चीनी मिलों को वित्तीय संकट से उबारने के लिए सरकार का कदम
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने इसकी अनुमति देने के लिए गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 में संशोधन किया है और इसकी अधिसूचना जारी की है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। चीनी मिलों को वित्तीय संकट से उबारने के लिए सरकार ने एक और उपाय किया है। उसने एक अधिसूचना जारी करके चीनी मिलों को गन्ने के रस या इसके इंटरमीडिएट प्रोडक्ट (बी ग्रेड शीरा) से सीधे एथनॉल बनाने की अनुमति दे दी है।
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने इसकी अनुमति देने के लिए गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 में संशोधन किया है और इसकी अधिसूचना जारी की है। इससे अत्यधिक उत्पादन के वर्षो में मिलों को एथनॉल उत्पादन के लिए गन्ने का रस खपाने में मदद मिलेगी। अधिसूचना के अनुसार अगर कोई मिल गन्ने के रस या बी ग्रेड शीरे से सीधे एथनॉल का उत्पादन करती है तो उसकी रिकवरी दर तय करने के लिए एक टन चीनी उत्पादन को600 लीटर एथनॉल उत्पादन के बराबर माना जाएगा। अभी तक मिलों को सी ग्रेड शीरे से ही एथनॉल का उत्पादन करने की अनुमति थी। सी ग्रेड शीरा गन्ने के रस से चीनी प्राप्त करने के बाद प्राप्त होता है। शीरे का इस्तेमाल स्पिरिट, अल्कोहल और दूसरे उत्पादों में होता है।
पिछले महीने सरकार ने पहली बार बी ग्रेड शीरे यानी इंटरमीडिएटरी से उत्पादित एथनॉल का मूल्य 47.97रुपये प्रति लीटर तय किया था जो दिसंबर 2018 से लागू होगा। सी ग्रेड शीरे से उत्पादित एथनॉल का मूल्य तीन रुपये बढ़ाकर 43.70 रुपये प्रति लीटर तय किया गया। कच्चे तेल की अपनी जरूरत के लिए 80 फीसद आयात पर निर्भर भारत में पेट्रोल में दस फीसद एथनॉल मिलाना अनिवार्य किया है लेकिन इसकी उपलब्ध कम होने के कारण सिर्फ चार फीसद मिश्रण हो पा रहा है। एथनॉल का मूल्य बढ़ने से इसके उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा।
उद्योग के आंकड़ों के मुताबिक मिलों ने ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को अगले दिसंबर से शुरू होने वाले नए मार्केटिंग सीजन में 158 करोड़ लीटर एथनॉल की सप्लाई के लिए अनुबंध किया है। मौजूदा वर्ष में सिर्फ 78.5करोड़ लीटर एथनॉल की सप्लाई की गई थी।