सर्च करे
Home

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    SIP Calculation: हर महीने 1000 रुपये की एसआईपी से 10 साल बाद कितना बनेगा फंड, देखें कैलकुलेशन

    Updated: Tue, 02 Dec 2025 07:04 AM (IST)

    म्यूचुअल फंड एसआईपी के बारे में आज हर कोई जानता है। इसमें मिलने वाले आकर्षक रिटर्न को देखते हुए निवेशक इसकी ओर बढ़ रहे हैं। म्यूचुअल फंड में निवेश करने का सबसे आसान तरीका एसआईपी है। आज हम एसआईपी कैलकुलेशन (SIP Calculation) की मदद से समझेंगे कि 10 साल के लिए हर महीने 1000 रुपये की एसआईपी करने से कितना फंड बनकर तैयार होगा?

    Hero Image

    नई दिल्ली।  म्यूचुअल फंड में अक्सर लोग निवेश करने के लिए एसआईपी का चयन करते हैं। एसआईपी के माध्यम से आप म्यूचुअल फंड में आसानी से निवेश कर सकते हैं। ये आसान इसलिए है क्योंकि इसमें आप किस्तों में पैसा निवेश करते हैं। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आज हम एसआईपी कैलकुलेशन (SIP Calculation) की मदद से समझेंगे कि 10 साल के लिए हर महीने 1000 रुपये की एसआईपी करने से कितना फंड बनकर तैयार होगा?

     कैलकुलेशन

    • निवेश रकम-1000 रुपये प्रतिमाह
    • निवेश अवधि- 10 साल 

    अगर कोई व्यक्ति 10 साल के लिए हर महीने 1000 रुपये की एसआईपी करता है, तो उसे 12 फीसदी रिटर्न के हिसाब से 2,32,000 रुपये मिलेंगे। इन 10 सालों में आपका केवल मूलधन ही 1,20,000 रुपये होगा। इस हिसाब से आपको केवल रिटर्न में ही 1,12,000 रुपये मिल सकते हैं। हालांकि ये रिटर्न शेयर बाजार पर निर्भर करता है। 

    म्यूचुअल फंड में न्यूनतम अनुमानित रिटर्न 12 से 14 फीसदी है। ये रिटर्न कम या ज्यादा भी हो सकता है। चलिए अब आशियाना फाइनेंशियल सर्विसेज के सीईओ अनिरुद्ध गुप्ता से समझते हैं कि आप कैसे सही म्यूचुअल फंड चुन सकते हैं। 

    निवेश से पहले इन 6 बातों को ध्यान देना जरूरी

    1. AUM (Assets Under Management): फंड का AUM कम-से-कम 1000 करोड़ रुपए होना चाहिए। छोटा AUM होने पर फंड ज्यादा रिस्क में आ जाता है और रिटर्न अस्थिर हो सकते हैं।

    2. Time Since Existence (फंड की उम्र): फंड कम-से-कम 5 साल पुराना होना चाहिए। इससे आपको पता चलेगा कि उसने मार्केट के अच्छे और बुरे दोनों समय में कैसा प्रदर्शन किया।

    3. Expense Ratio (खर्च अनुपात): जितना कम खर्च अनुपात, उतना बेहतर। कम खर्च होने का मतलब है कि आपके मुनाफ़े पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

    4. Alpha (अल्फा): अल्फा बताता है कि आपका फंड मार्केट इंडेक्स से कितना बेहतर रिटर्न दे रहा है। उदाहरण से समझें तो मान लीजिए कि अगर इंडेक्स ने 10% रिटर्न दिया और फंड ने 15%, तो अल्फा 5 यानी फंड अच्छा परफॉर्म कर रहा है।

    5. Beta (बीटा): बीटा बताता है कि फंड मार्केट के उतार-चढ़ाव पर कितना रिएक्ट करता है। बीटा 1 से ज्यादा है तो फंड रिस्की माना जाएगा।

    6. Turnover Ratio: यह दिखाता है कि फंड का पोर्टफोलियो कितनी बार ट्रेड हो रहा है। अगर Turnover Ratio 40% से ज्यादा है तो फंड रिस्की है और 40% से कम है तो फंड अपेक्षाकृत सुरक्षित है।

    (डिस्क्लेमर: यहां म्यूचुअल फंड पर दी गयी जानकारी निवेश की सलाह नहीं है। जागरण बिजनेस निवेश की सलाह नहीं दे रहा है। म्यूचुअल फंड में जोखिम हो सकता है इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।)




    बिजनेस से जुड़ी हर जरूरी खबर, मार्केट अपडेट और पर्सनल फाइनेंस टिप्स के लिए फॉलो करें