Move to Jagran APP

महिलाएं क्यों नहीं लेतीं निवेश निर्णय

जो महिलाएं वित्तीय क्षेत्र में पेशेवर हैं, अगर उन्हें छोड़ दें तो निवेश ऐसा काम है जो शायद महिलाएं नहीं करतीं।

By Monika minalEdited By: Published: Mon, 14 Mar 2016 01:54 PM (IST)Updated: Mon, 14 Mar 2016 02:45 PM (IST)
महिलाएं क्यों नहीं लेतीं निवेश निर्णय

पिछले सप्ताह हमने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया है। भारत में महिलाओं के संबंध में अधिकांश विचार-विमर्श सिर्फ उनकी सुरक्षा के इर्द-गिर्द ही रहता है। हालांकि जब आप इस तरह के मुद्दों की गहराई तक जाएंगे तो पता चलेगा कि महिला सशक्तिकरण से जुड़ा एक बड़ा पहलू धन है। इस संबंध में स्वाभाविक समस्या यह है कि महिलाएं आम तौर पर पुरुषों से कम कमाती हैं। हालांकि यह इसका सिर्फ एक भाग है। इसका दूसरा पहलू भी है। अगर महिलाएं अधिक धन भी कमाती हों और वे एक ऐसी जमात में शामिल हों जहां उनसे किसी प्रकार का भेदभाव न हो, तो भी यह संभव है कि वे अपने धन का प्रबंधन स्वयं नहीं करतीं। न ही वे अपनी बचत और निवेश का प्रबंधन खुद करती हैं। जो महिलाएं वित्तीय क्षेत्र में पेशेवर हैं, अगर उन्हें छोड़ दें तो निवेश ऐसा काम है जो शायद महिलाएं नहीं करतीं। वैल्यू रिसर्च में हमको जो ईमेल मिलते हैं, उसमें भी यह स्पष्ट है। कई लोग ऐसे हैं जो अपने वित्तीय प्रबंधन के बारे में सवाल पूछते हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपनी पत्नी की ओर से उसके निवेश और बचत के बारे में सवाल पूछते हैं। हालांकि अब तक कोई ऐसा ईमेल नहीं मिला जो किसी महिला ने अपने वित्तीय प्रबंधन के बारे में सवाल पूछने के लिए लिखा हो और कभी भी किसी महिला ने ऐसा कोई पत्र नहीं लिखा जिसमें उसने अपने परिवार के सदस्यों के वित्तीय प्रबंधन को लेकर सलाह मांगी हो।

loksabha election banner

यह तथ्य किसी के लिए भी आश्चर्यजनक नहीं है, लेकिन हमें थोड़ी देर रुककर जरा गहराई से विचार करने की जरूरत है। आखिर इसका कारण क्या है? इसका स्वाभाविक जवाब है कि परिवार में निवेश व बचत की जिम्मेदारी पुरुष संभालते हैं। जो भी महिलाएं अगर कभी लिखती हैं तो मुझे लगता है कि उनके साथ एक और दिक्कत है। यह समस्या आत्मविश्वास की है। महिलाएं जब भी प्रश्न पूछती हैं तो उनके सवाल की शुरुआत कुछ ऐसे होती है- ‘यह शायद मूर्खतापूर्ण सवाल है, लेकिन....’ आपको परेशानी समझ आई? बहुत सी महिलाएं होंगी तो सवाल पूछना चाहती हैं लेकिन वे पत्र ही नहीं लिखतीं। दूसरी ओर पुरुष अपनी मूर्खता के स्तर की परवाह किए बगैर सवाल पूछते रहते हैं और परामर्श लेकर सीखते रहते हैं। जब महिलाएं इस पेशे में होती हैं तो उनमें यह प्रवृत्ति नहीं दिखाई देती। हालांकि जब बात निवेश की आती है जो एक अलग तरह का रुझान दिखाई देता है। इसकी वजह यह मूल धारणा है कि पुरुष बचत और निवेश करते हैं, जबकि महिलाएं सिर्फ पैसा खर्च करती हैं। यह व्यापक रूप से हर तरफ फैला है। यह बात सिर्फ पारंपरिक पृष्ठभूमि में नहीं है। टीवी पर विज्ञापन देखिए समझ आ जाएगा। कई ऐसे हैं जो महिलाओं को बुद्धिमान और स्मार्ट निर्णयकर्ता, जबकि पुरुषों को बिना सोच-विचार के फैसले लेने वाला दिखाते हैं। हालांकि ये सभी विज्ञापन कंज्यूमर उत्पाद या न्यूट्रिशन के होते हैं। जब बात वित्तीय उत्पादों के विज्ञापन के बारे में आती है तो आपको उल्टी तस्वीर दिखाई देती है। बुद्धिमान पति को भविष्य के लिए बचत करते हुए दिखाया जाता है, जबकि महिलाओं को एलसीडी टीवी वगैरह की खरीदते हुए। इसलिए यह कैसे बदलेगा? मैं नहीं समझता कि महिला बैंक जैसे निवेश से इसमें बदलाव आएगा और न ही महिलाओं के लिए बैंक खातों की व्यवस्था से इसमें कोई बदलाव आएगा। धन में शक्ति होती है। इससे न सिर्फ धन कमाने, बल्कि उसे संभालने और निवेश करने की सामथ्र्य भी आती है। इस तरह की शक्ति तब आती है जब किसी व्यक्ति के पास धन नहीं होता और वह इसे बढ़ाने और प्राप्त करने के लिए प्रयास करता है।

आखिरकार एक ऐसे पुरुष जिसे व्यक्तिगत फाइनेंस के बारे में अधिक जानकारी नहीं है और एक महिला जिसे ज्यादा कुछ पता नहीं है, उसमें ज्यादा अंतर नहीं है। दोनों ही तरह के लोग बहुतायत में हैं। इसका पुरुष या महिलाओं के लिए अलग-अलग समाधान नहीं है। हर व्यक्ति को खुद को शिक्षित करने लिए पर्याप्त संसाधन हैं। भले ही यह कठिन मालूम पड़ता है, लेकिन यह समाधान उपलब्ध है।

- धीरेंद्र कुमार


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.