एमएनसी फंडः सुखद संयोग और कुछ नहीं
निवेश की दुनिया में कई चीजें काफी आश्चर्यजनक होती हैं। अब देखिए, म्यूचुअल फंड के क्षेत्र में एमएनसी नाम के इक्विटी फंड को लगभग भुला दिया गया था। लेकिन अभी यह फंड सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले फंडों की सूची में सबसे ऊपर है। अब इससे जुड़ी जानकारी लेने वाले
निवेश की दुनिया में कई चीजें काफी आश्चर्यजनक होती हैं। अब देखिए, म्यूचुअल फंड के क्षेत्र में एमएनसी नाम के इक्विटी फंड को लगभग भुला दिया गया था। लेकिन अभी यह फंड सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले फंडों की सूची में सबसे ऊपर है। अब इससे जुड़ी जानकारी लेने वाले निवेशकों की संख्या काफी बढ़ गई है। लोग इसमें निवेश भी करना चाहते हैं। अब हर कोई यह जानना चाहता है कि इस फंड का प्रदर्शन बाजार के सामान्य प्रदर्शन की वजह से हुआ है या फिर यह क्षेत्र की कुछ खास प्रदर्शन कर रहा है। इन सभी तरह के सवाल पूछने वालों को मेरा एक मात्र जबाव यह है कि ऐसा कुछ नहीं है।
सबसे पहले तो एमएनसी फंड की प्रकृति ही अपने आप में समझने की जरूरत है। इस तरह के फंड को 90 के दशक में लांच किया गया था। तब बाजार में यह अवधारणा थी कि विदेशी कंपनियां भारतीय फर्मों से बेहतर प्रदर्शन करती हैं। लोगों के बीच यह आम धारणा होती थी भारतीय कंपनियां निवेशकों को लूटने का काम करती हैं। इसकी वजह भी थी। कुछ कंपनियों ने कम तो कुछ ने ग्राहकों को ज्यादा लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) के बारे में आम धारणा यह होती थी कि इनके पास पैसे की कोई कमी नहीं होती। ये तकनीकी में ज्यादा निवेश करती हैं। नई आधुनिक तकनीकी इस्तेमाल करती हैं। निवेश से हिचकती नहीं हैं।
साथ ही ये दिल खोल कर लाभांश भी देती हैं। यह धारणा अब काफी बदल चुकी है। बेहतर प्रदर्शन करने वाली, सक्षम प्रबंधन और लगातार मुनाफा देने वाली भारतीय कंपनियों की कोई कमी नहीं है। ग्राहकों की मानसिकता भी बदली है। अब वह लाभांश से ज्यादा शेयरों की कीमतों में वृद्धि को गंभीरता से लेते हैं। तो फिर क्या वजह है कि अचानक ही एमएनसी फंड चर्चा में आ गए हैं। इसका कारण यह नहीं है कि एमएनसी ने अचानक ही प्रदर्शन सुधार लिया है, बल्कि इसके पीछे अहम वजह यह है कि जिन क्षेत्रों में एमएनसी प्रमुखता से कार्य कर रही हैं उनके प्रदर्शन में सुधार हो रहा है। अब 70 व 80 के दशक की बात करें तो तब एमएनसी को बहुत ही कम क्षेत्रों में काम करने की छूट थी। जिस क्षेत्र में इन्हें प्रवेश की इजाजत थी, वहां इनको बहुत ही कम इक्विटी रखने की आजादी थी। अब माहौल बदल गया है। एमएनसी की काम करने की पूरी छूट है। 90 के दशक के बाद सैकड़ों नई एमएनसी देश में कदम रख चुकी हैं। हालांकि इनमें से अधिकांश ने शेयर बाजार का रुख नहीं किया है।
इन एमएनसी के निवेश करने का तरीका भी ऐसा है कि ये मुनाफे का बहुत बड़ा हिस्सा यहां नहीं रखती। इसलिए इनकी रुचि भारतीय शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने की भी नहीं है। एलजी, हुंडई, होंडा, टोयोटा अपने-अपने क्षेत्र की दिग्गज कंपनियां बन चुकी हैं, लेकिन भारतीय शेयर बाजार में लिस्टेड होने की इनकी कोई मंशा नहीं है। ऐसे में एमएनसी फंड मुख्य तौर पर फार्मा और एफएमसीजी कंपनियों पर केंद्रित हैं। एमएनसी फंडों में वैसे फंड शामिल नहीं है जो आम तौर पर कुछ समय से काफी खराब प्रदर्शन कर रहे हैं मसलन रीयल एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर। इस तरह से भले ही एमएनसी इक्विटी फंड की तरफ से जानबूझ कर निवेश को इधर से उधर करने करने की कोशिश नहीं की गई हो, लेकिन बाजार के हालात ने अपने आप ही इसे बेहतर रिटर्न देने वाले फंड के तौर पर स्थापित कर दिया है। यह एक सुखद संयोग है।
धीरेंद्र कुमार