तेज गिरावट की संभावना बरकरार
हमारे अनुमान के मुताबिक बीते हफ्ते में शेयर बाजारों में ज्वार-भाटे का उफान साफ दिखा। तीन कारोबारी सत्र के दौरान सेंसेक्स 400 अंकों से ज्यादा गिरा। अमेरिका में एक चिंता यह उभर कर आ रही है कि फेड रिजर्व (केंद्रीय बैंक) अब अपनी शिथिल मौद्रिक नीति को वापस ले सकता है।
हमारे अनुमान के मुताबिक बीते हफ्ते में शेयर बाजारों में ज्वार-भाटे का उफान साफ दिखा। तीन कारोबारी सत्र के दौरान सेंसेक्स 400 अंकों से ज्यादा गिरा। अमेरिका में एक चिंता यह उभर कर आ रही है कि फेड रिजर्व (केंद्रीय बैंक) अब अपनी शिथिल मौद्रिक नीति को वापस ले सकता है। यह तथ्य भारतीय बाजारों को ज्यादा तेजी से प्रभावित करेगा।
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बिकवाली का दामन थाम लिया है। बीते शुक्रवार को उन्होंने 500 करोड़ रुपये निकाले। आने वाले हफ्ते में भी बाजार के सुर धीमे रहने की उम्मीद है। किसी भी तेजी पर टॉपलाइन शेयरों में मुनाफावसूली की हमारी सलाह अब भी बरकरार है, क्योंकि वहां तेजी काफी आ चुकी है। मिडकैप में अगर आपको फायदा हो रहा है तो सलाह है कि आंशिक मुनाफा निकाल लें। रिटेल निवेशक अभी खरीददारी की जल्दी कतई न करें। ट्रेडर्स अभी शॉर्ट करें। आप निफ्टी या बैंक निफ्टी को शॉर्ट कर सकते हैं, क्योंकि रीयल्टी और बैंकिग में गिरावट जारी रह सकती है।
सन फार्मा जैसे शेयर विदेशी अधिग्रहण की खबरों के बीच बढ़ सकते हैं। बाजार रुपये की दिशा के साथ साथ मानसून के रुख का भी इंतजार कर रहा है।
बांड बाजार का मूड:
शेयर बाजार क्या गिरे बांड बाजार की तो बल्ले-बल्ले हो गई। दो हफ्तों की तेजी के साथ बांड यील्ड 7.49 फीसदी तक पहुंच गई। लेकिन बाद में मूड 7.44 पर आकर सेटल हो गया। विकास दर की खबरों और आरबीआइ गवर्नर द्वारा ब्याज दरों में कटोती की संभावना न होने से बांड बाजार मायूस हुआ। बांड बाजार मुद्रास्फीति और ब्याज दरों के आंकड़ों पर चकोर की निगाह लगाए रखते हैं, क्योंकि इनकी चाल ही दोनों पर निर्भर करती है। जानकार मानते हैं कि कमजोर रुपया खुदरा महंगाई को और भी बढ़ा सकता है।
गिरते रुपये के बीच पेट्रोल डीजल के दाम तो बढ़ ही चुके हैं। बीते कुछ माह में बांड बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। अप्रैल में यह 7.99 फीसद जाने के बाद मई मध्य तक 7.10-7.15 तक गिरा। फिलहाल, 10 साल के बांड पर 7.24 फीसद को बेंचमार्क माना जा रहा है।