Move to Jagran APP

IL&FS संकट: सरकार ने कब्जे में लिया कंपनी का नियंत्रण, नए बोर्ड में उदय कोटक समेत 6 की नियुक्ति

संकट का सामना कर रही आईएलएंडएफएस समूह का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है।

By Abhishek ParasharEdited By: Published: Mon, 01 Oct 2018 06:57 PM (IST)Updated: Mon, 01 Oct 2018 07:44 PM (IST)
IL&FS संकट: सरकार ने कब्जे में लिया कंपनी का नियंत्रण, नए बोर्ड में उदय कोटक समेत 6 की नियुक्ति
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। संकट का सामना कर रही इंफ्रास्ट्रकचर डेवलपमेंट और फाइनेंस कंपनी आईएलएंडएफएस का नियंत्रण सरकार ने अपने हाथों में ले लिया है। नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की मुंबई बेंच ने कंपनी के नए प्रबंधन को कंपनी का नियंत्रण लेने की मंजूरी दे दी है।
 
नए प्रबंधन में जिन छह निदेशकों के नाम को मंजूरी दी गई है, उसमें कोटक महिंद्रा बैंक के उदय कोटक, सेबी के पूर्व चेयरमैन जी एन वाजपेयी, आईसीआईसीआई बैंक के चेयरमैन जी सी चतुर्वेदी शामिल हैं। 
 
गौरतलब है कि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने एनसीएलटी में कंपनी के बोर्ड और प्रबंधन में बदलाव को लेकर अर्जी दी थी। कंपनी के बोर्ड में अन्य जिन निदेशकों के नाम को मंजूरी दी गई है, उनमें मालिनी संकर और विनीय नैय्यर (सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी) और मशहूर ऑडिटर नंदकिशोर शामिल हैं। नियुक्त किए गए नए निदेशक 8 अक्टूबर को होने वाली बैठक में चेयरमैन के बारे में फैसला लेंगे।
 
एनसीएलटी में मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी। इसके साथ ही एनसीएलटी ने कंपनी के मौजूदा निदेशकों और बोर्ड के सदस्यों को किसी भी फोरम में शामिल होने से मना कर दिया है। 
सोमवार को कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय में शामिल ज्वाइंट लीगल डायरेक्टर संजय शोरी ने कंपनी के बोर्ड में 10 नए निदेशकों को शामिल किए जाने की दलील ली थी। 
 
ट्रिब्यूनल में सरकार का पक्ष रख रहे शोरी ने कहा, ‘नए बोर्ड की तरफ से रिवाइवल प्लान पेश किए जाने के बाद कंपनी में पूंजी डाली जाएगी।’
 
उन्होंने कहा, ‘हमने कुछ लोगों की पहचान की है, जिनके पास क्षमता है। इस सूची में उदय कोटक समेत अन्य लोगों के नाम शामिल हैं।’
सरकार नए बोर्ड को आईएलएंडएफएस की सहायक कंपनियों के बोर्ड में भी बदलाव करने का अधिकार देने के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि गंभीर वित्तीय धोखाधड़ी कार्यालय (एसएफआईओ) इस मामले की जांच शुरू कर चुका है।
 
समूह पर कुल 90,000 करोड़ रुपये का कर्ज है और इसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी सरकारी कंपनियों की है। आईएलएंडएफएस में एलआईसी और जापान की ओरिक्स कॉरपोरेशन की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। एलआईसी की इस कंपनी में जहां 25.34 फीसद हिस्सेदारी है वहीं ओरिक्स कॉरपोरेशन की इसमें 23.54 फीसद हिस्सेदारी है।
 
अबू धाबी इनवेस्टमेंट अथॉरिटी की इस कंपनी में 12.5 फीसद हिस्सेदारी है। इसके अलावा सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की 7.67 फीसद और भारतीय स्टेट बैंक की 6.42 फीसद हिस्सेदारी है।
 
क्या है आईएलएंडएफएस संकट आईएलएंडएफएस समूह को फिलहाल नकदी संकट का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी 27 अगस्त के बाद से अपने कर्ज के ब्याज का भुगतान करने में विफल रही है। कंपनी पर 9100 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है।
 
कंपनी को तत्काल 300 करोड़ रुपये की जरूरत है और वह 450 करोड़ रुपये राइट इश्यू की मदद से जुटाने की योजना बना रही है। इस महीने की शुरुआत में हुई बैठक में कंपनी के शेयरधारकों ने किसी भी नई पूंजी सहायता से पहले कंपनी के एसेट्स और नॉन कोर बिजनेस को बेचकर फंड जुटाने की शर्त रखी थी।
 
खबरों के मुताबिक कंपनी ने 4 सितंबर को सिडबी के 1000 करोड़ रुपये के शॉर्ट टर्म लोन का भुगतान करने में विफल रही थी वहीं इसकी सहायक कंपनी भी 500 करोड़ रुपये के कर्ज का भुगतान करने से चूक गई।
 

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.