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जीएसपी लाभार्थियों का दर्जा बरकरार रखे अमेरिका: भारत

भारत से जीएसपी चिन्हित ऐसी वस्तुओं का निर्यात होता है जो किसी अन्य उत्पाद को बनाने में कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल होती हैं

By Surbhi JainEdited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 11:12 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 11:12 AM (IST)
जीएसपी लाभार्थियों का दर्जा बरकरार रखे अमेरिका: भारत

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारत ने अमेरिका से अनुरोध किया है कि जीएसपी लाभार्थी का उसका दर्जा बरकरार रखा जाए। यह दर्जा खत्म करना भेदभावपूर्ण होगा और उसके विकास और व्यापार के लिए नुकसानदायक होगा।

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वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारी पुनीत रॉय कुंडल ने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधियों के साथ बातचीत में कहा कि हम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भारत का जीएसपी लाभार्थी का दर्जा बनाए रखने का अनुरोध करते हैं। जीएसपी के लाभ खत्म होने से भारत का विकास प्रभावित होगा। उभरती अर्थव्यवस्था भारत कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है।

कुंडल ने इस संबंध में अनुरोध पत्र अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधियों को सौंपा। अमेरिकी कार्यक्रम जीएसपी (जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रीफरेंसेज प्रोग्राम) में लाभार्थी देश से चुनिंदा वस्तुओं के आयात को प्राथमिकता दी जाती है। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि इस बात की समीक्षा कर रहा है कि क्या भारत जीएसपी लाभ पाने के लिए तय अमेरिकी शर्तों को पूरा करता है या नहीं। खासकर वह इसकी समीक्षा कर रहा है कि क्या भारत ने समान रूप से अपने बाजार में अमेरिकी उत्पादों को अनुमति दी है या नहीं।

भारत से जीएसपी चिन्हित ऐसी वस्तुओं का निर्यात होता है जो किसी अन्य उत्पाद को बनाने में कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल होती हैं या सेमी-मैन्यूफैक्चर्ड कैटागरी में आती हैं। कुंडल ने तर्क दिया कि इस तरह की वस्तुओं की अमेरिका में सप्लाई होने से वहां के उद्योगों को लागत कम रखने और प्रतिस्पर्धी बनने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ अमेरिकी कंपनियों को फायदा मिलता है बल्कि भारत की विकास दर को बढ़ावा मिलता है।

भारत का कहना है कि उसे जीएसपी का लाभ ऐसे उत्पादों को मिलता है जो लाखों महिला व पुरुषों को रोजगार देने वाले उद्योगों में बनाए जाते हैं। रॉय ने तर्क दिया कि विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार भारत में 2016 के दौरान पीपीपी आधार पर प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय 6490.61 डॉलर थी जो अमेरिका द्वारा तय सीमा 12,476 डॉलर से कम थी।


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