Move to Jagran APP

ITR के बारे में कितना जानते हैं आप, जानिए किसके लिए कौन सा फॉर्म जरूरी

आईटीआर-1 को सहज फॉर्म कहा जाता है। यह फॉर्म व्यक्तिगत (इंडिविजुअल) करदाताओं के लिए होता है और इसे 50 लाख रुपए से कम की आय वाले करदाता ही भर सकते हैं

By Praveen DwivediEdited By: Published: Tue, 08 May 2018 04:17 PM (IST)Updated: Tue, 08 May 2018 04:22 PM (IST)
ITR  के बारे में कितना जानते हैं आप, जानिए किसके लिए कौन सा फॉर्म जरूरी

नई दिल्ली (प्रवीण द्विवेदी)। वित्त वर्ष 2017-18 (आंकलन वर्ष 2018-19) के लिए आईटीआर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2018 निर्धारित है। यानी आईटीआर दाखिल करने के लिए अब आपके पास काफी कम समय बचा है, ऐसे में आपके लिए यह जानना जरूरी है कि किस करदाता के लिए कौन सा आईटीआर फॉर्म भरना इस बार जरूरी है। जानिए कितने तरह के होते हैं आईटीआर फॉर्म। हमने इस संबंध में टैक्स एक्सपर्ट और चार्टेड अकाउंटेंट अंकित गुप्ता से बात की है।

loksabha election banner

आईटीआर-1: इस फॉर्म को सहज फॉर्म कहा जाता है। यह फॉर्म व्यक्तिगत (इंडिविजुअल) करदाताओं के लिए होता है और इसे 50 लाख रुपए से कम की आय वाले करदाता ही भर सकते हैं। इसमें नौकरी से होने वाली आय, हाउस प्रॉपर्टी (सिर्फ एक घर) से होने वाली आय और अन्य आय (ब्याज एवं कमीशन से होने वाली आय) शामिल होती है।

आईटीआर-2: यह इंडिविजुअल्स और HUF (हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली) के लिए होता है। इसे 50 लाख से ज्यादा की आमदनी वाला करदाता भर सकता है। इसमें बिजनेस और प्रोफेशन से होने वाली आय को शामिल नहीं किया जाता है।

आईटीआर-3: यह इंडिविजुअल्स और HUF (हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली) दोनों के लिए होता है। इसमें सैलरी, बिजनेस, हाउस प्रॉपर्टी और अन्य स्रोतों से होने वाली आय को शामिल किया जाता है। आमतौर पर ऑडिट कराने वाले लोग इसी फॉर्म का इस्तेमाल करते हैं।

आईटीआर-4: इस फॉर्म को सुगम कहते हैं। इसमें प्रिजम्पटिव सोर्स ऑफ इनकम को शामिल किया जाता है। उदाहरण के तौर पर समझें अगर आपके प्रोफेशन से 10 लाख की आय हुई है तो इसमें से 5 लाख को आय और 5 लाख को खर्च मान लिया जाएगा और इसी 5 लाख की आय पर आपको टैक्स देना होगा। वहीं बिजनेस करने वाले लोगों के मामले में यह आंकड़ा 8 फीसद और 92 फीसद का होता है। यानी आपकी कुल आय में से 8 फीसद हिस्से को आमदनी और 92 फीसद हिस्से को खर्च मान लिया जाता है और इसी 8 फीसद को आय माना जाएगा। अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा था कि अगर पूरा पूरा भुगतान इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किया जाए तो इसमें 2 फीसद की अतिरिक्त छूट मिल सकती है। यानी आपको 8 के बजाए 6 फीसद पर टैक्स देना होगा।

आईटीआर-5: यह पार्टनरशिप फर्म और एलएलपी के लिए होता है। इस फॉर्म को इंडिविजुअल, एचयूएफ और कंपनियां नहीं भर सकती हैं। इसमें किसी भी तरह से हुई आय को शामिल कर लिया जाता है।

आईटीआर-6: यह फॉर्म कंपनी और पीएलसी के लिए होता है और इसमें भी किसी भी सोर्स से हुई आय को शामिल किया जाता है।

आईटीआर-7: इस तरह का आईटीआर फॉर्म चैरिटेबल फर्म के लिए होता है। इसमें भी किसी भी सोर्स से हुई आय को शामिल किया जाता है।

गौरतलब है कि अगर आपने 31 जुलाई 2018 तक अपना आईटीआर दाखिल नहीं किया तो आपको जुर्माना भी देना पड़ सकता है। यह निर्धारित अवधि के हिसाब से अलग अलग और अधिकतम 10,000 रुपए तक हो सकता है।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.