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टैक्स के विवादित छोटे मामले होंगे वापस, करीब 30 हजार करदाताओं को मिलेगी राहत

आयकर विभाग अब 20 लाख रुपये से अधिक के टैक्स मामलों को ही ट्रिब्यूनल में ले जाएगा

By Surbhi JainEdited By: Published: Fri, 13 Jul 2018 10:25 AM (IST)Updated: Fri, 13 Jul 2018 10:25 AM (IST)
टैक्स के विवादित छोटे मामले होंगे वापस, करीब 30 हजार करदाताओं को मिलेगी राहत

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। छोटे करदाताओं को बड़ी राहत देते हुए सरकार ने टैक्स के मामलों को अदालत में ले जाने के लिए रकम की सीमा बढ़ा दी है। आयकर विभाग अब 20 लाख रुपये से अधिक के टैक्स मामलों को ही ट्रिब्यूनल में ले जाएगा। इसी तरह, उच्च न्यायालय में 50 लाख रुपये से अधिक तथा सुप्रीम कोर्ट में एक करोड़ रुपये से अधिक के टैक्स मामलों में ही विभाग द्वारा अपील की जाएगी। सरकार के इस कदम से जहां छोटे टैक्स मामलों में फंसे तमाम करदाताओं को राहत मिलेगी वहीं इससे कर विवादों में फंसी राशि भी 5600 करोड़ रुपये कम हो जाएगी।

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कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने बृहस्पतिवार को सरकार के इस फैसले के बारे में बताया कि इससे करदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी। मार्च 17 तक ट्रिब्यूनल से लेकर उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के स्तर पर जो कर विवाद लंबित पड़े हैं, उनमें भारी भरकम 7.6 लाख करोड़ रुपये की राशि फंसी है। इसमें तमाम ऐसे मामले हैं जो छोटी-छोटी राशि के हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अदालत में टैक्स मामले ले जाने के लिए रकम की सीमा बढ़ाई है। अभी तक ट्रिब्यूनल में 10 लाख रुपये से अधिक के मामले भेजे जाते थे। इसी तरह उच्च न्यायालय में 20 लाख रुपये से अधिक और उच्चतम न्यायालय में 25 लाख रुपये से अधिक के मामलों में अपील की जाती थी।

उधर, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आयकर विभाग और सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स (सीबीआइसी) के इस कदम का स्वागत किया है। अपने एक ट्वीट में जेटली ने इसे शानदार पहल करार देते हुए कहा कि जो लोग टैक्स का भुगतान करते हैं, उन पर भरोसा करना अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि इस कदम के बाद राजस्व विभाग 29580 मामलों को वापस लेगा जो विभिन्न अदालतों में लंबित हैं।

गोयल ने कहा कि टैक्स मामलों को अदालत में ले जाने के लिए रकम की सीमा बढ़ाए जाने से आयकर विभाग से संबंधित लंबित टैक्स मामलों की संख्या में 41 प्रतिशत तथा परोक्ष कर के मामलों में 18 प्रतिशत की कमी आएगी। टैक्स विवादों से जुड़े लंबित मामलों में कुल 37 प्रतिशत की कमी आएगी। आयकर संबंधी मामले वापस लेने से सरकार को 4800 करोड़ रुपये का भार उठाना पड़ेगा जबकि परोक्ष कर संबंधी मामले वापस लेने से 800 करोड़ रुपये का भार पड़ेगा।

गोयल ने कहा कि टैक्स के लंबित पड़े मामलों को वापस लेने का कदम सरकार ने कारोबार की प्रक्रिया आसान बनाने की दिशा में उठाया है। सरकार ईमानदार करदाताओं पर भरोसा करती है।

सरकार के फैसले के बाद आयकर विभाग ट्रिब्यूनल में लंबित कर मामलों में से 34 प्रतिशत, उच्च न्यायालय में लंबित मामलों में से 48 प्रतिशत और सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों में से 54 प्रतिशत मामले वापस लेगा। इसी तरह (सीबीआइसी) ट्रिब्यूनल में लंबित परोक्ष कर मामलों में से 18 प्रतिशत, उच्च न्यायालय में लंबित मामलों में से 22 प्रतिशत तथा सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों में से 21 प्रतिशत मामले वापस लेगा। उल्लेखनीय है कि आर्थिक सर्वेक्षण-17-18 में अदालत में लंबित कर विवादों में कमी लाने की वकालत की गयी थी। सर्वे में कहा गया था कि अदालत में टैक्स विवादों में कर विभागों की सफलता की दर मात्र 30 प्रतिशत ही है।

जनता पर भरोसा करने की सरकार की सोच के अनुरूप फैसला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर विवादों में अपील के लिए रकम की सीमा बढ़ाने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि यह फैसला नागरिकों पर विश्वास करने के सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है। इसके चलते बड़ी संख्या में कर संबंधी मामले खत्म हो जाएंगे।


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