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जीडीपी और मुद्रास्फीति की गणना के आधार वर्ष को बदलेगी सरकार

इससे पहले जीडीपी, इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (आईआईपी) और कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स या रिटेल इन्फ्लेशन के लिए बेस इयर को बदलकर क्रमश: 2011-12 और 2012 किया गया था

By Praveen DwivediEdited By: Published: Wed, 04 Jul 2018 10:58 AM (IST)Updated: Wed, 04 Jul 2018 11:35 AM (IST)
जीडीपी और मुद्रास्फीति की गणना के आधार वर्ष को बदलेगी सरकार

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। केंद्र सरकार ने कहा है कि वो सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी और खुदरा मुद्रास्फीति की गणना के लिए बेस इयर (आधार वर्ष) को बदलकर क्रमश: 2017-18 और 2018 करेगी। यह बदलाव वित्त वर्ष 2019-20 से प्रभावी होगा।

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इससे पहले जीडीपी, इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (आईआईपी) और कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स या रिटेल इन्फ्लेशन के लिए बेस इयर को बदलकर क्रमश: 2011-12 और 2012 किया गया था। यह बात सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री सदानंद गौड़ा ने अपने मंत्रालय की बीते 4 साल की उपलब्धियां गिनाते हुए कही।

उन्होंने कहा, “इस संशोधन के बाद अर्थव्यवस्था और समाज की प्रगति का अधिक सही आकलन किया जा सकेगा। अगले दौर के संशोधन के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। जीडीपी के लिए आधार वर्ष को बदलकर 2017-18 किया जाएगा, जबकि उपभोक्ता खुदरा मुद्रास्फीति के लिए इसे 2018 किया जाएगा। इन सिद्धांतों का उद्देश्य आधिकारिक आंकड़ों के उत्पादन और प्रसार में अच्छी प्रथाओं और पेशेवर नैतिकता को बढ़ावा देना है।”  

उन्होंने इस तरह की घोषणा फरवरी महीने में भी की थी। उस वक्त गौडा ने कहा था कि उनका मंत्रालय वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान कई पहलों को लेकर प्रतिबद्ध है, ताकि सांख्यिकीय प्रणाली में सुधार के जरिए उभरते सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में डेटा आवश्यकताओं को पूरा कर सके।


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