अफोर्डेबल हाउसिंग में सस्ते कर्ज के लिए RBI ने लोन सीमा को किया संशोधित
बुधवार को हुई RBI की MPC बैठक में बैंक ने पीएसएल के तहत हाउसिंग लोन सीमा को बढ़ा दिया है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को प्रायरिटी सेक्टर लेंडिंग (पीएसएल) के तहत लोन की सीमा बढ़ा दी है साथ ही सरकार ने बीमार पीएसयू की जमीन का इस्तेमाल आवास निर्माण करने का फैसला लिया है।
एक बयान में भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि केंद्रीय बैंक ने पीएसएल योग्यता के लिए हाउसिंग लोन सीमा को संशोधित कर दिया है। इस सीमा को मेट्रोपोलिटन शहरों के लिए 2.8 मिलियन रुपये से बढ़ाकर 3.5 मिलियन रुपये और अन्य सेंटर्स के लिए दो मिलियन रुपये से बढ़ाकर 2.5 मिलियन रुपये कर दिया है।
मोट्रोपॉलिटन शहर (10 लाख या उससे अधिक की जनसंख्या) के लिए आवास की लागत 4.5 मिलियन रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए वहीं, अन्य सेंटर्स के लिए यह सीमा 3 मिलियन से अधिक नहीं होनी चाहिए।
आरबीआई के बयान के बाद वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने ट्विट में कहा, “सभी के लिए घर को बड़ा बूस्ट मिलेगा। प्रायरिटी सेक्टर लेंडिंग के तहत होम लोन सीमा बढ़ाकर शहरों के लिए 3.5 मिलियन रुपये और इस तरह के लोन सस्ते बनाने के लिए अन्य सेंटर्स के लिए यह लागत 2.5 मिलियन रुपये रहेगी। ”
पीएसएल के तहत मिलने वाले लोन बैंकों की ओर से मुहैया कराए जाने वाले लोन की तुलना में सस्ते होते हैं। आरबीआई ने यह भी बताया कि इस संबंध में सर्कुलर इस महीने के अंत में जारी किया जाएगा।
घर खरीदारों को मिला कर्जदाता का कानूनी दर्जा
इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (अमेंडमेंट)-2018 से जुड़ा अध्यादेश अमल में आने के साथ ही देशभर के घर खरीदारों को परिचालन कर्जदाता का कानूनी दर्जा मिल गया है। सरकार द्वारा भेजे इस अध्यादेश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को मंजूरी दे दी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अध्यादेश घर खरीदारों को वित्तीय कर्जदाताओं का दर्जा देता है, जो उनके लिए बड़ी राहत की बात है।
यह अध्यादेश उन्हें कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) में वांछित प्रतिनिधित्व मुहैया कराएगा और दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही कंपनी के बारे में फैसला करने की प्रक्रिया का अभिन्न अंग बनाएगा। इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) के खंड-7 के तहत घर खरीदार अब कंपनी की दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने का भी अनुरोध कर सकते हैं। इसका तात्कालिक फायदा यह है कि दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही कंपनी के प्रमोटर भी उसकी बोली में शिरकत कर सकते हैं, बशर्ते वे कभी विलफुल डिफॉल्टर नहीं रहे हों।