रुचि सोया इन्सॉल्वेंसी: आचार्य बालकृष्ण बोले, रुचि सोया को खरीदने की दौड़ से नहीं हटेंगे पीछे
हरिद्वार स्थित कंपनी ने आरपी के लीगल एडवाइजर के तौर पर सिरिल अमरचंद मंगलदास की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए थे
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। पतंजलि आयुर्वेद, दिवालियापन का सामना कर रही रुची सोया हासिल करने की दौड़ से पीछे नहीं हटेगी और वह इसकी खरीद को लेकर कानूनी समेत सभी विकल्पों की तलाश कर रही है। यह जानकारी पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण ने दी है।
फॉर्च्यून ब्रांड के अंतर्गत कुकिंग ऑयल बेचने वाली अडाणी विल्मर और बाबा रामदेव की पतंजलि कर्ज में डूबी रुचि सोया को खरीदने की दौड़ में शामिल हैं। 6 हजार करोड़ रुपए के साथ अडाणी सबसे बड़े बोलीदाता के रुप में उभरा था, जबकि पतंजलि ने लगभग 5,700 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी।
अडाणी विल्मर के एच1 के तौर पर उभरने के बाद पतंजलि आयुर्वेद ने बोली प्रक्रिया (बिडिंग प्रोसेस) में भाग लेने के लिए अडाणी ग्रुप की पात्रता के संबंध में रुचि सोया के रेजॉल्युशन प्रोफेशनल (आरपी) से स्पष्टीकरण मांगा था। पतंजलि ने अडाणी विल्मर को सबसे बड़ा बोलीदाता घोषित करने के लिए आरपी की ओर से अपनाए गए पैरामीटर्स की जानकारी मांगी थी।
हरिद्वार स्थित कंपनी ने आरपी के लीगल एडवाइजर के तौर पर सिरिल अमरचंद मंगलदास की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए थे, क्योंकि लॉ कंपनी पहले से ही अडाणी ग्रुप को सलाह दे रही थी। एक कार्यक्रम के दौरान आचार्य बालकृष्ण ने कहा, “हम अब जवाब का इंतजार कर रहे हैं।” जब उनसे पूछा गया कि क्या कंपनी इस मामले में कोर्ट जाएगी। इस पर उन्होंने कहा, “हम पीछे नहीं हटेंगे, हम हर संभव कोशिश करेंगे।”