पेट्रोल और डीजल में वायदा कारोबार को मिली सैद्धांतिक मंजूरी
वायदा कारोबार के तहत भविष्य की किसी तिथि के लिए पूर्व निर्धारित दाम पर कमोडिटी की खरीद-बिक्री की जाती है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। ईंधन के बढ़ते दाम के बीच पेट्रोलियम मंत्रालय ने पेट्रोल और डीजल में वायदा कारोबार की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। कमोडिटी डेरिवेटिव बाजार भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज (आइसीईएक्स) के एमडी व सीईओ संजीत प्रसाद ने सोमवार को कहा कि पूंजी बाजार नियामक प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की तरफ से इस पर अंतिम मंजूरी जल्द मिल सकती है। मंत्रालय की तरफ से मंजूरी ऐसे वक्त में दी गई है, जब पिछले दो हफ्तों से तेल विपणन कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमतों में रोजाना बढ़ोतरी कर रही हैं।
प्रसाद ने कहा, ‘पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की तरफ से पेट्रोल-डीजल में वायदा कारोबार की सैद्धांतिक मंजूरी को सेबी द्वारा जल्द अनुमोदन मिलने की उम्मीद है।’ उसके बाद पेट्रोलियम मंत्रालय ने मंत्री धर्मेद्र प्रधान, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और तेल विपणन कंपनियों के सामने आइसीईएक्स को इस बारे में एक विस्तृत प्रजेंटेशन देने को कहा था।
क्या होता है वायदा कारोबार
वायदा कारोबार के तहत भविष्य की किसी तिथि के लिए पूर्व निर्धारित दाम पर कमोडिटी की खरीद-बिक्री की जाती है। कारोबार की शर्तो (कांट्रैक्ट) के तहत कमोडिटी की मात्र, गुणवत्ता, दाम, डिलिवरी की तारीख और उसकी जगह तय होती है। तय तिथि पर दोनों पक्षों को शर्त पूरा करने की बाध्यता होती है।
ईंधन दाम घटाने के लिए व्यापक समाधान पर विचार कर रही सरकार: प्रधान
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर सरकार व्यापक समाधान की दिशा में सोच रही है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि सरकार समग्र रणनीति की योजना बना रही है। हालांकि उन्होंने इस बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी। महंगे पेट्रोल-डीजल के सवाल पर मंत्री ने कहा, ‘मैं इस संबंध में पहले कई बार बोल चुका हूं। इस समय कीमतों में बढ़ोतरी के तीन मुख्य कारण हैं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ी कीमत, डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत में उतार-चढ़ाव और कुछ टैक्स संबंधी मसले। इसके लंबे समाधान के लिए सरकार समग्र रणनीति पर विचार कर रही है।
राज्य फायदा छोड़ें तो कम हो सकती हैं कीमतें
विभिन्न राज्य सरकारें अगर अपना अतिरिक्त फायदा छोड़ दें तो पेट्रोल की कीमत में 2.65 रुपये और डीजल में दो रुपये तक की कमी हो सकती है। एसबीआइ की इकोरैप रिपोर्ट में यह बात कही गई है। पेट्रोल-डीजल की 93 फीसद खपत वाले 19 राज्यों के विश्लेषण में पाया गया कि 2018-19 में राज्यों को पेट्रोलियम से 18,728 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिला है।