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टेक्नोलॉजी ने बढ़ाया बाजार में हिस्सा

बीमा उद्योग में निजी कंपनियों के प्रवेश के 15 वर्ष हो गए हैं। कैसे देखते हैं आप इस अवधि को? -काफी बदलाव आया है। अगर आप देखें तो समूचे पर्सनल फाइनेंस क्षेत्र में बहुत परिवर्तन हुआ है इन 15 वर्षों में। लोग अपनी कुल बचत का पहले 50 फीसद सोना, जमीन

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 21 Dec 2015 01:24 PM (IST)Updated: Mon, 21 Dec 2015 01:31 PM (IST)
टेक्नोलॉजी ने बढ़ाया बाजार में हिस्सा

बीमा उद्योग में निजी कंपनियों के प्रवेश के 15 वर्ष हो गए हैं। कैसे देखते हैं आप इस अवधि को?

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-काफी बदलाव आया है। अगर आप देखें तो समूचे पर्सनल फाइनेंस क्षेत्र में बहुत परिवर्तन हुआ है इन 15 वर्षों में। लोग अपनी कुल बचत का पहले 50 फीसद सोना, जमीन जैसे फिजिकल असेट में निवेश करते थे। बाकी 50 फीसद बचत का निवेश फाइनेंशियल सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स में होता था। 2008 तक यही स्थिति रही। इस दौरान हुए पैदा हुए संकट ने बचत के वित्तीय विकल्पों पर भरोसा कम किया। बचत का एक बड़ा हिस्सा इस संकट के बाद फिजिकल सेविंग की तरफ जाना शुरू हो गया। इसकी के चलते सोने के दाम चढ़े, प्रॉपर्टी की कीमतें बढ़ींं। लेकिन बीते दो साल में इस स्थिति में काफी बदलाव आया है। लोगों का रुझान फिर से बचत के वित्तीय विकल्पों की तरफ बढऩे लगा है।

Ó लोगों के रुझान में आए इस बदलाव की क्या वजह रही?

-पहली वजह तो इस दिशा में सरकार की तरफ से हुई कोशिशें रहीं। सरकार ने सोने में किए जाने वाले निवेश को हतोत्साहित करने की दिशा में कदम उठाए। वैसे भी सोने के दाम बीते दो साल से नीचे आने शुरू हुए हैं। इसलिए सोने में निवेश अब आकर्षक नहीं रह गया है। दूसरी वजह सरकार की तरफ से निवेश में पारदर्शिता लाने की कोशिश रही है। काले धन को इस तरह के निवेश में लाने से रोकने के लिए सरकार ने नियम काफी कड़े किए हैं, क्योंकि पहले सोने में इस तरह का धन काफी आता था। अब ऐसा करना मुश्किल है। इससे यह पैसा अब फाइनेंशियल सेविंग की तरफ आने लगा है। रीयल एस्टेट में भी निवेश के नियम कड़े होने और कीमतें थम जाने की वजह से निवेशकों का भरोसा कम हुआ है। यह पैसा भी फाइनेंशियल सेविंग में आने

लगा है।

Ó बीमा उद्योग के लिहाज से आप इस बदलाव को कैसे देखते हैं?

-देखिए, पिछले तीन चार साल में बीमा नियामक ने इस क्षेत्र के विकास की जरूरत को समझते हुए काफी बदलाव किए हैं। बीमा उत्पादों में काफी सुधार आया है। इनकी लागत कम हुई है। ग्राहकों की दृष्टि से भी काफी सहूलियतें बढ़ी हैं। इसके चलते बीमा क्षेत्र में भी बचत का बड़ा हिस्सा आने लगा है।

Ó क्या सभी कंपनियां इस बदलाव का लाभ उठाने में सफल रही हैैं?

-यह निर्भर करता है, सभी कंपनियों की अपनी रणनीति पर। कंपनियों का वितरण नेटवर्क कैसा है? कंपनियों का ग्राहकों के प्रति कैसा रुझान है, कंपनियों का प्रोसेस कितना कारगर है इस पर निर्भर करता है कंपनियों का लाभ। इसलिए बीते दो साल में बीमा उद्योग की विकास दर निजी क्षेत्र की 14-15 फीसद हो गई है। इसमें भी अच्छी कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। मैं अपनी कंपनी के बारे में बताऊं तो निजी बीमा कंपनियों में हम हमेशा से पहले स्थान पर रहे हैं। अभी हमारी बाजार हिस्सेदारी 12 फीसद है।

Ó क्या वजह रही आपकी इस तेज ग्रोथ की?

-इसके कई कारण हैं। पहला तो यही कि रेगुलेटर ने ही बोला सभी कंपनियों को अपने प्रोडक्ट्स में सुधार करने के लिए। इसके अलावा हमने टेक्नोलॉजी पर ज्यादा फोकस किया। सभी तरह के कामों में हमने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ाया। हमने पॉलिसी की बिक्री के मामले में पूरी पारदर्शिता लाने के लिहाज से टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दिया। आमतौर पर बीमा उत्पादों की बिक्री से पहले एजेंट आपके सामने दो-तीन प्लान का विकल्प रखते हैं और उनके बारे में बताते हैं। लेकिन हमने स्थिति को उलट दिया है। हमने एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जो आपकी जरूरत के हिसाब से आपको खुद प्लान सुझाता है। इसमें एजेंट की निजी रुचि का सवाल ही पैदा नहीं होता।

Ó आपके इस सॉफ्टवेयर की क्या खासियत है?

-इसकी खासियत यह है कि इसमें सब काम आपके सामने बैठे बैठे ही हो जाता है। आपका फोटो भी एजेंट वहीं लेता है और आपका डाटा जब इस सॉफ्टवेयर में भरा जाता है तो उसके बाद फॉर्म भरने का झंझट नहीं रहता। इसमें हम आपका आधार नंबर लेकर केवाईसी भी कर लेते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि आधार संख्या डालते ही ग्राहक के पास एक कोड आता है जिसे हमें फिर से सिस्टम में डालना होता है। इसका फायदा यह है कि जब तक आप न चाहें हम आधार के डाटाबेस से आपकी जानकारी नहीं उठा सकते। आपके प्रोडक्ट चुनते ही कंपनी उसी वक्त उसे प्रोसेस करती है और यदि ओके होता है, आप यदि चाहें तो ऑनलाइन पेमेंट कर उसी वक्त पॉलिसी की सॉफ्ट कापी हासिल कर सकते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि यह सॉफ्टवेयर मोबाइल, टैबलेट और लैपटॉप सभी पर चलता है।

Ó इसका कितना लाभ मिला है आपको?

-देखिए, करीब तीन साल पहले हमने इस सिस्टम का इस्तेमाल करना शुरू किया था। आज की तारीख में हमारे कुल बिजनेस का 95 फीसद इसी सिस्टम के जरिये आ रहा है। ग्राहकों के लिहाज से देखें तो उनके लिए भी बहुत आसान हो गया है। मिससेलिंग की आशंका खत्म हो गई है। इसके चलते हमारे खिलाफ शिकायत का अनुपात भी तीन साल पहले के मुकाबले आधा रह गया है। इससे हमें ग्राहकों को अपने पास रोकने में भी मदद मिली है। दूसरे प्रीमियम के मामले में ग्राहकों के रुकने की दर 80 फीसद हो

गई है।

पुनीत नंदा

एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर

आइसीआइसीआइ प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस


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