आरबीआई जून में भी नहीं बदलेगा ब्याज दरें: गोल्डमैन सैक्स
गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि आरबीआई एक बार फिर से नीतिगत ब्याज दरों को अपरिवर्तित रख सकता है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। जून महीने में होने वाली चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में आरबीआई नीतिगत ब्याज दरों को यथावत रख सकता है, हालांकि आरबीआई मुद्रास्फीति और कच्चे तेल की कीमतों को लेकर जारी अपनी चिंताओ को जरूर जाहिर करेगा। यह बात एक रिपोर्ट के जरिए सामने आई है।
अप्रैल महीने में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 4.58 फीसद पर आ गई है, जो कि मार्च महीने में 4.28 फीसद रही थी। जबकि बीते साल अप्रैल में यह 2.99 फीसद रही थी। जानकारी के लिए आपको बता दें कि रिजर्व बैंक की चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा 4,5 और 6 जून को होनी है। इसका समय कुछ कारणों के चलते बदला गया है।
गोल्डमैन सैक्स की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया, “हालांकि बेहतर गतिविधि आंकड़े, ऊंची मुद्रास्फीति और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें सब इस ओर इशारा कर रही हैं कि केंद्रीय बैंक सख्त रुख अपनाएगा, हमारा मानना है कि अभी आरबीआई गर्मियों की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य, मानसून की स्थिति और मुद्रास्फीति के और आंकड़ों का इंतजार कर सकता है।”
आरबीआई दिसंबर तिमाही के बाद तीन बार बढ़ा सकता है नीतिगत ब्याज दरें: रिपोर्ट
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से नीतिगत ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जाने की संभावना तेज हो गई है। आरबीआई ब्याज दरों में इजाफे की शुरुआत करते हुए साल 2019 तक नीतिगत ब्याज दरों को तीन बार बढ़ा सकता है, जिससे कि इसके 6.75 फीसद तक पहुंचने की उम्मीद है। यह अनुमान मोर्गन स्टैनले ने अपनी एक रिपोर्ट में लगाया है।
मोर्गन स्टैनले की रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया, “अच्छी मांग रफ्तार पकड़ने के साथ ही, निजी कैपेक्स इस वर्ष के अंत में रिकवरी के लिए तैयार है। जैसा की अर्थव्यवस्था रिकवरी के रास्ते पर अग्रसर है, हम उम्मीद करते हैं कि केंद्रीय बैंक 2018 के अक्टूबर-दिसंबर से शुरू होने वाले चक्र में मामूली तेजी के रुख को अपना सकता है।” इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल के अंत में निजी कैपेक्स में एक रिकवरी की संभावना है और इससे आर्थिक विकास में वृद्धि होगी।