EPFO ने की शुल्क में कटौती, कंपनियों के बचेंगे 900 करोड़ रुपये
वर्तमान में ईपीएफओ के पास प्रशासनिक शुल्क मद में 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। रिटायरमेंट फंड संस्था कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने नियोक्ताओं यानी कंपनियों के लिए प्रशासनिक शुल्क में 0.15 फीसद की कटौती का फैसला किया है। इससे पांच लाख से ज्यादा नियोक्ताओं को सालाना करीब 900 करोड़ रुपये की बचत होगी।
यह कटौती इस वर्ष पहली जून से प्रभावी होगी। इस वर्ष 21 फरवरी को ईपीएफओ के ट्रस्टी बोर्ड ने नियोक्ताओं द्वारा किए गए भुगतान में प्रशासनिक शुल्क की मात्र 0.65 फीसद से घटाकर 0.50 फीसद करने का फैसला किया था। केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त वी. पी. जॉय ने कहा कि श्रम मंत्रालय ने प्रशासनिक शुल्क में कटौती संबंधी फैसले पर अधिसूचना जारी कर दी है। इससे ज्यादा से ज्यादा कंपनियों को अपने कर्मचारियों को ईपीएफओ के बैनर तले लाने के लिए प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी। पिछले वित्त वर्ष के दौरान ईपीएफओ ने प्रशासनिक शुल्क के मद में करोड़ रुपये हासिल किए थे।
वर्तमान में ईपीएफओ के पास प्रशासनिक शुल्क मद में 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम है, जिस पर उसे सालाना करीब 1,600 करोड़ रुपये का ब्याज मिल रहा है। संगठन का अनुमान है कि नवीनतम अधिसूचना के बाद नियोक्ता संगठित रूप से करीब 900 करोड़ रुपये की बचत करने में कामयाब होंगे। गौरतलब है कि पहली जनवरी, 2015 को ईपीएफओ ने प्रशासनिक शुल्क 1.10 फीसद से घटाकर 0.85 फीसद कर दी। इसे पहली अप्रैल, 2017 को और घटाकर 0.65 फीसद कर दिया गया। वर्तमान में ईपीएफओ का सब्सक्राइबर आधार पांच करोड़ से ज्यादा है। संगठन वर्तमान में 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के फंड का प्रबंधन कर रहा है।