SBI को FY18 की चौथी तिमाही में हुआ 7718 करोड़ रुपये का घाटा
SBI को वित्त वर्ष 2018 की चौथी तिमाही में 7718 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। फंसे कर्ज यानी एनपीए के लिए ज्यादा प्रावधान और ग्रेच्युटी कानून में बदलाव के चलते भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) को बीती तिमाही (जनवरी-मार्च, 2018) में 7,718 करोड़ रुपये का भारी-भरकम घाटा हुआ है। पिछले साल छह बैंकों का विलय करने वाले एसबीआइ को वित्त वर्ष 2016-17 की इसी अवधि में 3,442 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। हालांकि उन छह बैंकों के नतीजे हटाने पर मार्च, 2017 तिमाही में एसबीआइ को 2,814.2 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था।
बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा, ‘पिछले साल हमने छह बैंकों का एसबीआइ में विलय किया था। इसलिए यह प्रदर्शन अकेले एसबीआइ का नहीं बल्कि सात बैंकों का है।’ पिछले साल एसबीआइ में उसके पांच सहयोगी बैंकों स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला और स्टेट बैंक ऑफ त्रवणकोर तथा भारतीय महिला बैंक का विलय किया गया था। वित्त वर्ष 2017-18 में बैंक को कुल 6,547 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। इससे पिछले वित्त वर्ष में बैंक का घाटा 1,805 करोड़ रुपये रहा था।बीती तिमाही में बैंक को एनपीए के लिए 24,080 करोड़ रुपये का प्रावधान करना पड़ा। एक साल पहले इसी अवधि में बैंक ने 19,323 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था।
बैंक के एनपीए की स्थिति भी खराब हुई है। समीक्षाधीन तिमाही में बैंक का ग्रॉस एनपीए 9.11 फीसद से बढ़कर 10.91 फीसद रहा। इसी दौरान नेट एनपीए 5.19 फीसद से बढ़कर 5.73 फीसद पर पहुंच गया। रजनीश कुमार ने बताया, ‘जहां तक एनपीए के आकलन का सवाल है, यह पूरा हो चुका है।
नतीजों के बाद कैसा रहा एसबीआई के शेयर्स का हाल-
तिमाही नतीजों में घाटा दर्ज करने के बावजूद बीएसई पर करीब 2.45 बजे एसबीआई के शेयर्स 3.30 फीसद की बढ़त के साथ 253.10 के स्तर पर कारोबार कर रहे हैं। इसका दिन का उच्चतम स्तर 259.90 का स्तर और निम्नतम 241.30 का स्तर रहा है। इस तरह 52 हफ्तों का उच्चतम 351.50 का स्तर और निम्नतम 232 का स्तर रहा है।