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डाटा स्टोरेज मामले में पेटीएम और अमेरिकी कंपनियों में ठनी

पेटीएम पहले से ही सारा डाटा भारत में रखती है। यही वजह है कि कंपनी खुलकर इसका समर्थन कर रही है

By Surbhi JainEdited By: Published: Wed, 25 Jul 2018 11:59 AM (IST)Updated: Wed, 25 Jul 2018 11:59 AM (IST)
डाटा स्टोरेज मामले में पेटीएम और अमेरिकी कंपनियों में ठनी

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारतीयों के डिजिटल लेनदेन से जुड़े सभी डाटा देश के भीतर ही रखने के निर्देश को लेकर अमेरिकी पेमेंट कंपनियां और पेटीएम आ गई हैं। पेटीएम जहां खुलकर इस कदम के पक्ष में माहौल बना रही है, वहीं वीजा, मास्टरकार्ड और अमेरिकन एक्सप्रेस जैसी अमेरिकी कंपनियां इसमें छूट पाने की कोशिश कर रही हैं। मामले से जुड़े सूत्रों की मानें तो पेटीएम और इन कंपनियों के बीच तनातनी की स्थिति बन गई है। फिलहाल अमेरिकी पेमेंट कंपनियों ने इन नियमों में कुछ ढील देने पर विचार के लिए रिजर्व बैंक को राजी कर लिया है।

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रिजर्व बैंक ने इस साल अप्रैल में इस संबंध में निर्देश जारी किया था। इसमें भुगतान से जुड़ी सेवाएं देने वाली यानी पेमेंट कंपनियों को भारतीयों के लेनदेन से संबंधित सभी डाटा भारत में ही रखने का निर्देश जारी किया गया था। वीजा और मास्टरकार्ड जैसी अमेरिकी कंपनियों के लिए यह निर्देश करोड़ों के खर्च की वजह बन सकता है। वहीं जापान की निवेश फर्म सॉफ्टबैंक ग्रुप और चीन की अलीबाबा के समर्थन वाली भारतीय पेमेंट फर्म पेटीएम के लिए यह फायदे की स्थिति है। पेटीएम पहले से ही सारा डाटा भारत में रखती है। यही वजह है कि कंपनी खुलकर इसका समर्थन कर रही है। पिछले दरवाजे से विरोध को दबाने का प्रयास भी कंपनी ने किया है।

सूत्रों के मुताबिक, आर्थिक मामलों के सचिव एस. सी. गर्ग की अध्यक्षता में अधिकारियों और पेमेंट उद्योग के प्रतिनिधियों की बैठक में पेटीएम ने विदेशी कंपनियों के प्रतिनिधियों का विरोध करते हुए डाटा को भारत के अंदर रखने के फायदे गिनाए थे। कंपनी ने इसे राष्ट्रीय हित से जुड़ा मुद्दा भी बताया था। हालांकि सचिव ने कंपनी को इस तरह की चर्चाओं में राष्ट्रीय हित जैसे विषय नहीं लाने का सुझाव दिया था।

मई में पेटीएम ने इस दिशा में लॉबिंग कर रहे पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआइ) का भी विरोध किया था। पीसीआइ ने रिजर्व बैंक से कहा है कि उसके ज्यादातर सदस्य इस निर्देश से चिंतित हैं। पेटीएम की प्रवक्ता सोनिया धवन ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप और गूगल के मुताबिक, 2020 तक भारत में डिजिटल पेमेंट मार्केट 10 गुना होकर 500 अरब डॉलर के स्तर तक पहुंच सकता है। पेटीएम और अन्य कंपनियों के बीच की तनातनी ने इस बड़े बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ा दी है। पेटीएम ने अपने मोबाइल एप के जरिये भुगतान के लिए भारतीय कारोबारियों से गठजोड़ करके वीजा और मास्टरकार्ड जैसी कंपनियों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है।


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