लंबी अवधि के फंड में क्या बदलाव आया है?
आरबीआइ ने हाल ही में बैंकों व वित्तीय संस्थानों के लिए लंबी अवधि के फंड जुटाने संबंधी नियमों में बड़े बदलाव किए हैं। अब बैंक आसानी से इसके लिए बांड जारी कर सकते हैं। इन बांडों के खरीदारों में पेंशन फंड, बीमा कंपनियां, संस्थागत निवेशक सहित लंबी अवधि के निवेशक होंगे
आरबीआइ ने हाल ही में बैंकों व वित्तीय संस्थानों के लिए लंबी अवधि के फंड जुटाने संबंधी नियमों में बड़े बदलाव किए हैं। अब बैंक आसानी से इसके लिए बांड जारी कर सकते हैं। इन बांडों के खरीदारों में पेंशन फंड, बीमा कंपनियां, संस्थागत निवेशक सहित लंबी अवधि के निवेशक होंगे।
इस तरह के बांडों की परिपक्वता की अवधि कम से कम सात वर्ष की होगी। इन बांडों के लिए अधिकतम सीमा 25 वर्ष तक की हो सकती है। बैंकों को छूट है कि उन्हें इस तरह के बांड निर्गम के लिए अलग से कोई राशि समायोजित नहीं करनी होगी। इसकी वजह से बैंक कम लागत पर फंड जुटा सकेंगे। इससे होम लोन की लागत भी घटने संभावना है। नतीजतन होम लोन पर ब्याज दरों में नरमी आ सकती है।