आपके क्रेडिट स्कोर पर असर डालते हैं ये 5 फैक्टर, जानिए
क्रेडिट स्कोर जितना अधिक होता है, उसे उतना ही बेहतर माना जाता है। एक डिफॉल्ट करने पर भी क्रेडिट स्कोर कमजोर हो सकता है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। हर किसी का सपना होता है कि उसका खुद का एक घर हो, खुद की एक गाड़ी हो और एक ऑफिस। घर खरीदने के लिए लोग सामान्यतया: लोन के लिए अप्लाई करते हैं। लेकिन बैंक से लोन लेना आसान नहीं होता है, क्योंकि बैंक तमाम मानकों पर परखने के बाद ही आपके लोन को मंजूरी देता है। इन मानकों में सबसे अहम होता है सिबिल स्कोर जिसे क्रेडिट स्कोर भी कहा जाता है। अगर यह बेहतर नहीं है तो आपको लोन लेने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। हम अपनी इस खबर में आपको जानकारी दे रहे हैं कि आपका क्रेडिट स्कोर किन फैक्टर्स पर निर्भर करता है।
क्या होता है क्रेडिट स्कोर और इसे कौन देता है: क्रेडिट स्कोर तीन अंको की एक संख्या होती है। यह संख्या 300 से 900 के बीच होती है। क्रेडिट स्कोर जितना अधिक होता है, उसे उतना ही बेहतर माना जाता है। एक डिफॉल्ट करने पर भी क्रेडिट स्कोर कमजोर हो सकता है। 79 फीसद व्यक्तिगत लोन 750 से ज्यादा के स्कोर पर ही अप्रूव किए जाते हैं। क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूारो (इंडिया) लिमिटेड (CIBIL) क्रेडिट स्कोर देता है, जो आपके पुराने वित्तीबय इतिहास के आधार पर तैयार किया जाता है। इसे तैयार करते वक्त सिबिल आपकी क्रेडिट हिस्ट्री को ध्यान में रखता है।
इन फैक्टर्स पर निर्भर करता है आपका क्रेडिट स्कोर:
लोन डिफॉल्ट: अगर आपने किसी बैंक से लोन ले रखा है तो आप उसका समय पर भुगतान कर दें, ऐसा न करने की सूरत में आपको नुकसान हो सकता है। यह आपके क्रेडिट स्कोर को कम भी कर देता है। इसके अलावा क्रेडिट कार्ड के बिल का लेट पेमेंट भी आपके स्कोर को प्रभावित कर सकता है। एक बार क्रेडिट स्कोर खराब होने के बाद उसे बेहतर करने में आपको काफी समय लग सकता है।
क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करना भी जरूरी: सिर्फ शो-ऑफ या शौक के लिए क्रेडिट कार्ड रखना भी गलत होता है। बैंक यह भी चेक करता है कि आपने जो क्रेडिट कार्ड ले रखा है उसका कितना और कैसे इस्तेमाल कितना किया है। आपके क्रेडिट स्कोर पर इसका बहुत गहरा असर पड़ता है। यानी सीमा से अधिक क्रेडिट का इस्तेमाल करने पर आपका स्कोर कम हो सकता है।
क्रेडिट लाइनों की उम्र भी होती है अहम: सामान्य शब्दों में इसका मतलब यह है कि आपका लोन अकाउंट या फिर क्रेडिट कार्ड जिसका आप इस्तेमाल करते हैं वो कितना पुराना है। क्रेडिट लाइन का सीधा मतलब होता है कि आप एक जिम्मेदार उधारकर्ता हैं और आप लम्बे समय से अपनी बकाया रकम का भुगतान करते आ रहे हैं। आपके क्रेडिट स्कोर पर इसका असर पड़ता है। यह आपकी आर्थिक सक्षमता को दर्शाता है।
चालू खातों की संख्या: आमतौर पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ता है फिर भी आपके क्रेडिट स्कोर की गणना के दौरान इनकी अहम भूमिका होती है। इसमें उन सभी एक्टिव अकाउंट्स की एक सूची रहती है, फिर वो चाहे वह लोन अकाउंट हो या करंट या सेविंग्स अकाउंट।
क्रेडिट इनक्वायरी की भी होती है अहम भूमिका: क्रेडिट स्कोर को तय करने में इसकी अहम भूमिका होती है। क्रेडिट इनक्वायरी आमतौर पर दो तरह की होती है। पहली हार्ड इनक्वायरी और दूसरी सॉफ्ट इनक्वायरी। हार्ड इनक्वायरी, बैंकों और फाइनेंशियल कंपनियों की तरफ से दी जाती है। कई बार हार्ड इनक्वायरी का सीधा मतलब होता है कि आप क्रेडिट चाहते हैं। वहीं दूसरी तरफ सॉफ्ट इनक्वायरी आपकी ओर से खुद का स्कोर चेक करने के लिए की गई क्वेरी ही होती है।