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एनपीएस और ईपीएफ पर अनुत्तरित सवाल

आखिरकार बजट में घोषित ईपीएफ पर टैक्स का प्रस्ताव अब वापस हो गया है। हालांकि, वित्त मंत्री ने सेवानिवृत्ति से संबंधित सभी उपायों को वापस नहीं लिया है। उनके बजट प्रस्ताव अब भी मौजूद हैं। आम बजट से पहले ईपीएफ टैक्स फ्री था, वहीं एनपीएस पर टैक्स लगता था।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 21 Mar 2016 01:18 PM (IST)Updated: Mon, 21 Mar 2016 01:23 PM (IST)
एनपीएस और ईपीएफ पर अनुत्तरित सवाल

आखिरकार बजट में घोषित ईपीएफ पर टैक्स का प्रस्ताव अब वापस हो गया है। हालांकि, वित्त मंत्री ने सेवानिवृत्ति से संबंधित सभी उपायों को वापस नहीं लिया है। उनके बजट प्रस्ताव अब भी मौजूद हैं। आम बजट से पहले ईपीएफ टैक्स फ्री था, वहीं एनपीएस पर टैक्स लगता था। जेटली ने बजट में कहा कि सभी सुपरएन्युएशन स्कीमें बराबर होनी चाहिए। हालांकि ईपीएफ पर टैक्स प्रस्ताव वापस लेने के बाद एनपीएस फिर से अलाभकारी हो गया है, क्योंकि इस पर आयकर लगेगा। वास्तव में इस पूरे प्रकरण से एनपीएस पर कर के संबंध में तीन मूलभूत कमियां सामने आईं हैं। सरकार को शीघ्र ही इन कमियों को दूर करना चाहिए।

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पहली कमी यह है कि रिटायरमेंट के समय एनपीएस से धन निकासी पर टैक्स लगेगा, जबकि ईपीएफ के संबंध में ऐसा नहीं है। वित्त मंत्री ने बजट भाषण में स्वीकार किया है कि एनपीएस व ईपीएफ की संरचना समान है। इसलिए इसे शीघ्र एक जैसा बनाया जाना चाहिए। इससे ही जुड़ा एक मामला यह है कि सरकारी कर्मचारियों के मामले में एनपीएस से धन निकासी टैक्स फ्री है। सिर्फ निजी व्यक्तियों को ही कर भुगतान करना है। इस भेदभाव को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता। सरकारी कर्मचारियों को भी निजी व्यक्तियों की तरह ही कर भुगतान करना चाहिए। दूसरा, यह पूरी तरह अनुचित है कि एनपीएस को आय समझकर उस पर टैक्स लगाया जाए। निवेश की प्रकृति के अनुरूप उसे पूंजीगत लाभ समझना चाहिए। उसे लागत मुद्रास्फीति सूचकांक के जरिये महंगाई के लिए समायोजित करना चाहिए।

तीसरा, ईपीएफ पर टैक्स वापस लेते समय जेटली और वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने सभी लोगों को एक समान एन्युटी स्कीम (जो एक बीमा कंपनी के साथ एन्युटी स्कीम होगी) के लिए मजबूर करने की गलती स्वीकार की है। अलग-अलग लोगों की अलग-अलग जरूरतें होती हैं, लेकिन यह सिद्धांत सिर्फ ईपीएफ अंशदान करने वालों पर लागू होता है न कि एनपीएस सदस्यों पर।

एनपीएस लेने वालों को एन्युटी खरीदने पर मजबूर किया जाता है। क्या यह सिद्धांत एनपीएस पर लागू नहीं होना चाहिए? इस तरह एनपीएस और ईपीएफ को बराबरी के स्तर पर लाने की प्रक्रिया के तहत अगली पीढ़ी के सुपरएन्युएशन सुधार होने चाहिए।

धीरेंद्र कुमार


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