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यूलिप की मांग में होगा इजाफा

देश का जीवन बीमा उद्योग काफी तेजी से परिपक्व हो रहा है। आज से चार-पांच वर्ष पहले नीतियों को लेकर जो अस्पष्टता थी, वह काफी हद तक खत्म हो चुकी है। पिछले दो वर्ष के दौरान जीवन बीमा कारोबार को देख कर साफ हो जाता है कि अब कंपनियों और ग्राहकों के स्तर

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2016 02:47 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2016 02:54 PM (IST)
यूलिप की मांग में होगा इजाफा

'जीवन बीमा उद्योग में किस तरह का बदलाव आप देख रहे हैं?

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-देश का जीवन बीमा उद्योग काफी तेजी से परिपक्व हो रहा है। आज से चार-पांच वर्ष पहले नीतियों को लेकर जो अस्पष्टता थी, वह काफी हद तक खत्म हो चुकी है। पिछले दो वर्ष के दौरान जीवन बीमा कारोबार को देख कर साफ हो जाता है कि अब कंपनियों और ग्राहकों के स्तर पर परिपक्वता दिखने लगी है। अर्थव्यवस्था की चाहे जो रफ्तार हो, मध्यम व लंबी अवधि में बीमा कारोबार का भविष्य यहां पर अच्छा है। वैसे भी भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर अब पूरी दुनिया के निवेशक समुदाय में भरोसा होने लगा है। नई सरकार ने जिस तरह से लगातार निवेशकों के भरोसे को बनाए रखने के लिए कदम उठाए हैं, उसे काफी सराहना मिल रही है।

इसका असर अर्थव्यवस्था पर जल्द दिखाई देगा। अभी हमारी आर्थिक विकास दर दुनिया में सबसे तेज रहने की संभावना है। विकास दर बढऩे से सीधा असर लोगों की आय पर पड़ता है। अब भी देश में बहुत बड़ी आबादी के पास किसी तरह की पॉलिसी नहीं है। तेज विकास दर की वजह से ज्यादा से ज्यादा नए लोग बीमा पॉलिसियां खरीदेंगे। इसका जीवन बीमा कंपनियों के कारोबार पर भी असर पड़ेगा।

'पॉलिसियों पर ग्राहकों के व्यवहार में कैसा बदलाव आप देख रहे हैं?

-देखिए, जीवन बीमा में पॉलिसियों और नीतियों को लेकर जो 4-5 साल पहले अस्पष्टता थी उसका असर अब भी ग्राहकों पर कुछ न कुछ है। यही वजह है कि अभी पारंपरिक जीवन बीमा पॉलिसियों की ज्यादा बिक्री हो रही है। अगले दो-तीन वर्ष तक इसके जारी रहने के आसार हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि अन्य पॉलिसियों के लिए जगह

नहीं बनेगी। इसके संकेत मिलने लगे हैं कि ग्राहक एकबार फिर यूनिट लिंक्ड बीमा पॉलिसियों (यूलिप) की तरफ आकर्षित होंगे। शेयर बाजार के अभी जो हालात चल रहे हैं उसे देखते हुए भी बाजार में नई यूलिप जीवन बीमा पॉलिसियां पेश की जाएंगी। मेरी कंपनी भी यूलिप पॉलिसियों को लांच करने पर विचार कर रही है।

'यूलिप को लेकर पहले काफी विवाद हो चुका है?

-हां, लेकिन उस विवाद के बाद काफी कदम उठाए जा चुके हैं। सबसे पहले तो सरकार और बीमा नियामक एजेंसी इरडा ने नियमों को काफी साफ व पारदर्शी बना दी है। अब कोई भी कंपनी यूलिप बीमा पॉलिसी में धन को दोगुना-चार गुना करने का प्रलोभन नहीं दे सकती है। साथ ही यह भी देखिए कि यूलिप का प्रदर्शन शेयर बाजार

पर निर्भर करता है। भारतीय शेयर बाजार लंबी अवधि में बहुत ही बेहतर प्रदर्शन करेगा। इसलिए यूलिप को भी लंबी अवधि के निवेश को ध्यान में खरीदना चाहिए।

ग्राहकों को यूलिप को तभी लेना चाहिए, जब वह 8-10 साल की अवधि के लिए निवेश करने की योजना बना रहे हों। एक साल-दो साल या इससे भी कम अवधि के निवेश के तौर पर नहीं देखना चाहिए। कई कंपनियां यूलिप को ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए नई तरकीब का इस्तेमाल कर रही हैं।

'यूलिप को लेकर आइडीबीआइ फेडरल इंश्योरेंस की क्या तैयारी है?

-हम भी यूलिप को लेकर योजना बना रहे हैं। अभी इस श्रेणी में चार पॉलिसियां बाजार में हैं। कुछ और यूलिप लाने को तैयार हैं। लेकिन हमारी यूलिप बिल्कुल साफ सुथरी होंगी। इनमें ग्राहकों से कोई गलत वादा नहीं किया जाएगा, क्योंकि हमारी कंपनी ग्राहकों के भरोसे ही चल रही है। हमारी कंपनी के ज्यादातर ग्राहक आइडीबीआइ या फेडरल बैंक से काफी समय से जुड़े हुए हैं। हम उन्हें गलत बीमा पॉलिसी बेच कर बैंक के साथ उनके रिश्ते को नहीं बिगाडऩा चाहते। इसलिए हम ज्यादा सावधानी बरतेंगे। मैं यह कह सकता हूं कि इस वर्ष यूलिप पर हमारा खास ध्यान होगा। हम ग्राहकों को ज्यादा जागरूक करने की कोशिश करेंगे। वैसे भी गलत सूचना देकर हम बीमा पॉलिसी बेचने की कभी कोशिश नहीं करते।

विघनेष शहाणे

सीईओ, आइडीबीआइ फेडरल

लाइफ इंश्योरेंस कंपनी


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