अटल पेंशन योजना के तीन वर्ष में हुए 1.10 करोड़ सदस्य
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में बमुश्किल 12 प्रतिशत कामगारों को पेंशन की सुविधा प्राप्त है जबकि विकसित देशों में यह आंकड़ा काफी अधिक है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। असंगठित क्षेत्र के कामगारों को सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने की दिशा में सरकार ने अहम मुकाम हासिल किया है। मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी अटल पेंशन योजना (एपीएल) के सदस्यों की संख्या एक करोड़ से अधिक हो गयी है। खास बात यह है कि एपीएल के सर्वाधिक सदस्य उत्तर प्रदेश और बिहार में हैं।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक अटल पेंशन योजना का सदस्य बनने वालों की संख्या तीन साल में 1.10 करोड़ हो गयी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौ मई 2015 को कोलकाता से यह योजना शुरू की थी। यह आंकड़ा इसलिए अहम है क्योंकि भारत में पेंशन की सुविधा के दायरे में आने वाले लोगों का अनुपात काफी कम है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में बमुश्किल 12 प्रतिशत कामगारों को पेंशन की सुविधा प्राप्त है जबकि विकसित देशों में यह आंकड़ा काफी अधिक है। यही वजह है कि सरकार ने एपीएल शुरू की थी। मंत्रालय के अनुसार अटल पेंशन योजना के सर्वाधिक 14 लाख सदस्य उत्तर प्रदेश में बने हैं जबकि बिहार में इसके सदस्यों की संख्या 10.61 लाख है। इस मामले में ये राज्य तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों से भी आगे हैं। तमिलनाडु में अटल पेंशन योजना के तहत 8.14 लाख और महाराष्ट्र में 7.58 लाख सदस्य बने हैं। इसी तरह कर्नाटक में एपीएल सदस्यों की संख्या महज 6.86 लाख है।
उल्लेखनीय है कि अटल पेंशन योजना के जरिये सरकार की कोशिश असंगठित क्षेत्र के कामगारों को पेंशन की सुविधा उपलब्ध कराना है। इस योजना के सदस्यों को उनके द्वारा किए गए योगदान के आधार पर 60 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद प्रति माह 1000 रुपये, दो हजार रुपये, तीन हजार रुपये, चार हजार रुपये और पांच हजार रुपये महीने पेंशन दिए जाने का प्रावधान है। इसके तहत सदस्य की मृत्यु के उपरांत उसके जीवन साथी को पेंशन तथा नामांकित व्यक्ति को पेंशन फंड में पड़ी राशि मिलने का प्रावधान है।