विस्तार-आधुनिकीकरण योजना ने किया सेल का कायाकल्प
सेल ने वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में 816 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया है। यह तीसरी तिमाही के 43 करोड़ रुपये का 19 गुना है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। उत्पादन क्षमता में विस्तार और अधिकतर प्लांटों को आधुनिक बनाने की स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी सेल की रणनीति ने कंपनी की तस्वीर बदल दी है। करीब दो साल पहले ऑपरेशनल प्रॉफिट अर्जित करना शुरू करने वाली सेल के वित्तीय प्रदर्शन में बड़ा निखार आया है। कंपनी ने लगातार दो तिमाही में शुद्ध लाभ अर्जित करने में सफलता प्राप्त की है।
सेल ने वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में 816 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया है। यह तीसरी तिमाही के 43 करोड़ रुपये का 19 गुना है। सेल के चेयरमैन पी. के. सिंह ने कहा कि कंपनी के प्रदर्शन में सुधार का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कर्मचारियों की ग्रेच्युटी के लिए 582 करोड़ रुपये का प्रावधान करने के बाद यह लाभ अर्जित किया गया है। सिंह बताते हैं कि सेल ने वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में कारोबार में 34 फीसद का इजाफा दर्ज करते हुए 16,811 करोड़ रुपये का शुद्ध कारोबार किया है। इतना ही नहीं कंपनी ने इस अवधि में अब तक का सर्वाधिक तिमाही कच्चा इस्पात उत्पादन किया है। इस दौरान कंपनी का उत्पादन करीब 40 लाख टन रहा।
सिंह के मुताबिक चौथी तिमाही में सेल के पांचों एकीकृत इस्पात संयंत्र फायदे में रहे। इससे आने वाली तिमाहियों में सेल वित्तीय प्रदर्शन के नए कीर्तिमान बनाने की स्थिति में होगी। सेल के कायाकल्प के लिए 8 साल पहले शुरू हुई आधुनिकीकरण व विस्तार परियोजना में न केवल उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दिया गया बल्कि लागत को कम करने के साथ-साथ बिक्री बढ़ाने की रणनीति पर भी काम हुआ। सिंह के मुताबिक कंपनी को इस मजबूत स्थिति में लाने में नए उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की रणनीति का बड़ा योगदान रहा। उन्होंने बताया कि हाल ही में सेल के भिलाई संयंत्र के ब्लास्ट फर्नेस 8 से हॉट मेटल तथा एसएमएस-3 से बिलेट्स का उत्पादन चालू हुआ है, जिससे सेल की उत्पादन क्षमता बढ़कर 210 लाख टन हो जाएगी। इस दिशा में सेल अपनी पूरी रणनीति, संसाधन और क्षमता के साथ काम कर रही है। उत्पादन क्षमता में विस्तार स्टील की प्रति व्यक्ति खपत पर भी निर्भर करता है जो मौजूदा समय में करीब 68 किग्रा है। इसका वैश्विक औसत 208 किग्रा प्रति व्यक्ति है।
नई इस्पात नीति ने बचाए 5,000 करोड़ रुपये
पिछले साल मई में नई इस्पात नीति की घोषणा के बाद से सरकार को 5,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचाने में सफलता मिली है। इस्पात सचिव अरुणा शर्मा ने यह जानकारी दी। इस्पात सचिव ने उत्पादन में हुई उल्लेखनीय वृद्धि का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि पिछले चार साल में कच्चे स्टील के उत्पादन की क्षमता में 2.4 करोड़ टन की वृद्धि हुई है। जापान को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक बन चुका है। अरुणा शर्मा ने कहा, ‘हम अभी रुकने नहीं जा रहे हैं।’