अक्षय तृतीया से शुरू करें सोने में निवेश
अक्षय तृतीया का त्योहार फिर आ गया है। और इसी के साथ शुरू हो गई है सोने व स्वर्णाभूषणों से संबंधित विज्ञापनों की होड़। अक्षय तृतीया का संबंध अनेक पौराणिक गाथाओं के साथ होने से यह दिन हिंदुओं व जैनियों के लिए विशेष रूप से पावन है। चूंकि अक्षय का
अक्षय तृतीया का त्योहार फिर आ गया है। और इसी के साथ शुरू हो गई है सोने व स्वर्णाभूषणों से संबंधित विज्ञापनों की होड़। अक्षय तृतीया का संबंध अनेक पौराणिक गाथाओं के साथ होने से यह दिन हिंदुओं व जैनियों के लिए विशेष रूप से पावन है। चूंकि अक्षय का अर्थ होता है कभी न खत्म होने वाला, लिहाजा इस दिन को सौभाग्य व सफलता लाने वाला माना जाता है। नई परियोजनाओं के लिए यह दिन शुभ होता है। सोने की खरीद के लिहाज से भी इस दिन को सर्वाधिक उपयुक्त समझा गया है।
गोवा से लेकर ओडिशा व केरल से लेकर दिल्ली तक लोग इस दिन सोने की खरीद करते हैं। ज्यादातर यह खरीदारी स्वर्णाभूषणों या सोने के सिक्कों के रूप में होती है। चूंकि अक्षय तृतीया को विवाह के लिहाज से भी अत्यंत पवित्र दिवस माना गया है। इसलिए इस दिन सोने की अतिरिक्त मांग पैदा हो जाती है। वैसे भी भारत में सोने की खरीद के पीछे सामाजिक विवशताओं की बड़ी भूमिका है।
तो क्या अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना चाहिए? धार्मिक कारणों से न सही तो भी विश्व में महंगाई से निपटने व संकट का मुकाबला करने के लिहाज से सोना सबसे पसंदीदा चीज है। घरेलू उत्पादन न होने व आयात पर निर्भरता के बावजूद भारत व भारतीयों में सदैव ही सोने को लेकर विशेष लगाव रहा है। सोने की कीमतों के 35 हजार रुपये के शीर्ष से 27 हजार रुपये (प्रति दस ग्राम) के निचले स्तर पर आने के बाद इसकी खरीद और भी आकर्षक हो गई है। फिर यह तथ्य भी है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में सतत गिरावट के कारण यदि आप सोने में निवेश करते हैं तो डॉलर में सोने का मूल्य भले गिर जाए, मगर रुपये में इसकी कीमत गिरना मुश्किल है।
यह एक प्रकार का समीकरण है, जिसमें जब-जब प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर मजबूत होता है, तब-तब सोने की कीमतें गिरती हैं। इस बार भी यही हुआ है। और साल भर तक ऐसा ही रहने की संभावना है, मगर मजबूत डॉलर का मतलब रुपये का कमजोर होना भी है। इसका मतलब हुआ सोने की महंगाई, क्योंकि इसका आयात किया जाता है। पिछले 30 वर्षों के दौरान रुपये में सोने की कीमतों के अध्ययन से पता चलता है कि ऐसी शायद ही कोई पांच वर्षीय अवधि रही हो जब सोने की कीमतें लगातार गिरी हों। क्योंकि जब-जब डॉलर में सोने की कीमतें गिरती हैं, तब-तब रुपये की कीमत भी गिर जाती है। फलस्वरूप, नुकसान की जरूरत से ज्यादा भरपायी हो जाती है।
भारतीय समुदाय तो हमेशा से सोने पर मोहित रहा है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भी सोने की खरीद व संग्रह के प्रति लगाव कम नहीं हुआ है। अमेरिका में बांड खरीद कार्यक्रम बंद होने व ब्याज दरों में बढ़ोतरी की चर्चाओं के बीच सोने की कीमतें नरम अवश्य हुई हैं। इनमें कोई खास गिरावट नहीं आई है। पूरे विश्व में भूभौगोलिक अनिश्चितता के कारण सोने की मांग अपेक्षाकृत मजबूत बनी हुई है। कच्चे तेल की कीमतों में हाल की गिरावट से भी सोने को कोई खास नुकसान नहीं हुआ है। खाड़ी देशों की बार-बार भंग होने वाली शांति तथा यूनान व यूरोप के हालात ऐसे हैं, जो सोने की मांग कम नहीं होने देते।
इसलिए मेरा मानना है कि हमें नियमित निवेश योजना के अनुसार सोने में निवेश करना चाहिए। यानी अपने निवेश योग्य पैसों में से 10-15 फीसद राशि नियमित रूप से सोने की खरीद में लगाते रहनी चाहिए। इसके लिए कमोडिटी एक्सचेंजों के माध्यम से सोने की खरीद करनी चाहिए, जो मध्यरात्रि तक खुले रहते हैं। या फिर स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध गोल्ड ईटीएफ में पैसा लगाना चाहिए। यदि डीमैट या ब्रोकिंग अकाउंट नहीं है तो म्यूचुअल फंडों के जरिये भी सोने की खरीद की जा सकती है। सर्राफ या कमोडिटी वायदा बाजार से भौतिक रूप से भी सोना खरीदा जा सकता है।
सोने की खरीद सिक्योरिटी, जोखिम से सुरक्षा, विविधीकरण की रणनीति के तौर पर, त्वरित नकदीकरण या निवेश के मकसद से की जानी चाहिए। चूंकि भारत में ज्यादा सोना धनतेरस या अक्षय तृतीया के दिन खरीदा जाता है, इसलिए बेहतर तरीका यह होगा कि नियमित निवेश योजना के तहत दोनों त्योहारों पर थोड़ा-थोड़ा सोना खरीदा जाए। इस लिहाज से इस अक्षय तृतीया पर सोने की पहली किस्त खरीद कर एक ऐसी चीज की शुरुआत की जा सकती है, जो कभी खत्म न हो।
-जयंत मांगलिक,
प्रेसीडेंट, रिटेल डिस्ट्रीब्यूशन
रेलीगेयर सिक्योरिटीज