट: मान लीजिए कि आपको पैसों की तत्काल जरूरत है। जाहिर तौर पर ऐसे में आप अपने निवेश को वापस नहीं पाना चाहेंगे। यहां पर एफडी आपके काम आ सकती है क्योंकि इसमें मैच्योरिटी से पहले निकासी की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है, जबकि फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान एक निश्चित मैच्योरिटी प्लान के साथ आते हैं।

दोनों में कौन ज्यादा सिक्योर: अगर बात सिक्योरिटी की करें तो फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान बनाम फिक्स्ड डिपॉजिट में फिक्स्ड डिपॉजिट थोड़ी ज्यादा सेफ होती है क्योंकि यहां मिलने वाला रिटर्न फिक्स्ड रहता है और यहां निवेशक निश्चिंत हो सकते हैं, जबकि फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान में रिटर्न मनी मार्केट के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.