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टीडीएस और टीसीएस काटकर जमा न करना अब पड़ेगा भारी, हो सकती है जेल

टैक्स डिडक्ट एट सोर्स (टीडीएस) और टैक्स कलेक्ट एट सोर्स (टीसीएस) काटने के बाद भी लोग उन्हें सरकार के खाते में जमा नहीं करा रहे हैं। वे इस धन का इस्तेमाल अपने कारोबार में कर रहे हैं

By Surbhi JainEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 12:03 PM (IST)Updated: Sat, 21 Jul 2018 10:27 AM (IST)
टीडीएस और टीसीएस काटकर जमा न करना अब पड़ेगा भारी, हो सकती है जेल

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। एक लाख रुपये या उससे अधिक का टीडीएस और टीसीएस काटने के बाद भी जमा न करने वालों को अब जेल की सजा भी होगी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा जारी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) में कोर्ट केस के लिए अब ऐसे मामलों पर अलग से नजर रखी जाएगी जिनमें आयकर के कानूनों के तहत टीडीएस या टीसीएस काट लिया गया है, लेकिन उसे सरकार के खाते में जमा नहीं किया गया है।

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आज के दौर में बड़ी संख्या में इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं जहां टैक्स डिडक्ट एट सोर्स (टीडीएस) और टैक्स कलेक्ट एट सोर्स (टीसीएस) काटने के बाद भी लोग उन्हें सरकार के खाते में जमा नहीं करा रहे हैं। वे इस धन का इस्तेमाल अपने कारोबार में कर रहे हैं। अब तक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने कोर्ट केस करने के लिए कोई आर्थिक सीमा तय नहीं की थी, लेकिन आयकर दाताओं को बार-बार यही गड़बड़ी करते देख सीबीडीटी ने आर्थिक सीमा तय कर दी है। इसमें सख्त कदम उठाए गए हैं। अब जिन मामलों में एक लाख रुपये या उससे अधिक टीडीएस और टीसीएस काटा गया है, लेकिन जमा नहीं किया गया है, उनमें कोर्ट केस किया जाएगा।

कंपनी ने आपकी सैलरी से काट लिया है TDS तो ऐसे आएगा वापस

वित्त वर्ष के आखिर में कंपनियों की ओर से आपके निवेश के दस्तावेज मांगे जाते हैं, लेकिन अगर किसी कारणवश आप ये दस्तावेज तय समय तक नहीं दे पाते हैं और इस सूरत में अगर कंपनी आपकी सैलरी से टीडीएस काट लेती है, तो भी आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। इस कटौती के बाद भी आपके पास एक रास्ता बचता है जिसके जरिए आप अपने कटे हुए टीडीएस के हिस्से को वापस पा सकते हैं। ई-मुंशी के टैक्स एक्सपर्ट और चार्टेड अकाउंटेंट (सीए) ने बताया, “आयकर रिटर्न फाइलिंग के दौरान अगर आप अपनी निवेश की गई राशि को रिटर्न में बताते हैं तो यह रिफंड के तौर पर आपके पास वापस आ जाता है। बर्शते निवेश की गई राशि सिर्फ आपके खुद के लिए ही होनी चाहिए, किसी और के लिए नहीं। सीधे तौर पर वह आपकी ही इन्वेस्टमेंट होनी चाहिए, आपकी पत्नी या बच्चे की नहीं। हालांकि पीपीएफ इसमें अपवाद हैं, जिसमें आपके, आपकी पत्नी और बच्चे के नाम पर किया गया निवेश भी शामिल होता है।”


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