सरकार को विश्वास, 3.3 फीसद राजकोषीय लक्ष्य करेगी हासिल
वित्त वर्ष 2017-18 के संशोधित अनुमान में राजकोषीय घाटा 3.53 फीसद रहा
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। सरकार ने विश्वास व्यक्त किया है कि चुनावी वर्ष होने के बावजूद वह 3.3 फीसद राजकोषीय लक्ष्य पाने में सफल रहेगी। कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है इस लक्ष्य को पाने के लिए सरकार अपने खर्च में भी कटौती नहीं करेगी। उनका मानना है कि सरकार के पास घाटे को नियंत्रित रखने के दूसरे विकल्प भी मौजूद हैं।
वित्त वर्ष 2017-18 के संशोधित अनुमान में राजकोषीय घाटा 3.53 फीसद रहा था। गोयल ने चुनावी साल में राजकोषीय घाटे के इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि पिछली सरकारों के चुनावी साल में राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते सुशासन, अर्थव्यवस्था के अन्य मुद्दों की बलि चढ़ा दी जाती थी। लेकिन मौजूदा सरकार में ऐसा नहीं होगा। उद्योग चैंबर सीआइआइ के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गोयल ने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था में स्थायित्व लाने की कोशिश कर रही है।
ऐसे में उन्होंने अर्थव्यवस्था के सभी मानकों को पूरा करने का भरोसा दिलाया। उनके मताबिक आज देश में ऐसी सरकार है जो लोगों की हर उम्मीद पर खरा उतरने को प्रतिबद्ध है। सरकार सुशासन के मामले पर खरा उतर रही है। साथ देश के गरीब परिवारों को लाभ पहुंचाने पर काम कर रही है। इसके साथ ही सरकार का पूरा फोकस अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर है।
कच्चे तेल के बढ़े मूल्य के राजकोषीय घाटे पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में गोयल ने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था और तेल के मूल्य के प्रबंधन में सतर्कता बरत रही है। साथ ही तेल के बढ़े दामों को लेकर सरकार उचित कदम उठा रही है। इसे लेकर बजट में कुछ कदम उठाए गए थे। इसके साथ ही दूसरे विकल्पों पर काम चल रहा है। वहीं, पेट्रोलियम उत्पादों के जीएसटी के दायरे में लाए जाने के सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि इस मुद्दे पर जीएसटी काउंसिल को निर्णय लेना है। मामले में सरकार अकेले कोई निर्णय नहीं ले सकती है। उन्होने कहा कि जीएसटी के अंतर्गत संघीय व्यवस्था के तहत सर्वसम्मति से निर्णय लिए जाते है जो जीएसटी काउंसिल की एक खूबी है, जहां अलग राजनीतिक विचारधारा वाली राज्य सरकारें एक साथ मिलकर जीएसटी काउंसिल की बैठकों को सफल बनाते हैं।
उन्होंने जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में इसे लेकर कोई निर्णय होने की संभावना जताई। वित्त मंत्री के मुताबिक जीएसटी काउंसिल की पिछली बैठकों में इस मुद्दे चर्चा हुई। लेकिन राज्यों के बीच एक राय न बनने की वजह से कोई निर्णय नहीं लिया गया होगा। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के मुद्दे पर कहा कि इस योजना के तहत सरकार प्रायोजित करीब 481 योजनाएं आई हैं, जिससे करीब 3.65 लाख करोड़ रुपये लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे जमा कराए गए हैं।