मल्टी असेट फंड का जमाना
पिछले एक साल से शेयर बाजार तेजी के दौर में है। इस माहौल में म्यूचुअल फंड उद्योग कैसा प्रदर्शन कर रहा है? -बाजार काफी अच्छा चल रहा है। म्यूचुअल फंड उद्योग का प्रदर्शन भी काफी अच्छा है। उद्योग में रिटेल निवेश का प्रवाह पहले के मुकाबले बेहतर हो गया है। दरअसल
पिछले एक साल से शेयर बाजार तेजी के दौर में है। इस माहौल में म्यूचुअल फंड उद्योग कैसा प्रदर्शन कर रहा है?
-बाजार काफी अच्छा चल रहा है। म्यूचुअल फंड उद्योग का प्रदर्शन भी काफी अच्छा है। उद्योग में रिटेल निवेश का प्रवाह पहले के मुकाबले बेहतर हो गया है। दरअसल पूरे उद्योग का फोकस आजकल सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआइपी) पर है। सब जानते हैं कि जब बाजार अच्छा चलता है तो निवेश का प्रवाह बढ़ जाता है। यह आमतौर पर शॉर्ट टर्म निवेश होता है। लेकिन इस बार हमारी कोशिश उद्योग में लंबी अवधि के फंड लाना है। हालांकि अभी भी शॉर्ट टर्म निवेश की मात्रा अधिक है। इसलिए हो सकता है इसकी वजह से आने वाले समय में बाजार की रफ्तार भी प्रभावित हो।
साल बीतने पर आर्थिक मोर्चे पर सरकार से उम्मीदों के मामले में कुछ बदलाव?
-काफी उम्मीदें हैं। हमें भरोसा है कि आने वाले समय में बदलाव दिखेगा। देखिए, यह बात सरकार भी समझती है कि उसके प्रदर्शन को लेकर लोगों की उम्मीदें जुड़ी हैं। वह जानती है कि माहौल बदलेगा तभी निवेश भी आएगा। निवेश का माहौल बनाने के लिए सरकार ने कुछ कदम उठाए भी हैं। कुछ करने की यह रफ्तार अभी धीमी है। लेकिन समय के साथ इसमें भी तेजी आएगी।
उद्योग का फोकस एसआइपी पर है। लेकिन उद्योग के प्रदर्शन में अब तक हुए सुधार की क्या वजह रही है?
-देखिए, दुनिया भर के म्यूचुअल फंड उद्योग में बीते छह सात साल में एक नया बदलाव आया है। वह है मल्टी असेट फंड की शुरुआत। ऐसे बाजार में फंड के तहत इकट्ठा हुआ पूरा पैसा इक्विटी में डालने की हिम्मत किसी की नहीं है। जहां तक एक्सिस म्यूचुअल फंड का सवाल है हमने तो 2010 में ही इस बदलाव को स्वीकार कर लिया था। पिछले छह महीने में तो म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के प्रवाह में यह बदलाव दिखा भी है। फंड, मल्टी असेट फंड जिनमें इक्विटी भी होती है और डेट भी होता है, की तरफ ज्यादा आ रहे हैं। आने वाले समय में यह इक्विटी से बड़ा सेगमेंट हो जाएगा।
आप इस सेगमेंट में एक और प्रोडक्ट ला रहे हैं। उसकी क्या खासियतें हैं?
-निवेशक अब केवल इक्विटी में निवेश के भरोसे नहीं रहना चाहता। इसलिए अब ऐसे प्रोडक्ट आ रहे हैं, जिनमें इक्विटी के साथ साथ डेट का भी हिस्सा हो। हमारा नया प्रोडक्ट ‘इक्विटी सेवर फंड’ इसी किस्म का प्रोडक्ट है। इसमें आपके निवेश का 40-45 फीसद हिस्सा इक्विटी में जाएगा, बाकि फिक्स्ड इनकम और आर्बिट्राज उत्पादों में रहेगा। इसलिए न तो इसमें सौ फीसद इक्विटी फंड वाला जोखिम है और न ही डेट फंड की तरह कम रिटर्न। महंगाई से होने वाले नुकसान को पूरा करने के लिए इक्विटी में निवेश आवश्यक है। इसलिए हम फंड का कुछ हिस्सा इक्विटी में रखेंगे। हमारी यह रणनीति फंड को स्थिरता भी देती है।
लेकिन शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव इसके 45 फीसद हिस्से को तो प्रभावित करेगा ही?
-देखिए, इक्विटी में एक्सपोजर होगा तो उतार-चढ़ाव का असर दिखना लाजिमी ही है। लेकिन इस फंड को ऐसे डिजाइन किया है कि अगर बाजार ऊपर जाता है तो फंड में इक्विटी का एक्सपोजर उसी अनुपात में बढ़ जाएगा। लेकिन अगर बाजार नीचे आएगा तो इक्विटी में एक्सपोजर कम हो जाएगा। इस रिबैलेंसिग की रणनीति का लंबी अवधि में काफी फायदा होता है। यह निवेशक को लाभ देता है। फंड की अवधि में बाजार जितनी बार ऊपर नीचे होता है रिबैलेंसिंग उतनी ही अधिक होती है।
बाजार में मौजूद दूसरे फंड से यह कैसे अलग है?
-पहली बात तो यह कि हमारा नया फंड एकदम सिंपल प्रोडक्ट है। लेकिन यह प्रोडक्ट बाकी सबसे काफी अलग है। उदाहरण के लिए बाजार में इस वक्त एक तो एमआइपी प्रोडक्ट है। उसमें 15-20 फीसद हिस्सा ही इक्विटी का होता है। यह बढ़ती महंगाई की भरपायी करने में सफल नहीं है। दूसरी तरफ बैलेंस फंड है। इसमें इक्विटी की हिस्सेदारी 70-80 फीसद होती है। ये इक्विटी बाजार की तरह ही व्यवहार करते हैं। शेयर बाजार ऊपर जाते हैं तो इनका रिटर्न भी ऊपर की तरफ जाता है। लेकिन अगर शेयर बाजार नीचे आता है तो इसमें नुकसान भी उतना ही होता है। इसीलिए हमने अपने नए फंड में इक्विटी का एक्सपोजर उतना रखा है जिसमें शेयर बाजार ऊपर जाने का लाभ तो पूरा मिलता है। लेकिन अगर बाजार गिरता है तो हम नुकसान को इक्विटी बाजार के एक तिहाई पर ही रोक लेते हैं। इससे निवेशक का नुकसान न्यूनतम हो जाता है। सबसे बड़ी बात है कि इसमें आप टैक्स बचत भी कर सकते हैं।
चंद्रेश निगम
एमडी एवं सीईओ
एक्सिस म्यूचुअल फंड
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