कम नहीं हो रही अनिल अंबानी की मुश्किलें, ऑर्डर पूरा नहीं किए जाने पर नौसेना ने भुना ली RNEL की बैंक गारंटी
रिलायंस नैवल इंजीनियरिंग को पांच तटीय निगरानी जहाजों की आपूर्ति करनी थी, जिसमें हुई देरी के बाद नौसेना ने कंपनी की तरफ से दी गई बैंक गारंटी को भुना लिया। नौसेना ने कहा कि अब वह इस सौदे की समीक्षा कर रही है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। कारोबारी अनिल अंबानी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। रिलायंस कम्युनिकेशंस के भारी भरकम कर्ज को कम करने की कोशिशों के बीच भारतीय नौसेना की तरफ से उन्हें भारी झटका लगा है। रिलायंस नैवल इंजीनियरिंग (RNEL) के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करते हुए भारतीय नौसेना ने कंपनी की तरफ से दी हुई बैंक गारंटी को भुना लिया है।
रिलायंस नैवल इंजीनियरिंग को पांच तटीय निगरानी जहाजों की आपूर्ति करनी थी, जिसमें हुई देरी के बाद नौसेना ने कंपनी की तरफ से दी गई बैंक गारंटी को भुना लिया। नौसेना ने कहा कि अब वह इस सौदे की समीक्षा कर रही है।
नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नौसेना प्रमुख सुनील लांबा ने कहा, ‘आरएनईएल को कोई विशेष रियायत नहीं दी गई। इसकी बैंक गारंटी को भुना लिया गया है। कंपनी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई है। इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है।’
नौसेना प्रमुख से निगरानी जहाजों की डिलीवरी में हो रही देरी को लेकर सवाल पूछा गया था। उनसे पूछा गया कि क्या वह कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने के मामले में किसी दबाव का सामना तो नहीं कर रहे हैं।
लांबा ने कहा कि फिलहाल इस सौदे को रद्द नहीं किया गया है लेकिन इस बारे में विचार जरूर किया जा रहा है। उन्होंने इस मामले में सरकार की तरफ से कार्रवाई के संकेत जरूर दिए। नौसेना प्रमुख ने कहा कि कंपनी कर्ज पुनर्गठन की प्रक्रिया से गुजर रही है। नौसेना प्रमुख की तरफ से की गई कार्रवाई पर कंपनी की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
गौरतलब है कि अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस 58,000 करोड़ रुपये के रफाले डील से जुड़े विवाद के केंद्र में है। कांग्रेस ने सरकार पर इस कंपनी की मदद करने का आरोप लगाया है। हालांकि कंपनी और सरकार ने विपक्ष के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।
मूल कॉन्ट्रैक्ट दरअसल पीपावाव डिफेंस एंड ऑफशोर इंजीनियरिंग कंपनी को 2011 में दिया गया था। इस कॉन्ट्रैक्ट के तहत कंपनी को नौसेना को पांच तटीय निगरानी जहाजों की आपूर्ति करनी थी। 2016 में इस कंपनी को अनिल अंबानी ने खरीद लिया। मूल कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक पहले जहाज की आपूर्ति 2015 की शुरुआत में की जानी थी लेकिन इस डेडलाइन को अब तक पूरा नहीं किया जा सका है।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में कंपनी का शेयर करीब 3 फीसद की तेजी के साथ 14 रुपये के आस-पास ट्रेड कर रहा है। इस साल अब तक कंपनी के शेयर में करीब 72 फीसद की गिरावट आई है।
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