PNB ने 13000 करोड़ रुपये के घोटाले की जानकारी साझा करने से किया मना
पीएनबी ने कहा है कि घोटाले की जांच कई केंद्रीय एजेंसियां कर रही हैं, इसीलिए इस तरह की सूचना देने से जांच प्रभावित हो सकती है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। 13 हजार करोड़ के घोटाले में सरकारी बैंक पीएनबी ने जांच की जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया है। एक आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना के जवाब में पीएनबी ने यह बात कही है। पीएनबी ने कहा है कि घोटाले की जांच कई केंद्रीय एजेंसियां कर रही हैं, इसीलिए इस तरह की सूचना देने से जांच प्रभावित हो सकती है। गौरतलब हो कि बैंकिंग सेक्टर के इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला है, जो देश के दूसरे सबसे अग्रणी बैंक के जरिए हुआ है। नीरव मोदी और मेहुल चौकसी ने इस घोटाले को अंजाम दिया है। पढ़िए इस तरह की अन्य कोॉरपोरेट जगत से जुड़ी खबरें-
वोडाफोन की चुनौती पर अगले वर्ष फरवरी में होगी सुनवाई
वोडाफोन से 22,100 करोड़ रुपये टैक्स की सरकार की मांग के खिलाफ कंपनी की चुनौतियों पर एक अंतरराष्ट्रीय आर्बिटरेशन टिब्यूनल अगले वर्ष फरवरी में सुनवाई करेगा। घटनाक्रम से सीधे जुड़े एक सूत्र ने बताया कि वोडाफोन द्वारा इस मामले पर इस वर्ष जुलाई तक आपत्तियां दाखिल करने की उम्मीद है। उसके बार भारत द्वारा उन आपत्तियों पर इस वर्ष दिसंबर तक जवाब दाखिल किया जाएगा। हालांकि भारत ने ऐसे मामलों की सुनवाई के टिब्यूनल के कानूनी अधिकारों को भी चुनौती दी है।
बलरामपुर चीनी को 42 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा
अग्रणी चीनी कंपनी बलरामपुर चीनी मिल्स को पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-दिसंबर, 2018) में 42.69 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है। उससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में कंपनी को 200.39 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था। चौथी तिमाही में उसका राजस्व बढ़कर 1,037.01 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 893.50 करोड़ रुपये था। पूरे वित्त वर्ष के लिए कंसोलिडेटेड शुद्ध लाभ घटकर 231.67 करोड़ रुपये रह गया।
सरकारी खर्चे पर विदेश में प्रमोशन करेंगी लैदर कंपनियां
घरेलू लैदर व फुटवियर कंपनियों को यूरोप व अमेरिका जैसे बड़े बाजारों में अपने ब्रांड्स के प्रमोशन के लिए सरकार बड़ी मदद देने को तैयार है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मंत्रलय ने मदद हासिल करने को इच्छुक कंपनियों से आवेदन मंगाए हैं। अधिकारी ने कहा कि लैदर व फुटवियर सेक्टर को मदद की जरूरत है, क्योंकि इस सेक्टर में बड़ी संभावनाएं हैं। देश में फुटवियर के कई बड़े ब्रांड्स हैं। इन ब्रांड्स को विदेश में प्रमोशन संबंधी गतिविधियां चलाने के लिए सरकार वित्तीय मदद देने को तैयार है। यह मदद सरकार की एक सब-स्कीम के तहत दी जाएगी।
अधिकारी ने कहा कि योजना के मुताबिक हर ब्रांड लोगो के विदेश में पंजीकरण, अंतरराष्ट्रीय डिपार्टमेंट स्टोर्स में डिसप्ले, विश्वस्तरीय कैटलॉग छपाई और प्रचार अभियानों पर होने वाले कुल खर्च का 50 फीसद तक खर्च सरकार वहन करेगी। सरकारी मदद की अधिकतम सीमा सालाना तीन करोड़ रुपये होगी और यह मदद तीन वर्षो तक दी जाएगी। सब-स्कीम का मकसद देश की अग्रणी लैदर, फुटवियर और एसेसरीज कंपनियों व ब्रांड्स को विदेशी बाजारों में महत्वपूर्ण स्थान और पहचान दिलाने में मदद करना है। इस सुविधा का लाभ लेने के लिए कंपनियों को कम से कम तीन वर्ष तक लाभ में होना चाहिए। ऐसी कंपनियों का निर्यात या घरेलू बिक्री कम से कम 75 करोड़ रुपये सालाना होनी चाहिए, और इन्होंने ब्रांड प्रमोशन के मोर्चे पर भी बेहतर प्रदर्शन किया हो।
अधिकारी ने कहा, ‘वर्तमान में घरेलू कंपनियों द्वारा विदेशी बाजारों में प्रमोशन के लिए उठाए जाने वाले कदम उम्मीद के अनुरूप नहीं हैं। कंपनियों के राजस्व में ब्रांड की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है, और वे मांग बढ़ाने में भी मददगार होते हैं।’ वहीं, इस सब-स्कीम के बारे में फरीदा ग्रुप के चेयरमैन एम. रफीक अहमद ने कहा कि सरकार को इस योजना में कुछ बदलाव कर इसे कंपनियों के लिए और ज्यादा व्यवहार्य बनाना चाहिए।