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पहली बार कर रहे हैं म्युचुअल फंड्स में निवेश तो ध्यान रखें ये 5 बातें

निवेशकों को अपना पैसा उस विशेष फंड में लगाना चाहिए जो उनकी जरूरतों को पूरा करता हो। जागरण डॉट कॉम की टीम पहली बार म्युचुअल फंड्स में निवेश करने वाले निवेशकों को कुछ अहम बातें बताने जा रही है।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Wed, 26 Oct 2016 07:22 PM (IST)Updated: Wed, 26 Oct 2016 09:57 PM (IST)
पहली बार कर रहे हैं म्युचुअल फंड्स में निवेश तो ध्यान रखें ये 5 बातें

नई दिल्ली। शेयर बाजार में निवेश करने का सबसे आसान और सुरक्षित जरिया म्युचुअल फंड है। लेकिन जरूरी नहीं है कि म्युचुअल फंड में निवेश हमेशा फायदेमंद ही होगा। जो लोग पहली बार म्युचुअल फंड में निवेश कर रहे होते हैं उनके लिए ढ़ेरों फंड्स में से अपनी जरूरत और लक्ष्य के हिसाब से फंड का चुनाव, उनकी पर्फोर्मेंस ट्रैक करना आसान काम नहीं होता। वास्तव में स्कीम में निवेश करने से पहले कई चीजें ध्यान में रखनी चाहिए। सबसे पहला फैक्टर चयन होता है। निवेशकों को अपना पैसा उस विशेष फंड में लगाना चाहिए जो उनकी जरूरतों को पूरा करता हो। जागरण डॉट कॉम की टीम पहली बार म्युचुअल फंड्स में निवेश करने वाले निवेशकों को कुछ अहम बातें बताने जा रही है।

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अगर म्युचुअल फंड्स में कर रहे है पहली बार निवेश तो ध्यान रखें यह कुछ बातें

लक्ष्य से जुड़ा हो आपका निवेश:

आपका हर निवेश आपके लक्ष्यों की सारी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होना चाहिए। निवेश से पहले सुनिश्चित कर लें कि आपकी असल जरूरतें क्या हैं? उसके बाद फैसला करें कि कितनी राशि निवेश करनी है। अपनी जरूरतों को समझने के बाद ही आप निवेश से अच्छा रिटर्न्स हासिल कर सकते हैं।

पहचानिए अपनी जोखिम उठाने की क्षमता:

अपने लक्ष्यों को पहचानने के बाद यह देखें कि आप कितना जोखिम उठा सकते हैं। यह आप कई वेबसाइट्स पर जाकर जांच सकते हैं। इसमें सवाल दिए होते हैं जिसके जवाब देने पर वे आपको आपकी रिस्क प्रोफाइल बता देते हैं।

मुख्य रुप से तीन तरह के निवेशक होते हैं- कंजर्वेटिव, मॉडरेट और एग्रेसिव।

  • एग्रेसिव निवेशक वे होते हैं जो इक्विटी में ज्यादा निवेश करते हैं जैसे इंडिविजुअल स्टॉक्स और म्युचुअल फंड्स। इनकी जोखिम उठाने की क्षमता ज्यादा होती है। ये अपने पोर्टफोलियो में तेजी से ग्रोथ की अपेक्षा करते हैं और इनमें से कई डे ट्रेडर्स भी होते हैं। ये डेट म्युचुअल फंड्स में निवेश ज्यादा करते हैं। इनके लिए न्यूनतम टाइमफ्रेम 15 वर्ष होता है। इस तरह के निवेशक 12 से 14 फीसदी तक के रिटर्न की उम्मीद रखते हैं।
  • मॉडरेट निवेशक की जोखिम क्षमता थोड़ी सी ज्यादा होती है। यह पांच वर्ष से अधिक समय के लिए निवेश करते हैं।
  • कंसर्वेटिव निवेशक वे होते हैं जिनकी जोखिम क्षमता कम होती है। यह अधिकतम तीन वर्ष के लिए निवेश करते हैं। यह इक्विटी से दूर रहते हैं। यह रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट, इंडिविजुअल बॉन्ड, बॉन्ड फंड्स आदि में निवेश करते हैं। टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन का कहना है कि इन निवेशकों को डेट फंड में ज्यादा निवेश करना चाहिए। यदि आप 15 दिन या एक महीने के लिए निवेश करना चाहते हैं तो लिक्विड फंड में निवेश करें।
स्कीम के प्रदर्शन को साल में एक बार जरूर जांचे:

जब भी आप निवेश करते हैं तो वर्ष में एक बार स्कीम का प्रदर्शन जरूर जांच लें। ऐसा इसलिए क्योंकि जरूरी नहीं है कि एक स्कीम आजीवन अच्छा प्रदर्शन ही करे। पिछले समय में किसी स्कीम के अच्छे प्रदर्शन का मतलब यह बिल्कुल नहीं होता कि यह भविष्य में भी अच्छा ही रिटर्न देगा।

बैलेंस्ड फंड्स में करें निवेश:

टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन का कहना है कि पहली बार म्युचुअल फंड्स में निवेश करने वालों को बैलेंस्ड फंड्स का चयन करना चाहिए। जो निवेशक तीन वर्ष की अवधि में कम जोखिम उठाते हुए निवेश करना चाहते हैं उनके लिए बैलेंस्ड फंड्स होते हैं। यह ऐसे निवेशकों के लिए बेहतर हैं जो न्यूनतम पांच वर्ष के लिए निवेश करना चाहते हैं।

कब म्यूचुअल फंड्स से नहीं मिलता फायदा:

निश्चित रिटर्न पाने के लिए म्यूचुअल फंड एक सही विकल्प नहीं है। जैसे कि यह इक्विटी और फिक्स्ड इनकम मार्केट में निवेश करते हैं तो इसका रिटर्न बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है।


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