एनपीएस में निवेश से बचाएं टैक्स
एनपीएस में निवेश करने पर आपको सेंट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसी (सीआरए) के जरिये एक परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (प्रैन) दिया जाता है।
एनपीएस में निवेश करने पर आपको सेंट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसी (सीआरए) के जरिये एक परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (प्रैन) दिया जाता है।
इस साल के आम बजट को जिस बात का विशेष श्रेय जा सकता है वह है व्यक्तिगत निवेश को बढ़ावा देने का। इसमें भी रिटायरमेंट पर विशेष जोर है। चूंकि हममें से ज्यादातर लोग रिटायरमेंट से जुड़े लक्ष्यों की उपेक्षा करते हैं। लिहाजा, बजट में लोगों को सेवानिवृत्ति के लिए बचत करने पर जोर दिया गया है। इसके लिए नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) नाम से पेंशन पर केंद्रित एक स्कीम को बेहतर बनाया गया है। इसका संचालन व प्रबंधन कानून के तहत स्थापित पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के हाथ में है। यह योगदान पर आधारित स्कीम है, जिसमें निवेश के अनुसार लाभ मिलते हैं। पेंशन की राशि निश्चित होने से ऐसी स्कीमों के प्रति सरकार का दायित्व अधिक होता है।
इसमें नया क्या है
एनपीएस को अब तक बहुत ज्यादा लोगों ने नहीं अपनाया है। लिहाजा इसे आकर्षक बनाने के लिए बजट में इसके कर संबंधी लाभ बढ़ाए गए हैं। उदाहरण के लिए आयकर कानून, 1961 की धारा 80सीसीडी के तहत इसमें 50 हजार रुपये तक का वार्षिक निवेश करने पर अतिरिक्त कर लाभों का प्रस्ताव किया गया है। यह 80सी के तहत मिलने वाली डेढ़ लाख रुपये तक की डिडक्शन सुविधा के अलावा है। इससे उच्च कर स्लैब में आने वालों को 15 हजार रुपये तक की अतिरिक्त टैक्स बचत होगी।
क्या हैं इसकी खासियतें
इसमें इक्विटी, डेट और बैलेंस्ड के तीन विकल्प हैं। आप अपना खुद का फंड मैनेजर भी चुन सकते हैं। पीएफआरडीए उन पेशेवर फंड मैनेजरों के नियमन का कार्य करता है जो अनुमोदित दिशानिर्देशों के मुताबिक बांड, बिल, कॉरपोरेट डिबेंचर व शेयरों वाले डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो में निवेश करते हैं। यदि आपने इक्विटी या डेट में निवेश का निर्णय ले लिया है, तो एक डिफॉल्ट विकल्प भी है। साथ ही, जीवनशैली से जुड़ी असेट्स में आवंटन का ‘लाइफस्टाइल एसेट एलोकेशन’ विकल्प भी है। इसमें उम्र के साथ पैसा इक्विटी और डेट के बीच शिफ्ट होता रहता है। एनपीएस 60 वर्ष की आयु में समाप्त होती है, तब आप साठ फीसद राशि निकाल सकते हैं। जबकि शेष 40 फीसद राशि का उपयोग अनिवार्य पेंशन देने में किया जाता है।
एनपीएस में निवेश करने पर आपको सेंट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसी (सीआरए) के जरिये एक परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (प्रैन) दिया जाता है। इसमें आपके व्यक्तिगत विवरण से लेकर लेनदेन तक का सारा रिकॉर्ड होता है। वैसे तो एनपीएस में शुरू में टियर-1 खाता खोला जाता है। मगर आप टियर-2 अकाउंट भी खोल सकते हैं। ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के लिए आपको एक इंटरनेट पासवर्ड भी दिया जाता है।
ईपीएफ और पीपीएफ दोनों ही डेट आधारित निवेश हैं। जबकि एनपीएस में कम से कम 50 फीसद निवेश इक्विटी में करने का विकल्प रहता है। रिटायरमेंट जैसे संपत्ति सृजन के दीर्घकालिक लक्ष्यों के लिए शत-प्रतिशत निवेश इक्विटी में करना बेहतर रहता है। इसकी वजह यह है कि इक्विटी से अधिक रिटर्न प्राप्त होने की संभावना रहती है। अध्ययनों से साबित हुआ है कि इक्विटी के रिटर्न प्राय: महंगाई दर से अधिक होते हैं। इस पर धारा 80सी के लाभ लिए जा सकें तो और भी अच्छा। धारा 80सी की सीमा समाप्त हो जाने पर अतिरिक्त कर लाभ प्राप्त करने के लिए एनपीएस का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। वर्ष 2015 का बजट आपको कमाई के दिनों में बचत करने और कर बचाने का अवसर दे रहा है। इससे जो फंड सृजित होगा, वह रिटायरमेंट के बाद आपकी आमदनी का जरिया बनेगा।
और भी हैं विकल्प
एनपीएस के अलावा कुछ म्यूचुअल फंड तथा इंश्योरेंस कंपनियां भी पेंशन प्लान अथवा रिटायरमेंट प्लान ऑफर करती हैं, मगर ये प्लान पीएफआरडीए के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते। इसके अतिरिक्त कर्मचारियों को उनकी सेवायोजक कंपनियों की ओर से ईपीएफ, रिटायरमेंट ग्रैच्युटी जैसी रिटायरमेंट स्कीमें ऑफर की जाती हैं। रिटायरमेंट फंड के लिए पीपीएफ का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। ईपीएफ की दिक्कत यह है कि यह केवल संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए है। जबकि एनपीएस सभी के लिए खुला है, चाहे वे कर्मचारी हों, कारोबारी हों अथवा स्वरोजगार में लगे पेशेवर लोग। इस तरह एनपीएस का दायरा काफी बड़ा है।
ईपीएफ में निवेश की गई राशि काफी धीमी रफ्तार से बढ़ती है, क्योंकि इसका शत-प्रतिशत निवेश सरकारी प्रतिभूतियों/डेट इंस्ट्रूमेंट्स में किया जाता है, जो कई मर्तबा महंगाई दर को भी मात नहीं दे पाते। दूसरी ओर, एनपीएस की बचतों के एक बड़े हिस्से का निवेश इक्विटी मार्केट में किया जा सकता है, जहां पैसे के ज्यादा तेजी से बढ़ने की संभावना रहती है। एन्युटी/पेंशन के रूप में एनपीएस से पैसा निकालने पर टैक्स लगता है, मगर इसके बावजूद इसमें ईपीएफ के मुकाबले अधिक रिटर्न की संभावना रहती है।
अनिल चोपड़ा
ग्रुप सीईओ व डायरेक्टर
बजाज कैपिटल