कॉमर्शियल पेपर क्या होता है?
वित्तीय बाजार में कॉमर्शियल पेपर निवेश का एक ऐसा तरीका है, जिसे अनसिक्योर्ड निवेश की श्रेणी में रखते हैं। बड़ी कंपनियां कम अवधि की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए इस प्रपत्र को जारी करती हैं। निश्चित अवधि पर निवेश करने वालों को सुनिश्चित रिटर्न देने का वादा होता
वित्तीय बाजार में कॉमर्शियल पेपर निवेश का एक ऐसा तरीका है, जिसे अनसिक्योर्ड निवेश की श्रेणी में रखते हैं। बड़ी कंपनियां कम अवधि की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए इस प्रपत्र को जारी करती हैं। निश्चित अवधि पर निवेश करने वालों को सुनिश्चित रिटर्न देने का वादा होता है। इसे कंपनियां डिस्काउंट पर जारी करती हैं।
मसलन, एक यूनिट की कीमत 100 रुपये तय है लेकिन ग्राहकों को 90 रुपये पर बेचा जाएगा और 30 दिन या दो महीने या तीन महीने या छह महीने पर हर यूनिट पर सौ रुपये लौटाने का वादा होगा। निवेश की अवधि ज्यादा है तो ब्याज भी ज्यादा मिलता है। लेकिन निवेशकों को कंपनी के बारे में सभी जानकारी उपलब्ध करानी होती है।
रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक प्रतिष्ठित रेटिंग एजेंसियों से रेटिंग करवाने के बाद ही कंपनियों को कॉमर्शियल पेपर जारी करने की अनुमति मिलती है। कंपनियां इसे सीधे या बैंक या डीलरों के जरिये जारी कर सकती हैं। कई बार इसे बैंकों या वित्तीय एजेंसियों की तरफ से गारंटी भी मिली होती है। सेकेंडरी बाजार में इसका कारोबार भी होता है। बेहतर वित्तीय स्थिति और शानदार रिकॉर्ड वाली कंपनियों के कॉमर्शियल पेपर में ही निवेश करना चाहिए।