फिर वही पुरानी कहानी
मेरे विचार में जो भी व्यक्ति निवेश के बारे में लिखता है, उसे इस बात का एहसास होगा। मुझे यह बात भलीभांति पता है। मौजूदा दौर में यह समस्या काफी गंभीर है।
कुछ वर्ष पहले वॉल स्ट्रीट जर्नल में इंटेलीजेंट इंवेस्टर कॉलम लिखने वाले जेसन जेवीग ने लिखा कि एक बार पत्रकार सम्मेलन में उनसे पूछा गया कि वह अपनी नौकरी को किस तरह परिभाषित करते हैं। उन्होंने जवाब दिया, उनकी नौकरी लिखने की है।
एक ही चीज को सालभर में 50 से 100 बार लिखने की। लेकिन लिखने का तरीका ऐसा है कि न तो मेरा संपादक और न ही पाठक कभी यह सोच पाते हैं कि मैंने पुरानी बात ही दोहराई है। मेरे विचार में जो भी व्यक्ति निवेश के बारे में लिखता है, उसे इस बात का एहसास होगा। मुझे यह बात भलीभांति पता है। मौजूदा दौर में यह समस्या काफी गंभीर है।
शेयर बाजार में लगभग रोजाना गिरावट आ रही है। निवेशकों में अफरा-तफरी है और जब भी उन्हें निवेश के बारे में कोई खबर सुनाई देती है तो उनका ध्यान सिर्फ एक ही बात पर जाता है कि अब क्या सलाह ली
जाए। इस तरह मौजूदा समय पहले से भिन्न है। समस्या यह है कि अगर सलाह सही, उचित और उपयोगी है तो यह भिन्न और विशिष्ट नहीं हो सकती। यह वही पुरानी बात होनी चाहिए जो किसी भी व्यक्ति ने पहले कही है। हालांकि, निवेशक अच्छी सलाह नहीं मांग रहे हैं। उन्हें ऐसी सलाह चाहिए जो सलाह जैसी दिखती है। उन्हें
ऐसी सलाह चाहिए जिसमें साफ तौर पर कहा गया हो कि ऐसा कीजिए। मीडिया और इंटरनेट में ऐसी सलाहों की भरमार है। इस तरह के शेयरों को बेचिए, बनाए रखिए या रक्षात्मक रवैया अपनाइये। कुछ इसी तरह
की सलाह होती हैं।
इस सब के बारे में समस्या यह है कि फिलहाल जो कुछ हो रहा है, पिछले कुछ हफ्तों या महीनों में जो कुछ हुआ है उसकी भरपाई के लिए संरचना तैयार करना है। किसी भी निवेशक की भावनाएं ऐसे ही काम करती हैं। हालांकि आप कई वर्षों और दशकों की प्रवृत्ति के आधार पर मुनाफा नहीं कमा सकते। अच्छे समय के बाद हमेशा बुरा वक्त आता है। इसी तरह बुरे समय के बाद अच्छा समय भी आता है। जो निवेशक इस बात को समझते हैं वही यह समझ सकते हैं कि शेयर बाजार में जब बुरा दौर चल रहा हो तो उन्हें क्या करना चाहिए। इस तरह मैं भी वही बात दोहरा रहा हूं जो मैंने पहले कई बार कही है।
धीरेंद्र कुमार