फ्लिपकार्ट डील को CCI की मंजूरी, अब आयकर विभाग में जाने की तैयारी कर रही वॉलमार्ट
फ्लिपकार्ट डील को सीसीआई से मंजूरी मिलने के बाद कर देनदारी का आकलन किए जाने को लेकर अमेरिकी दिग्गज कंपनी वॉलमार्ट आयकर विभाग के पास जाने की योजना बना रहा है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) के वॉलमार्ट और फ्लिपकार्ट डील को मंजूरी दिए जाने के बाद अमेरिकी कंपनी कर की देनदारी को लेकर आयकर विभाग जाने की तैयारी कर रही है।
फ्लिपकार्ट और वॉलमार्ट के बीच हुई 16 बिलियन डॉलर की डील को भारतीय ई-कॉमर्स के क्षेत्र में हुई अब तक का सबसे बड़ा डील माना जा रहा है।
आयकर विभाग को उम्मीद है कि सीसीआई से मंजूरी मिलने के करीब 15 दिनों के भीतर वॉलमार्ट टैक्स सर्टिफिकेट के लिए आवेदन देगा।
विभाग के एक अधिकारी ने बताया, 'हमें बताया गया है कि सीसीआई से मंजूरी मिलने के बाद एक हफ्ते के भीतर इस डील को पूरा कर लिया जाएगा। इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि वह आयकर विभाग की धारा 197 के तहत टैक्स छूट के लिए आवेदन देंगे।' आयकर विभाग की इस धारा के मुताबिक अपनी हिस्सेदारी बेचने वाले एनआरआई निवेशकों को यह बताना पड़ता है कि उन्हें क्यों कम टैक्स अदा करने की छूट दी जाए।
9 मई को वॉलमार्ट ने कहा था कि वह फ्लिपकार्ट में करीब 77 फीसद हिस्सेदारी खरीद के बदले 16 अरब डॉलर कर देने की घोषणा की थी।
फ्लिपकार्ट में जापान की सॉफ्टबैंक, नैस्पर्स, वेंचर फंड एसेल पार्टनर्स एंड ईबे की अधिकांश हिस्सेदारी थी, जिसे वह वॉलमार्ट को बेच रहे हैं। इसके साथ ही को-फाउंडर सचिन बंसल भी फ्लिपकार्ट की अपनी हिस्सेदारी वॉलमार्ट को बेच रहे हैं।
गौरतलब है कि वॉलमार्ट ने पिछले साल आयकर विभाग को कर देनदारी पूरा किए जाने के बारे में आश्वासन दिया था।
बेंगलुरू की कंपनी फ्लिपकार्ट ने मई में आयकर विभाग के साथ शेयर खरीद समझौते को साझा किया था और इसी आधार पर विभाग इस बात का आकलन कर रहा है कि फ्लिपकार्ट की हिस्सेदारी बेचने वाले निवेशकों से किस दर पर टैक्स लिया जाए, जो वॉलमार्ट को अपनी हिस्सेदारी बेच रहे हैं।
अधिकारी ने कहा, 'आयकर विभाग शेयर खरीदारी समझौते का आकलन कर रहा है। विभाग इस बात की जांच कर रहा है कि किस निवेशक ने किस अधिकार क्षेत्र के जरिए पैसे को भेजा है और क्या उन पर किसी समझौते से होने वाला फायदे का प्रावधान भी लागू होता है।'
आयकर विभाग आयकर कानून की धारा 9 (1) का आकलन कर रहा है जो इनडायरेक्ट ट्रांसफर प्रॉविजन के बारे में डील करता है ताकि इस बात का आकलन किया जा सके कि सिंगापुर और मॉरीशस जैसे देशों के साथ हुए कराधान संधि के मुताबिक विदेशी निवेशकों को अपनी हिस्सेदारी बेचने के मामले में कोई छूट मिल रही है या नहीं।
सिंगापुर में रजिस्टर्ड फ्लिपकार्ट प्राइवेट लिमिटेड ही फ्लिपकार्ट इंडिया में अधिकांश हिस्सेदारी रखती है।
मई में आयकर विभाग ने वॉलमार्ट को चिट्ठी लिखकर कहा था कि वह अपनी कर देनदारियों के बारे में विभाग से पूछ सकता है।
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