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किसे चुनें: ईएलएसएस एनपीएस या पीपीएफ

बचत करने वालों द्वारा पूछा जाने वाला एक आम सवाल है कि नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) व पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ) में से किसे चुनें। यह सवाल अतार्किक नहीं है। मोटे तौर पर इन दोनों स्कीमों में निवेश का उद्देश्य समान है। वित्त वर्ष के अंत में जब बचतकर्ता टैक्स बचाने के ि

By Edited By: Published: Sun, 06 Apr 2014 09:07 PM (IST)Updated: Mon, 07 Apr 2014 10:44 AM (IST)
किसे चुनें: ईएलएसएस एनपीएस या पीपीएफ

बचत करने वालों द्वारा पूछा जाने वाला एक आम सवाल है कि नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) व पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ) में से किसे चुनें। यह सवाल अतार्किक नहीं है। मोटे तौर पर इन दोनों स्कीमों में निवेश का उद्देश्य समान है। वित्त वर्ष के अंत में जब बचतकर्ता टैक्स बचाने के लिए अपना टैक्स सेविंग कोटा समाप्त होने की समस्या से रूबरू होते हैं, तब ये दोनों स्कीमें समतुल्य होती हैं। ये एक-दूसरे की विकल्प भी हैं, क्योंकि दोनों ही धारा 80सी के तहत एक लाख रुपये के टैक्स छूट दायरे में आती हैं।

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टैक्स बचत को छोड़ दिया जाए तो ये दोनों स्कीमें पूरी तरह से एक-दूसरे से अलग हैं। पीपीएफ को लोग अच्छी तरह से समझते हैं, क्योंकि यह एक अच्छा पुराना फिक्सड डिपॉजिट है, साथ ही यह केंद्र सरकार द्वारा संचालित है। इसमें जमा होने वाली रकम 16 साल तक के लिए लॉक होती है। हालांकि सात साल के बाद आंशिक निकासी की जा सकती है। इसके ब्याज व मूलधन की निकासी पूरी तरह से टैक्स मुक्त है। ब्याज तत्कालीन बैंक एफडी के ब्याज से मामूली रूप से कम होता है, लेकिन टैक्स बेसिस पर यह रिटर्न एफडी से ज्यादा होता है।

वहीं, एनपीएस पूरी तरह से रिटायरमेंट सेविंग सिस्टम है। इसमें रकम 60 साल की उम्र तक के लिए लॉक होती है। सेवानिवृत्ति के बाद भी 40 फीसद रकम अनिवार्य रूप से बीमा कंपनियों के एन्युटी उत्पादों में जमा करनी होती है। इससे आपको जीवनभर के लिए नियमित आय सुनिश्चित होती है। इसके अलावा एनपीएस बाजार से जुड़ा उत्पाद है। इसमें आप 50 फीसद रकम के लिए इक्विटी निवेश विकल्प चुन सकते हैं। इससे एफडी के मुकाबले इसका रिटर्न काफी ज्यादा रह सकता है। हालांकि एनपीएस का यह रिटर्न करयोग्य है। रकम निकालने पर आपको कैपिटल गेन टैक्स देना होगा।

सबसे साफ सुथरा इक्विटी आधारित बचत विकल्प असल में पुराने ईएलएसएस म्यूचुअल फंड ही हैं। हालांकि इनकी प्रबंधन लागत एनपीएस की तुलना में ज्यादा है। इक्विटी इन्वेस्टमेंट होने के कारण इन पर न तो कोई टैक्स देनदारी होती है, और न ही समय सीमा की कोई लंबी बंदिश। निवेश के समय भी इन्हें पीपीएफ व एनपीएस के समान ही एक लाख तक की टैक्स छूट सीमा का लाभ हासिल है। इनमें निवेश का लॉक इन पीरियड केवल तीन साल है। लॉक इन अवधि कम होने के कारण ईएलएसएस शुद्ध रूप से रिटायरमेंट सेविंग विकल्प नहीं हैं, लेकिन इनमें दूसरे विकल्पों से ज्यादा लाभ है।

धीरेंद्र कुमार


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